नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने एग्जिट पोल की जांच करवाने की मांग वाली याचिका को राजनीति से प्रेरित बताते हुए खारिज कर दी। याचिका में कहा गया था कि मीडिया हाउस और उनसे जुड़ी कंपनियां मतदान के बाद एग्जिट पोल दिखाकर निवेशकों को प्रभावित करती हैं। ऐसे में लोकसभा के फाइनल चरण के बाद दिखाए गए एग्जिट पोल की जांच करवानी चाहिए। सीजेआई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने कहा कि यह याचिका राजनीति से प्रेरित है।
बेंच ने कहा, सरकार बन चुकी है। अब लोकसभा चुनाव पर बहस बंद होनी चाहिए और प्रशासन पर ध्यान देना चाहिए। चुनाव आयोग इन मामलों को हैंडल करेगा। हम चुनाव आयोग को नहीं संचालित करेंगे। इसलिए याचिका खारिज की जाती है। इस याचिका में कहा गया था कि चुनाव के बाद एग्जिट पोल से निवेशक प्रभावित हुए और फिर परिणाम आने के बाद शेयर मार्केट धराशायी हो गया और उन्हें 31 लाख करोड़ का नुकसान उठाना पड़ा।
याचिका में कहा गया था कि मतदान के बाद मीडिया हाउसों ने बहस शुरू कर दी और निवेशकों को शेयर मार्केट में पैसा लगाने के लिए प्रेरित कर दिया। इससे शेयर मार्केट अप्रत्याशित रूप से उछला। इसके बाद जब परिणाम आए तो शेयर मार्केट तेजी से गिर गया। आम निवेशकों के 31 लाख करोड़ रुपये डूब गए। यह याचिका ऐडवोकेट बीएल जैन ने फाइल की थी।
ऐडवोकेट वरुण ठाकुर के माध्यम से फाइल करवाई गई याचिका में कहा गया था कि 31 लाख करोड़ के नुकसान से भारत ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था भी प्रभावित हुई। पूर्वाग्रह से ग्रसित डिबेट या फिर न्यूज प्रसारित करने से निवेशक प्रभावित होते हैं। याचिका में कहा गया कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया कमर्शल इंडस्ट्री की तरह काम करते हैं।
याचिका में कहा गया कि एग्जिट पोल जारी करना रिप्रजंटेशन ऑफ पीपल ऐक्ट 1951 की धारा 126ए का उल्लंघन है चुनाव आयोग ने 2 अप्रैल 2024 को नियम तय किए थे, उनका भी उल्लंघन किया गया है। याचिका में सीबीआई, ईडी, सीबीडीटी, सेबी, एसएफआईओ से जांच करवाने की मांग की थी। याचिकाकर्ता ने कहा कि एक्सिस माइ इंडिया, इंडिया टुडे मीडिया प्लेक्स, टाइम्स नाउ, इंडिपेंडेंट न्यूज सर्विस प्राइवेट लिमिटेड, एबीपी न्यूज, रपब्लिक मीडिया नेटवर्क, न्यूज नेशन नेटवर्क, टीवी9 भारतवर्ष और एनडीटीवी की जांच करवाई जानी चाहिए।