मध्यप्रदेश

मध्य प्रदेश में रेत के अवैध खनन-परिवहन पर लगेगी लगाम, मुख्यमंत्री ने खनिज अफसरों को दिये सख्त निर्देश

भोपाल

 मध्य प्रदेश सरकार ने रेत के अवैध उत्खनन और परिवहन पर कड़ा तेवर अपना लिया है. मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने खनिज अफसरों की बैठक में सख्त निर्देश दिये. उन्होंने कहा कि आधुनिक तकनीक का इस्तमाल कर रेत के अवैध खनन और परिवहन पर रोक लगाई जाए. उन्होंने कहा कि खनिज संसाधन का प्रदेश की जीडीपी बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान है. इसलिए वार्षिक लक्ष्य निर्धारित कर खनन गतिविधियों का संचालन किया जाए.

खनिज का अवैध उत्खनन और परिवहन रोकने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस सहित आधुनिकतम तकनीकों का इस्तेमाल सुनिश्चित किया जाये. मुख्यमंत्री ने कहा कि अप्रासंगिक हो चुके नियमों में आवश्यक संशोधन भी किया जा सकता है. ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने पर जोर दिया जाये.

उड़ीसा की नीतियों का अध्ययन करें- मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि पर्यावरण संरक्षण के लिए पत्थरों से निर्मित एमसैण्ड को प्रोत्साहित किया जाए. आमजन को किफायती दरों पर रेत उपलब्ध कराने के लिए यांत्रिक प्रक्रिया अपनायी जाये. उन्होंने रेडी मिक्स कंक्रीट को बढ़ावा देने के लिए नीति बनाने का आदेश दिया. सभी जिलों की एमएसएमई गतिविधियों में स्थानीय युवाओं को उद्यमशीलता से जोड़ते हुए इकाइयां स्थापित की जाएं. इन गतिविधियों से निर्माण की गुणवत्ता में सुधार भी होगा और समय भी कम लगेगा.

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने प्रदेश की समृद्ध खनिज सम्पदा को ध्यान में रखते हुए मेटल आधारित उद्योगों को प्रोत्साहन देने पर जोर दिया. उन्होंने खनिज संसाधनों से अधिक राजस्व प्राप्ति के लिए उड़ीसा की नीतियों का अध्ययन की हिदायत दी.

भोपाल में 14-15 अक्टूबर को माइनिंग कॉन्क्लेव
भोपाल में 14 और 15 अक्टूबर को माइनिंग कॉन्क्लेव का आयोजन किया जा रहा है. माइनिंग कॉन्क्लेव में भारत सरकार की भी सहभागिता है. संयुक्त आयोजन में अग्रणी उद्यमी, विषय विशेषज्ञ, विभिन्न राज्यों के अधिकारी, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर की खनन कंपनियों के प्रतिनिधि भाग लेंगे. माइनिंग कॉन्क्लेव को आयोजित करने का उद्देश प्रदेश में खनिज गतिविधियों और निवेश को प्रोत्साहित करने का है.

पर्यावरण संरक्षण के लिए कदम
इस निर्णय का मुख्य उद्देश्य नदियों के प्राकृतिक प्रवाह और पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखना है. मानसून के दौरान रेत खनन से नदियों के किनारे और जल स्रोतों को काफी नुकसान होता है, जिससे बाढ़ और भूमि कटाव जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. नदियों के किनारे रेत खनन करने से जलजीवों के आवासों पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, जिससे जैव विविधता को खतरा होता है.

निर्देशों का पालन सुनिश्चित
सतना कलेक्टर ने संबंधित अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए हैं कि वे इस आदेश का पालन सुनिश्चित करें और रेत खनन करने वालों पर सख्त कार्रवाई करें. सभी खदान संचालकों को इस अवधि के दौरान खनन कार्य बंद रखने के आदेश दिए गए हैं. आदेश की अवहेलना करने पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी और खनन लाइसेंस रद्द किया जा सकता है.

रेत की आपूर्ति पर असर
मानसून के दौरान रेत खनन पर रोक लगाने से निर्माण कार्यों में रेत की आपूर्ति पर असर पड़ सकता है. हालांकि, सरकार ने पहले से ही रेत भंडारण की व्यवस्था करने के लिए निर्देश दिए हैं, ताकि निर्माण कार्य प्रभावित न हो. खनन विभाग ने भी खदान संचालकों से कहा है कि वे मानसून से पहले रेत का पर्याप्त भंडारण सुनिश्चित करें.

स्थायी समाधान की दिशा में प्रयास
मध्यप्रदेश सरकार स्थायी समाधान की दिशा में भी प्रयासरत है. राज्य सरकार ने रेत खनन के लिए नई तकनीकों और उपायों को अपनाने की दिशा में कदम उठाए हैं, जिससे पर्यावरण को कम से कम नुकसान हो. इसके अलावा, सरकार ने अवैध रेत खनन पर अंकुश लगाने के लिए भी सख्त नियम लागू किए हैं. आधुनिक तकनीकों का उपयोग कर नदियों की निगरानी की जा रही है, जिससे अवैध खनन पर प्रभावी नियंत्रण हो सके.

मध्यप्रदेश में मानसून के दौरान रेत खनन पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. यह निर्णय न केवल नदियों के प्राकृतिक प्रवाह को बनाए रखने में मदद करेगा, बल्कि जल स्रोतों की सुरक्षा और जैव विविधता के संरक्षण में भी सहायक होगा. सरकार और प्रशासन की यह पहल राज्य की प्राकृतिक धरोहर को संरक्षित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी.

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