राष्ट्रपति चुनाव हार चुके डोनाल्ड ट्रम्प भले ही इस सच्चाई को स्वीकारने तैयार न हों, लेकिन कुछ संकेत उनकी मायूसी की तरफ इशारा कर रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ट्रम्प और उनकी टीम ने जून में रद्द हुई G-7 समिट के लिए अब तक कोई तैयारी नहीं की है। तैयारी और एजेंडा तो दूर अब तक इसके लिए नई तारीखें भी तय नहीं की जा सकी हैं। माना जा रहा है कि जो बाइडेन सत्ता संभालने के बाद इस पर विचार कर सकते हैं।
ट्रम्प का प्लान ही नहीं
USA न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रम्प और उनकी टीम ने अब तक G-7 जैसी सबसे अहम इकोनॉमिक फोरम के लिए किसी तरह की तैयारी नहीं की है। इससे संकेत मिलता है कि ट्रम्प ने G-7 के लिए कोई प्लान ही तैयार नहीं किया है। इतना ही नहीं, इस बारे में अब तक आधिकारिक तौर पर कोई जानकारी भी नहीं दी गई है। महामारी के दौर में यह मीटिंग काफी जरूरी और निर्णायक मानी जा रही थी, लेकिन ट्रम्प एडमिनिस्ट्रेशन ने अब तक कोई कदम नहीं उठाया। कुछ जानकारों का कहना है कि ट्रम्प की टीम का फोकस राष्ट्रपति चुनाव के बाद कानूनी मामलों पर ज्यादा है।
जून में होनी थी मीटिंग
दुनिया की सात आर्थिक महाशक्तियां जी-7 में शामिल होती हैं। जून में इसका आयोजन अमेरिका में ही किया जाना था। लेकिन, उस वक्त तमाम मुल्क महामारी से परेशान थे। अब भी इसका कहर कम नहीं हुआ। अमेरिका और यूरोप के देशों में तो हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। अमेरिका में कोविड-19 से मरने वालों का आंकड़ा 2.56 लाख से ज्यादा हो चुका है।
बाइडेन ही करेंगे होस्ट
रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी डिप्लोमैट ये मानकर चल रहे हैं कि 20 जनवरी को इनॉगरेशन परेड के बाद ही जी-7 पर कोई फैसला लिया जाएगा। यही वजह है कि विदेश विभाग ने अब तक इस पर कोई जानकारी नहीं दी है। हालांकि, ट्रम्प ने सार्वजनिक तौर पर अब तक न तो हार मानी है और न बाइडेन को जीत की बधाई दी है। डिप्लोमैटिक सूत्रों के मुताबिक, अगर बहुत जरूरी हुआ तो यह समिट वर्चुअल कराई जा सकती है। लेकिन, इसकी संभावना काफी कम है। व्हाइट हाउस ने मीडिया के मेल से पूछे गए सवालों का जवाब नहीं दिया।
सूत्रों के मुताबिक, ट्रम्प को लगता है कि जी-7 के सभी नेता बाइडेन को जीत की बधाई दे चुके हैं। ऐसे में इस बात की संभावना कम है कि ट्रम्प के रहते इस समिट का आयोजन किया जाएगा। जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल ने पहले ही जी-7 मीटिंग में शामिल होने से इनकार कर दिया है।
G-8 से G-7
2014 तक G-7 को G-8 के तौर पर जाना जाता था। तब रूस ने क्रीमिया पर अटैक करके उसे अपने कब्जे में ले लिया था। अब भी वहां रूस का ही अधिकार है। तब के अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने इसका सख्त विरोध किया और रूस को इस संगठन से बाहर का रास्ता दिखा दिया। ट्रम्प चाहते थे कि रूस को फिर संगठन में शामिल किया जाए, लेकिन बाकी देश इसे मानने तैयार नहीं थे। अमेरिका के अलावा इस संगठन के दूसरे देश इस तरह हैं- ब्रिटेन, फ्रांस, जापान, जर्मनी, कनाडा और यूरोपीय यूनियन (EU)।