ढाका
मोहम्मद युनुस के नेतृत्व वाली बांग्लादेश की अंतरिम सरकार की तरफ से साफ किया गया है कि देश के राष्ट्रगान में बदलाव की कोई योजना नहीं है।सरकार ने उन अटकलों को सिरे से खारिज कर दिया, जिनमें कहा जा रहा था कि बांग्लादेश का राष्ट्रगान बदला जा सकता है। सुप्रसिद्ध रचनाकार रवीन्द्रनाथ टैगोर की रचना 'आमार सोनार बांग्ला' को बांग्लादेश ने अपना राष्ट्रगान बनाया है, जिसे बदलने की मांग देश के कट्टरपंथी संगठन कर रहे हैं।
पद्मा नदी के उत्तरी तट पर राजशाही में इस्लामिक फाउंडेशन का दौरा करने के बाद धार्मिक मामलों के सलाहकार अबुल फैज मुहम्मद खालिद हुसैन ने दावा किया कि अंतरिम सरकार विवाद पैदा करने वाला कोई कदम नहीं उठाएगी। सरकार सभी के सहयोग से बांग्लादेश का निर्माण करना चाहती है। बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के लोगों को निशाना बनाए जाने के मामले पर उन्होंने भरोसा दिलाया कि ऐसे मामलों में संलिप्त लोगों को यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार दंडित करेगी। जो लोग पूजा स्थलों पर हमला करते हैं, वे मानवता के दुश्मन हैं। वे अपराधी हैं और उन पर मौजूदा कानूनों के तहत मुकदमा चलाया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि शेख हसीना सरकार के पतन के बाद बांग्लादेश में राष्ट्रगान 'आमार सोनार बांग्ला' को लेकर विवाद शुरू हो गया है। कट्टरपंथी इसे बदलने की मांग कर रहे हैं। बांग्लादेश जमात-ए-इस्लामी के पूर्व अमीर गुलाम आजम के बेटे अब्दुल्लाहिल अमान आजमी ने देश के राष्ट्रगान और संविधान में बदलाव की मांग की है। आजमी का कहना है कि हमारा वर्तमान राष्ट्रगान हमारे स्वतंत्र बांग्लादेश के अस्तित्व के विपरीत है। दो बंगालों को एकजुट करने के लिए बनाया गया राष्ट्रगान एक स्वतंत्र बांग्लादेश का राष्ट्रगान कैसे बन सकता है? यह राष्ट्रगान 1971 में भारत द्वारा हम पर थोपा गया था। सरकार को नया राष्ट्रगान चुनने के लिए आयोग बनाना चाहिए।