मध्यप्रदेश

श्री नागेश्वर भिलट देव मंदिर में आज नाग पंचमी पर लगेगा आस्था का मेला, 5000 भक्तों के आने की संभावना; 4 क्विंटल प्रसादी तैयार

खरगोन.
 मध्य प्रदेश का श्री नागेश्वर भिलट देव मंदिर अपनी अद्भुत आस्था और मान्यताओं के लिए प्रसिद्ध है. बाबा नागेश्वर के प्रति भक्तों की गहरी आस्था के चलते यहां हर साल भक्तों की भीड़ उमड़ती है. नाग पंचमी के अवसर पर इस ऐतिहासिक मंदिर में भव्य मेले का आयोजन होता है. मंदिर पुजारी के अनुसार, नाग पंचमी का यह पर्व आस्था और भक्ति का प्रतीक है.

यह मंदिर खरगोन जिले के मंडलेश्वर के पास श्रीनगर में स्थित है. मंदिर के पुजारी राधेश्याम सोनी बताते हैं कि, श्री नागेश्वर भिलट देव मंदिर की स्थापना लगभग 60 साल पहले मंडलेश्वर के थानेदार सनपाल ने एक वृक्ष के नीचे की थी. समय के साथ यह स्थान आस्था का केंद्र बन गया. 2001 में भव्य मंदिर बना. यहां मांगी गई हर मुराद बाबा पूरी करते हैं. भक्त यहां नारियल चढ़ाने से लेकर तुलादान तक की मान्यताएं लेकर आते हैं और बाबा के दर से कोई खाली हाथ नहीं लौटता.

नाग पंचमी का विशेष आयोजन
पुजारी बताते हैं कि, नाग पंचमी के दिन बाबा का विशेष श्रृंगार होता है, हवन और महाआरती की जाती है. इस दिन मंदिर में लगभग 5,000 से अधिक भक्त दर्शन के लिए आते हैं, जिनमें इंदौर और अन्य दूरस्थ क्षेत्रों के श्रद्धालु भी शामिल होते हैं. इस साल यह आंकड़ा बढ़ सकता है. हर साल नाग पंचमी पर यहां एक दिवसीय मेला भी लगता है, इस बार यह मेला तीन दिन रहेगा, जो आज गुरुवार 8 अगस्त से रविवार 10 अगस्त तक आयोजित किया जा रहा है.

मेले की विशेषताएं
मेले में बड़े झूले जैसे ड्रेगन, नाव, और क्रास लगाए गए हैं, जिनका किराया 40 रुपए तक रहेगा. बच्चों के लिए भी छोटे झूले उपलब्ध हैं, ताकि सभी उम्र के लोग मेले का आनंद ले सकें. इसके अलावा, मेले में कई दुकानें भी लगाई जाती हैं, जहां लोग खरीदारी कर सकते हैं.

एनसीसी कैडेट्स की भूमिका
हर साल नाग पंचमी पर मंदिर की व्यवस्था महात्मा गांधी शासकीय बालक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय मंडलेश्वर के एनसीसी कैडेट्स संभालते हैं. पुजारी का कहना है कि NCC कैडेट्स अनुशासन और सेवा के साथ मंदिर की व्यवस्था संभालते हैं, जिससे श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो.

4 क्विंटल प्रसादी तैयार
इस विशेष दिन पर मंदिर सेवा समिति ने लगभग 4 क्विंटल मोदक प्रसाद तैयार किया है, जिसे भक्तों में वितरित किया जाएगा. बाटी को बारीक करके उसमें देशी घी, गुड़-शकर, ड्रायफुड आदि मिलाकर यह प्रसादी तैयार होती है.

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