लखनऊ
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि विगत सात वर्षों में सतत प्रयासों से प्रदेश में एक मंडल-एक विश्वविद्यालय की परिकल्पना पूरी हो चुकी है। मंडलों के बाद अब हमारा लक्ष्य एक जिला-एक विश्वविद्यालय का होना चाहिए। मुख्यमंत्री योगी ने राज्य के उच्च शिक्षा क्षेत्र में निजी निवेश को प्रोत्साहन देने के लिए नई नीति तैयार करने के निर्देश दिए हैं। इस संबंध में हुई महत्वपूर्ण बैठक में उन्होंने प्रमुख दिशा-निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि विगत सात वर्षों में सतत प्रयासों से प्रदेश में एक मंडल-एक विश्वविद्यालय की परिकल्पना पूरी हो चुकी है। सभी 18 मंडलों में विश्वविद्यालयों की स्थापना हो चुकी है। कई मंडलों में निर्माण कार्य जारी है।
मंडलों के बाद अब हमारा लक्ष्य एक जिला-एक विश्वविद्यालय का होना चाहिए। वर्तमान में 35 जनपदों में विश्वविद्यालय की उपलब्धता है, शेष जिलों में विश्वविद्यालयों के लिए निजी क्षेत्र बड़ा सहयोगी बन सकता है। उन्होंने कहा कि निजी निवेश उच्च शिक्षा तक पहुंच बढ़ाने के सरकारी प्रयासों में सहायक हो सकता है। इससे छात्रों के लिए उपलब्ध संस्थानों, पाठ्यक्रमों और सीटों की संख्या में वृद्धि होगी, साथ ही शिक्षा और अनुसंधान की गुणवत्ता को बढ़ाने के प्रयासों में भी सहायता मिलेगी। योगी ने कहा कि वर्तमान में उत्तर प्रदेश की ग्रास एनरोलमेंट रेट (जीइआर) 25.6 फीसद है, जिसे राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनइपी) के अनुसार 2035 तक 50 प्रतिशत तक बढ़ाना आवश्यक है। निजी निवेश प्रोत्साहन नीति इस अंतर को पूरा कर सकती है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उच्च शिक्षा में निजी निवेश वर्तमान समय की आवश्यकता है। अन्य राज्यों की सम्बंधित नीति का अध्ययन करें। स्टेकहोल्डर्स से संवाद करें और यथाशीघ्र उच्च शिक्षा प्रोत्साहन नीति तैयार कर प्रस्तुत करें। नई नीति में निवेशकों को स्टाम्प ड्यूटी में छूट, कैपिटल सब्सिडी आदि प्रोत्साहन को यथोचित स्थान दें। उन्होंने कहा कि नई नीति में आकांक्षात्मक जनपदों में विश्वविद्यालयों की स्थापना पर अतिरिक्त प्रोत्साहन का प्रावधान होना चाहिए। इसे प्राथमिकता दें। इसी प्रकार, विश्व की टॉप रैंकिंग वाले विश्वविद्यालयों के कैम्पस के प्रस्ताव पर भी विशेष प्रोत्साहन प्रावधान रखें।