देश

चाइल्ड केयर लीव का लाभ महिला और पुरुष दोनों कर्मचारियों को दिया जाना चाहिए: कलकत्ता हाई कोर्ट

कोलकाता
कलकत्ता हाई कोर्ट ने हाल ही में निर्देश दिया है कि बाल देखभाल अवकाश यानी चाइल्ड केयर लीव का लाभ महिला और पुरुष दोनों कर्मचारियों को दिया जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि बच्चे की देखभाल का जिम्मा सिर्फ मां पर नहीं होती है बल्कि यह जिम्मेदारी माता और पिता दोनों द्वारा साझा की जानी चाहिए, इसलिए दोनों ही चाइल्ड केयर लीव के हकदार हैं। कोर्ट ने एक ऐसे व्यक्ति की याचिका पर यह आदेश सुनाया है जिसके दो नाबालिग बच्चे हैं और कुछ महीने पहले ही उनकी पत्नी का देहांत हो चुका है। याचिकाकर्ता ने इसी आधार पर 730 दिनों के चाइल्ड केयर लीव की मांग की थी।

याचिकाकर्ता अबु रेहान ने अपनी अर्जी में कहा था कि बच्चे स्कूल जाने की उम्र में हैं लेकिन उनके अलावा बच्चों की देखभाल करनेवाला कोई नहीं है। इसलिए वह अपने बच्चों की देखभाल और उनके शारीरिक, शैक्षिक और भावनात्मक विकास के लिए चाइल्ड केयर लीव का लाभ उठाना चाहता है। याचिकाकर्ता एक सरकारी सेवक है। उसने याचिका में कहा कि सरकारी ज्ञापन संख्या 1100-एफ (पी) दिनांक 25 फरवरी 2016 के अनुसार, पश्चिम बंगाल सरकार ने पुरुष कर्मचारियों को 30 दिनों का पितृत्व-सह-बाल देखभाल अवकाश स्वीकृत किया है लेकिन यह अवधि उनके लिए पर्याप्त नहीं हैं।

याचिकाकर्ता ने अपनी अर्जी में 17 जुलाई 2015 के ज्ञापन संख्या 5560-एफ(पी) का भी हवाला दिया, जिसमें कहा गया है कि नियमित महिला कर्मचारियों को अधिकतम दो वर्ष यानी 730 दिनों का चाइल्ड केयर लीव का लाभ दिया जा सकता है। अबु रेहान ने कहा कि चूंकि वह सिंगल पैरेंट है, इसलिए उसे भी 730 दिनों का चाइल्ड केयर लीव का लाभ दिया जाना चाहिए। उसने यह भी कहा कि उक्त दोनों ज्ञापन भेदभावपूर्ण हैं और संविधान प्रदत समानता के अधिकारों का उल्लंघन है।

लॉ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस अमृता सिन्हा की एकल पीठ ने कहा, "ऐसा लगता है कि अब समय आ गया है, जब सरकार को अपने कर्मचारियों के साथ पुरुष और महिला कर्मचारियों के बीच किसी भी तरह का भेदभाव किए बिना एक जैसा बर्ताव करना चाहिए। परिवार के भरण-पोषण की जिम्मेदारी सिर्फ महिला या पुरुष नहीं बल्कि माता और पिता दोनों को समान रूप से निभानी चाहिए। हिंदू माइनॉरिटी एंड गार्जियनशिप एक्ट 1956 के तहत लड़के या अविवाहित लड़की के मामले में हिंदू नाबालिग का प्राकृतिक अभिभावक पिता होता है और उसके बाद माता। सरकार को पुरुष कर्मचारियों को भी वैसा ही लाभ देने का निर्णय लेना चाहिए जैसा महिलाओं के मामले में किया गया है… ताकि भेदभाव को खत्म किया जा सके।"

इससे पहले राज्य सरकार के वकील ने कहा कि महिला कर्मचारियों को जो लाभ दिया गया है, वह पुरुष कर्मचारियों के लिए उपलब्ध नहीं है। हालांकि, कोर्ट को यह भी बताया गया कि याचिकाकर्ता का आवेदन अभी विचाराधीन है और उस पर कानून के मुताबिक विचार किया जाएगा। इस पर जस्टिस सिन्हा ने कहा कि अदालत महिला और पुरुष में भेदभाव किए बिना चाइल्ड केयर लीव पर 90 दिनों के अंदर फैसला लेने का आदेश देती है।

जनसम्पर्क विभाग – आरएसएस फीड

PRATYUSHAASHAKINAYIKIRAN.COM
Editor : Maya Puranik
Permanent Address : Yadu kirana store ke pass Parshuram nagar professor colony raipur cg
Email : puranikrajesh2008@gmail.com
Mobile : -91-9893051148
Website : pratyushaashakinayikiran.com