लखनऊ
यूपी में 69000 शिक्षक भर्ती मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है जिसने नए सिरे से आरक्षण के प्रावधान के मुताबिक मेरिट लिस्ट बनाने का आदेश दिया था। हाईकोर्ट के आदेश के बाद से राज्य में इस फैसले का फायदा और नुकसान उठाने वाले लोग आंदोलन कर रहे हैं। हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ कुछ कैंडिडेट सुप्रीम कोर्ट गए थे जिस पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाते हुए सभी पक्षों को नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट अब 25 सितंबर को मामले की अगली सुनवाई करेगा। हाईकोर्ट के आदेश से पुराने शिक्षक तनाव में आ गए हैं जबकि दावेदार अभ्यर्थियों की उम्मीद जग गई है।
क्या था हाई कोर्ट का आदेश
69000 शिक्षक भर्ती मामले में लखनऊ बेंच हाईकोर्ट ने सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा 2019 की 1 जून 2020 को जारी चयन सूची व 6800 अभ्यर्थियों की 5 जनवरी 2022 की चयन सूची को दरकिनार कर नए सिरे से चयन सूची बनाने के आदेश दिए थे। कोर्ट ने इस सम्बंध में 13 मार्च 2023 के एकल पीठ के आदेश को संशोधित करते हुए यह भी फैसला दिया था कि सामान्य श्रेणी के लिए निर्धारित मेरिट में आने पर आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी को सामान्य श्रेणी में ही माइग्रेट किया जाएगा। हाईकोर्ट ने आदेश में यह भी कहा था कि हमारे द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुसार दिए जाने वाले ऊर्ध्वाधर आरक्षण का लाभ, क्षैतिज आरक्षण को भी देना होगा। साथ ही कोर्ट ने इसी भर्ती परीक्षा के क्रम में आरक्षित वर्ग के अतिरिक्त 6800 अभ्यर्थियों की 5 जनवरी 2022 की चयन सूची को खारिज करने के एकल पीठ के निर्णय में कोई हस्तक्षेप न करते हुए तीन माह में नई सूची जारी करने की कार्रवाई पूरी करने का आदेश दिया था। कोर्ट कहा था कि नई सूची तैयार करने के दौरान अगर वर्तमान में कार्यरत कोई अभ्यर्थी प्रभावित होता है तो उसे सत्र का लाभ दिया जाए ताकि छात्रों की पढ़ाई पर असर न पड़े। यह निर्णय न्यायमूर्ति एआर मसूदी व न्यायमूर्ति बृजराज सिंह की खंडपीठ ने महेंद्र पाल व अन्य समेत 90 विशेष अपीलों पर एक साथ सुनवाई करते हुए दिया था। उक्त अपीलों में एकल पीठ के 13 मार्च 2023 के निर्णय को चुनौती दी गई थी जिसमें एकल पीठ ने 69000 अभ्यर्थियों की चयन सूची पर पुनर्विचार करने के साथ-साथ 6800 अभ्यर्थियों की 5 जनवरी 2022 की चयन सूची को खारिज कर दिया था।
2018 में हुई थी 69000 शिक्षक भर्ती
69000 शिक्षक भर्ती दिसंबर 2018 में शुरू हुई थी। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) की 28 जून 2018 की अधिसूचना के बाद इस भर्ती में बीएड डिग्रीधारी अभ्यर्थियों को अवसर मिला था। लिखित परीक्षा होने के बाद सरकार ने अनारक्षित वर्ग के लिए 65 एवं आरक्षित वर्ग के 60 फीसदी उत्तीर्ण अंक निर्धारित किया था। इसके विरोध में शिक्षामित्रों ने हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में याचिका दायर की थी। एकल पीठ ने स्पष्ट किया था कि परीक्षा के बाद उत्तीर्ण अंक निर्धारित नहीं किया जा सकता है। 68500 शिक्षक भर्ती में 45 एवं 40 फीसदी उत्तीर्ण अंक निर्धारित था, वही 69000 शिक्षक भर्ती के लिए भी रहेगा। एकल पीठ के निर्णय को बीएड एवं बीटीसी अभ्यर्थियों ने डबल में चुनौती दी थी। डबल बेंच ने एकल पीठ के फैसले को निरस्त करते हुए 65 एवं 60 फीसदी उत्तीर्ण अंक को सही ठहराया। जिसके खिलाफ शिक्षामित्रों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका की थी। सुप्रीम कोर्ट ने अपने अंतिम आदेश में सरकार की ओर से निर्धारित 65 एवं 60 फीसदी अंक को बहाल रखा।