मध्यप्रदेश

कम बारिश से संकट में मालवा-निमाड़ का सोयाबीन बेल्ट, मैदान में उतरी कृषि विभाग की टीम

मालवा-निमाड़
 देश में सर्वाधिक सोयाबीन उत्पादन करने वाला राज्य मध्य प्रदेश है। राज्य में अधिकांश सोयाबीन मालवा-निमाड़ में उपजता है, किंतु इस बार सोयाबीन संकट में है। कई दिनों से क्षेत्र में तेज बारिश नहीं हुई है। इससे फसलों में इल्लियों और कीट का प्रकोप हो गया है। एक तरफ तेज बारिश न होना संकट का कारण है, वहीं रिमझिम वर्षा भी दिक्कत पैदा कर रही है।

रिमझिम के कारण नमी

किसानों का कहना है कि रिमझिम बारिश की वजह से फसलों पर हर समय नमी बनी रहती है। इस कारण किसान अभी खेतों में कीटनाशक का छिड़काव नहीं कर पा रहे हैं। बताया जाता है कि यह कीटनाशक पत्तियों से धुलकर जमीन पर गिर जाता है।

जानिए मालवा-निमाड़ में किस जिले में सोयाबीन की क्या है स्थिति

    झाबुआ जिले में 1 लाख 89 हजार हेक्टेयर में खरीफ फसल की बोवनी की गई है। रिमझिम बारिश व मौसम में नमी बने रहने से सोयाबीन के साथ कपास, मूंगफली, उड़द जैसी फसलों में छेदक इल्लियों का प्रकोप है। इससे बचने के लिए किसान दवाइयों का छिड़काव कर रहे हैं।

    खरगोन जिले में इस साल 80 हजार हेक्टेयर में सोयाबीन की बोवनी हुई है। किसान श्यामसिंह पंवार का कहना है कि जल्द ही वर्षा नहीं रुकी तो फसल खराब हो जाएगी।
    देवास जिले में सोयाबीन फसल का रकबा लगभग 3.45 लाख हेक्टेयर है। तेज वर्षा के अभाव, सतत रिमझिम का दौर चलने से इल्ली व अन्य कीट का असर फसल पर पड़ रहा है।

    बागली के उन्नत किसान मुकेश गुप्ता के अनुसार इस सीजन में इल्ली व अन्य कीटों को पनपने के लिए अनुकूल मौसम अधिक दिनों तक मिला है। अब नियंत्रण के सिर्फ दो ही उपाय हैं या तो तेज बारिश का दौर चले या फिर कुछ दिन धूप खिले और बचे किसान इस खुले मौसम में कीटनाशक का छिड़काव कर लें।

    सहायक संचालक कृषि लोकेश गंगराड़े का कहना है कि समय पर कीटनाशक छिड़काव नहीं हो पाने से इल्लियों का प्रकोप फसलों में है, लेकिन चिंताजनक स्थिति सामने नहीं आई है। कृषि विभाग की टीमें अलग-अलग क्षेत्रों में भ्रमण कर फसलों की स्थिति पर नजर रख रही हैं। -लोकेश गंगराड़े, सहायक संचालक कृषि

तने को पहुंचाते हैं नुकसान

धार जिले में सोयाबीन फसल पर तना मक्खी, गर्डर बीटल और व्हाइट ग्रब यानी गोबर के कीड़े का प्रकोप है। कृषि विज्ञानी डाॅ. जीएस गाठिया ने बताया कि तना मक्खी से लेकर गर्डर बीटल व अन्य कीटों का अपना जीवन चक्र होता है। जुलाई के अंतिम सप्ताह और अगस्त के प्रथम सप्ताह में अंडों से इल्ली निकालने का दौर शुरू होता है और ये इल्लियां फसल को नष्ट करती हैं। जिले में करीब 3 लाख 10 हेक्टेयर में बोई गई सोयाबीन की फसल पर असर पड़ रहा है। अधिकांश कीट ऐसे हैं जो तने को नुकसान पहुंचाते हैं। इससे सोयाबीन के उत्पादन में गिरावट की स्थिति बनती है।

    लगातार नमी व बादल छाए रहने से इल्लियों का प्रकोप फसलों में बढ़ जाता है। कृषि वैज्ञानिकों की टीम गांव-गांव घूमकर फसलों का निरीक्षण कर रही है। साथ ही किसानों को दवा छिड़काव के बारे में जानकारी दी जा रही है।-नगीन रावत, कृषि उपसंचालक, झाबुआ

शाजापुर जिले में यह है हाल

शाजापुर जिले में इस साल दो लाख 70 हजार हेक्टेयर में सोयाबीन की बोवनी हुई है। बारिश की कमी के चलते के पौधों की बढ़वार तो हो रही है लेकिन छेदक इल्लियों व अन्य कीटो के कारण फसल प्रभावित हो रही है। किसान हेमराज, राजाराम वर्मा का कहना है कि छेदक इल्लियों के कारण फसल खराब हो रही है। तेज बारिश नहीं हुई तो फसल खराब हो जाएगी।

निगरानी सहित फसल बचाने के सुझाव

कृषि विज्ञानी डाॅ. जीआर अम्बावतिया ने बताया कि अंचल के किसानों को निगरानी सहित फसल बचाने के सुझाव दे रहे हैं। इल्लियों के नियंत्रण के उपाय- तेज बारिश हो या तेज धूप खिले, किसान कीटनाशक का छिड़काव समय पर करें। खंडवा जिले में दो लाख 10 हजार हेक्टेयर से अधिक रकबे में सोयाबीन की बोवनी की गई है। छेदक इल्लियों से बचाव के लिए किसान दवा का छिड़काव कर रहे हैं। उप संचालक कृषि कैलाश वास्कले का कहना है कि जिले में फसलों की स्थिति ठीक है। बारिश से फूल पर सोयाबीन के परगना धुलने से फलियां कम बैठने का संभावना है।

 

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