नई दिल्ली
भारत में स्वदेशी कंपनी महिंद्रा और जर्मनी की ऑटोमोबाइल ग्रुप स्कोडा ऑटो फॉक्सवैगन जॉइंट वेंचर की तैयारी कर रहे हैं। इस जॉइंट वेंचर के तहत आने वाली कारों की तकनीक और प्लेटफॉर्म को दोनों कंपनियां साझा तो करेंगी, साथ ही इनोवेशन और रिसर्च में भी बराबर का योगदान देंगी। इस जॉइंट वेंचर में दोनों कंपनियों की हिस्सेदारी 50-50 प्रतिशत की होगी।
जॉइंट वेंचर के तहत पेट्रोल से चलने वाले वाहनों के साथ-साथ बैटरी से चलने वाले वाहनों को भी विकसित करने पर जोर दिया जाएगा। जॉइंट वेंचर के तहत बनने वाली कारें भारत में तो बिकेंगी ही, इन्हें अंतरराष्ट्रीय बाजारों को ध्यान में रखकर तैयार किया जाएगा। दोनों कंपनियों के बीच जॉइंट वेंचर की घोषणा इस साल के अंत से पहले होने की उम्मीद की जा रही है। इस जॉइंट वेंचर के तहत एक ओर जहां फॉक्सवैगन ग्रुप को भारत में अपने उत्पादों को किफायती बनाने के साथ-साथ भारतीय ग्राहकों के अनुरूप बनाने में मदद मिलेगी, वहीं महिंद्रा की कारों को अंतरराष्ट्रीय बाजारों में एक नई पहचान मिलने की उम्मीद है।
फॉक्सवैगन की बात करें तो दुनिया के तीसरे सबसे बड़े ऑटोमोबाइल बाजार में काफी समय से मौजूद होने के बावजूद कोई खास उपलब्धि हासिल नहीं कर पाई है। अगर सेल्स पर नजर डालें तो स्कोडा ऑटो फॉक्सवैगन इंडिया की जुलाई 2024 में रिटेल सेल्स 14.7प्रतिशत गिरकर महज 6,203 यूनिट्स रह गई। वहीं दूसरी ओर महिंद्रा ने समान अवधि में बिक्री में 26प्रतिशत की वृद्धि हासिल करते हुए 37,854 यूनिट्स की बिक्री का आंकड़ा दर्ज किया है। जुलाई 2023 में फॉक्सवैगन का मार्केट शेयर 2.50प्रतिशत था, जो जुलाई 2024 में घटकर 1.94प्रतिशत रह गया है।
वहीं, महिंद्रा की बात करें तो इसका मार्केट शेयर जुलाई 2023 में 10.31प्रतिशत से बढ़कर 11.82 प्रतिशत हो गया है। मीडिया की खबरों के मुताबिक, जॉइंट वेंचर के तहत बनने वाली कारें महिंद्रा के चाकन प्लांट (पुणे) में बनाई जाएंगी। महिंद्रा अपनी आने वाली इलेक्ट्रिक कारों को अंतरराष्ट्रीय बाजारों में उतारने पर भी फोकस कर रही है। भारत के मुकाबले बाहर के बाजारों में इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रति स्वीकार्यता अधिक है। इसको देखते हुए कंपनी ग्लोबल स्टैंडर्ड की कारों के साथ विदेशी बाजारों में अपनी पकड़ मजबूत कर सकती है।