विदेश

एक साथ आए अमेरिका, जापान और दक्षिण कोरिया, क्या उत्तर कोरिया में तख्तापलट की तैयारी?

वॉशिंगटन
अमेरिका, जापान और दक्षिण कोरिया ने उत्तर कोरिया के खिलाफ साइबर वारफेयर शुरू करने का फैसला किया है। इसमें किम जोंग उन के खिलाफ उत्तर कोरियाई नागरिकों में विद्रोह की भावना भरने का काम भी किया जाएगा। इसके अलावा उत्तर कोरियाई हैकर्स के खिलाफ भी एक मल्टीनेशनल साइबर एक्शन प्लान को लागू किया जाएगा। इसका प्राथमिक उद्देश्य उत्तर कोरिया के साइबर फ्रॉड के जरिए कमाई करने के रास्ते को बंद करना है। पश्चिमी देशों का दावा है कि उत्तर कोरिया दुनिया का सबसे बड़ा साइबर फ्रॉड सेंटर चलाता है, जिसे हैकर्स की एक भारी-भरकम टीम अंजाम देती है। इन पैसों का इस्तेमाल किम जोंग उन और उनके परिवार पर किया जाता है।
उत्तर कोरियाई साइबर फ्रॉड रोकने पर सहमति

अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा कि तीनों देशों के राजनयिकों की तीसरी बैठक में साइबर फ्रॉड के जरिए पैसे इकट्ठा करने और उसे सैन्य खर्च में इस्तेमाल करने की उत्तर कोरिया की क्षमता को बाधित करने पर सहमति बनी है। यह बैठक तब हुई है, जब एफबीआई ने अमेरिकी प्रशासन को चेतावनी दी थी कि उत्तर कोरियाई हैकर्स की टीमें पैसे चुराने के लिए मैलवेयर का इस्तेमाल कर रही हैं। इसके लिए वे बैंकों, दूसरे वित्तीय संस्थानों और कंपनियों को निशाना बना रही हैं। वे क्रिप्टोकरेंसी व्यवसायों और प्लेटफार्मों में घुसपैठ करने का आक्रामक प्रयास भी कर रहे हैं।

बैठक में कौन-कौन हुए शामिल

तीनों देशों की इस बैठक का नेतृत्व सियोल के विदेश मंत्रालय में कोरियाई प्रायद्वीप नीति के डायरेक्टर जनरल ली जुन-इल, उत्तर कोरिया के लिए अमेरिकी उप विशेष प्रतिनिधि सेठ बेली और साइबर नीति के प्रभारी जापानी राजदूत नाओकी कुमागाई ने किया। कार्य समूह में लगभग 20 अमेरिकी, दक्षिण कोरियाई और जापानी सरकारी विभागों, मंत्रालयों और एजेंसियों के एजेंट शामिल थे।

उत्तर कोरिया के खिलाफ चलाएंगे इंफॉर्मेशन वारफेयर

अमेरिकी विदेश विभाग ने बताया, "वर्किंग ग्रुप के माध्यम से, अमेरिका, दक्षिण कोरिया और जापान तीनों देश एक साथ मिलकर कार्रवाइयों की एक लंबी सीरीज पर काम करना जारी रखेंगे, जो कैंप डेविड शिखर सम्मेलन में स्थापित ऐतिहासिक सहयोग को रेखांकित करता है। इसमें डीपीआरके (उत्तर कोरिया) के क्रिप्टोकरेंसी की चोरी को रोकने, उनके इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी नेटवर्क को जाम करने, उत्तर कोरिया से पैदा होने वाले साइबर खतरे को खत्म करने को लेकर भागीदारों के साथ काम करने और क्षमता निर्माण के प्रयासों को बढ़ाने पर जोर दिया गया।"

किम जोंग पर निशाना साधेंगे तीनों देश

तीनों देश उत्तर कोरियाई लोगों के बीच सूचनाओं की पहुंच को सुगम करने, उन्हें दुनिया में हो रही घटनाओं की जानकारी देने और किम जोंग उन शासन के खिलाफ उकसाने को लेकर भी काम करेंगे। इसका उद्देश्य उत्तर कोरियाई नागरिकों को किम जोंग के शासन के खिलाफ उकसाना है, ताकि वह तानाशाही के खिलाफ आवाज उठा सकें। वर्तमान में एशिया में सिर्फ उत्तर कोरिया ही ऐसा देश है, जहां तानाशाही शासन है।

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