कमलनाथ ने कहा है कि पुलिस और प्रशासन (Police And Administration) के अधिकारी निष्पक्ष तरीके से चुनाव को पूरा कराएं और अपने दायित्व का ईमानदारी और निष्पक्षता से निर्वहन करें.
मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में विधानसभा सीटों के उपचुनाव (Bye election) के नतीजों से पहले कांग्रेस पार्टी प्रेशर पॉलिटिक्स करती हुई नजर आ रही है. 1 दिन पहले दिल्ली में दिग्विजय सिंह और विवेक तंखा ने केंद्रीय चुनाव आयोग से मुलाकात कर मतगणना को लेकर अपने सुझाव रखे थे. तो वहीं, कमलनाथ ने एक बार फिर सरकारी अधिकारी कर्मचारियों को चेताया है. कमलनाथ (Kamal Nath) में बयान जारी कर कहा है कि प्रदेश के अफसरों को यह जान लेना चाहिए कि राजनीतिक संरक्षण कभी स्थाई नहीं होता है. कमलनाथ ने कहा है कि पुलिस और प्रशासन (Police And Administration) के अधिकारी निष्पक्ष तरीके से चुनाव को पूरा कराएं और अपने दायित्व का ईमानदारी और निष्पक्षता से निर्वहन करें.
कमलनाथ ने आगे कहा कि लेकिन ऐसे पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी जिन्होंने अपने दायित्वों का निष्पक्ष निर्वहन नहीं किया है और चुनाव को भाजपा के पक्ष में प्रभावित करने का काम किया है. उनकी संपूर्ण गतिविधियां रिकॉर्डेड हैं और इसके लिए वे जिम्मेदार होंगे. कमलनाथ ने कहा है कि पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों को राजनीतिक संरक्षण में अपने दायित्वों का निष्पक्षता और ईमानदारी से निर्वहन करना चाहिए जो नहीं कर रहे हैं. वह जान लें कि कोई भी राजनीतिक संरक्षण कभी स्थाई नहीं होता है और 10 तारीख के बाद जनता के सामने यह सब प्रमाण सामने रखा जाएगा.
पुलिस और प्रशासन ने असामाजिक तत्वों की खुलकर मदद की
कमलनाथ ने उपचुनाव में हिंसक घटनाओं को संज्ञान में नहीं लेने को भी दुखद बताया है. पीसीसी चीफ कमलनाथ ने कहा है कि सुमावली मुरैना मेहगांव समेत उपचुनाव वाले कई क्षेत्रों में बीजेपी ने हिंसक घटनाओं के जरिए और गोली चलाकर बूथ कैपचरिंग की है. इन हिंसक घटनाओं को खुलेआम पुलिस और प्रशासन ने संरक्षण देने का काम किया है. लेकिन दुखद है कि चुनाव आयोग ने शिकायतों के बाद भी ऐसे बूथों पर रि पोलिंग कराना उचित नहीं समझा. इस तरह की घटनाओं के प्रमाणित तथ्य शिकायतों के साथ प्रत्याशियों द्वारा चुनाव आयोग के समक्ष दिए गए हैं. लेकिन रिपोलिंग का फैसला नहीं लिया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है. इस तरह की घटनाओं पर आपराधिक मामले दर्ज नहीं होना भी यह बताता है. पुलिस और प्रशासन ने असामाजिक तत्वों की खुलकर मदद की है.
नतीजों में कांग्रेस हेरफेर की आशंका जता रही है
दरअसल, 10 नवंबर को घोषित होने वाले नतीजों में कांग्रेस हेरफेर की आशंका जता रही है. और यही कारण है कि नतीजों वाले दिन किसी तरह की गड़बड़ी न हो इसके लिए कांग्रेस पार्टी प्रेशर पॉलिटिक्स के जरिए अफसरों पर दबाव बनाने की कोशिश में लगी है. ताकि किसी तरह की गड़बड़ी न हो सके और यही कारण है की कमलनाथ ने नतीजों के ठीक 3 दिन पहले एक बार फिर अफसरों को चेताने का काम किया है.