मुताबिक बीपीसीएल की हिस्सेदारी के लिए जिन कंपनियों ने बोली लगाई है, उनमें रिलायंस इंडस्ट्रीज शामिल नहीं है. इसके अलावा अबु धाबी नेशनल ऑयल कंपनी, रोजनेफ्ट और सऊदी अरामको ने भी हिस्सेदारी के लिए बोली नहीं लगाई है.
सरकारी तेल कंपनी बीपीसीएल की हिस्सेदारी खरीदने के लिए कई देशी-विदेशी कंपनियां जोर-आजमाइश में लगी हैं. सोमवार को इसके लिए EOI दाखिल करने की डेडलाइन थी. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ट्वीट कर कहा है कि बीपीसीएल को लेकर कई EOI मिले हैं. कंपनी के रणनीतिक निवेश के दूसरे दौर का काम चल रहा है.
अंबानी और अडानी हिस्सेदारी खरीदने की रेस में नहीं
सूत्रों के मुताबिक बीपीसीएल की हिस्सेदारी के लिए जिन कंपनियों ने बोली लगाई है, उनमें रिलायंस इंडस्ट्रीज शामिल नहीं है. इसके अलावा अबु धाबी नेशनल ऑयल कंपनी, रोजनेफ्ट और सऊदी अरामको ने भी हिस्सेदारी के लिए बोली नहीं लगाई है. पीटीआई की खबरों के मुताबिक यूके की ब्रिटिश पेट्रोलियम और फ्रांस की टोटल ने भी बोली नहीं लगाई है. हालांकि सूत्रों का कहना है कि टोटल अडानी के साथ मिल कर बोली लगा सकती है. लेकिन अडानी ग्रुप ने इस संबंध में कोई प्रतिक्रिया जाहिर नहीं की है.
विनिवेश से 2.1 लाख करोड़ रुपये जुटाना चाहती है सरकार
सरकार 90 हजार करोड़ रुपये की कंपनी बीपीसीएल में रणनीतिक विनिवेश करना चाहती है. सरकार के पास इसकी 53 फीसदी हिस्सेदारी है. यह हिस्सेदारी कम से कम 48 हजार करोड़ रुपये होगी. सरकार का कहना है कि कंपनी की हालत ऐसी है कि वह इसके शेयर प्रीमियम पर बेच सकती है. बीपीसीएल की हिस्सेदारी खरीदने के लिए कई देशी-विदेशी कंपनियों ने इच्छा जताई है. हालांकि उनके नाम का खुलासा अभी नहीं किया गया है. बीपीसीएल के रणनीतिक विनिवेश में असम के नुमालीगढ़ रिफाइनरी की हिस्सेदारी की बिक्री शामिल नहीं है. इसमें बीपीसीएल की 61 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी है. सरकार अपने विनिवेश कार्यक्रम से वित्त वर्ष 2020-21 में 2.1 लाख करोड़ रुपये जुटाना चाहती है.
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