नई दिल्ली
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 10 अगस्त को केरल के वायनाड में भूस्खलन प्रभावित इलाकों का दौरा करने जाएंगे. प्रधानमंत्री मोदी इस भीषण हादसे में हुई तबाही और आपदा का हवाई सर्वेक्षण करेंगे बता दें कि केरल में भूस्खलन जैसे प्राकृतिक आपदा के कारण 300 से अधिक लोगों की जान चली गई थी. 30 जुलाई 2024 को, केरल के वायनाड जिले में भारी वर्षा के कारण भूस्खलन हुआ था. वहीं सामने आया है कि वायनाड भूस्खलन में मरने वालों की संख्या और बढ़ गई है. 226 शव और बरामद हुए. सर्च अभियान में 403 बॉडी पार्ट्स मिले हैं.
शनिवार को नहीं चलेगा सर्च अभियान
बता दें कि, प्रधानमंत्री की यात्रा के कारण जिले में सख्त प्रतिबंधों के कारण शनिवार को मुंडाकाई और चूरलमाला जैसे आपदा प्रभावित क्षेत्रों में कोई तलाशी अभियान नहीं चलाया जाएगा. जिला कलेक्टर डी.आर. मेघाश्री ने इसकी जानकारी दी है. खोज में शामिल वालेंटियर्स और अन्य लोगों को आपदा क्षेत्रों में प्रवेश की अनुमति नहीं है. जिला कलेक्टर ने यह भी घोषणा की कि सर्च ऑपरेशन रविवार को फिर से शुरू किया जाएगा.
ये है पीएम मोदी के दौरे का तय कार्यक्रम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 10 अगस्त को भूस्खलन प्रभावित वायनाड का दौरा करेंगे और आपदा प्रभावितों से मिलेंगे. एक सूत्र ने बताया कि प्रधानमंत्री एक विशेष विमान से कन्नूर पहुंचेंगे. वहां से वह हेलीकाप्टर से भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण करेंगे. इसके बाद वे कुछ राहत शिविरों का दौरा करेंगे, जहां फिलहाल 10,000 से अधिक लोग शरण लिए हुए हैं.
राहुल गांधी ने कहा, धन्यवाद
पीएम मोदी के वायनाड जाने को लेकर वायनाड से कांग्रेस के पूर्व सांसद राहुल गांधी ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि, 'व्यक्तिगत रूप से भयानक त्रासदी का जायजा लेने के लिए वायनाड आने के लिए धन्यवाद, मोदी जी. ये एक अच्छा फैसला है. मुझे विश्वास है कि एक बार जब प्रधानमंत्री प्रत्यक्ष रूप से तबाही की सीमा को देख लेंगे, तो वह इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित कर देंगे.'
वायनाड में कैसे आई त्रासदी
वायनाड में आई आपदा का केंद्र इरुवाझिंझी नदी है, जो लगभग 1800 मीटर की ऊंचाई पर है और तीन प्रभावित गांवों- व्यथरी तालुका में मुदक्कई, चूरलमाला और अट्टामाला से होकर बहती है. इसके बाद यह चलियार नदी में मिल जाती है. बारिश के बाद नदी के पानी में बढ़ोतरी हो गई और इसकी जल धाराएं ज्यादा तेज हो गईं. अधिकारियों का कहना है कि व्याथरी (Vythri) में 48 घंटों में लगभग 57 सेमी बारिश हुई, जिसके बाद इरुवाझिंझी में उफान आया और भूस्खलन हुआ.
भूस्खलन का मलबा नदी में गिर गया और मलबे की एक दीवार बन गई. इसके बाद ऊपर की तरफ के गांव जलमग्न हो गए. ऊपर की पहाड़ियों से नदी में बहता भारी बारिश का पानी और ढलान आपदा की वजह बने. रिमोट सेंसिंग डेटा से पता चलता है कि नदी के रास्ते पर पहला गांव मुंदक्कई, जो अब समतल और तबाह हो गया है, लगभग 950 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. यह लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर केंद्र लगभग आधा है.