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होटल, जेम्स एंड ज्वैलरी समेत 8 सेक्टर्स में खत्म हो सकते हैं कई कानून, कंपनियों को होगा बड़ा फायदा

कानूनों का बोझ खत्म करने के लिए रोडमैप भी तैयार है. इसके लिए सभी राज्यों और विभागों को चिट्ठी लिखी गई है. सूत्रों के मुताबिक इन चुने गए सेक्टरों के लिए लाइसेंस रिन्यू की व्यवस्था खत्म होगी.

केंद्र की मोदी सरकार कई सेक्टर्स में तेज ग्रोथ लाने के लिए बड़े कदम उठाने की तैयारी में है. CNBC आवाज़ को सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, होटल, जेम्स एंड ज्वैलरी समेत कम से कम 8 सेक्टर के लिए पेचिदा कानूनों का बोझ खत्म हो सकता है. इनके लिए लाइसेंस रिन्यूवल की जरूरत नहीं होगी. उद्योग मंत्रालय ने इसके लिए रोडमैप तैयार किया है. अगले साल 2 अक्टूबर यानी गांधी जयंती तक Regulatory Compliance का बोझ खत्म करने का लक्ष्य है.

क्या है सरकार की तैयारी- सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक कानूनों के जंजाल से मुक्ति के लिए उद्योग मंत्रालय ने 8 सेक्टरों की पहचान की है. इनमें होटल, जेम्स एंड ज्वैलरी, सीमेंट, फर्नीचर शामिल हैं.

इससे क्या होगा- सूत्रों के मुताबिक 8 सेक्टर में REGULATORY COMPLIANCE की रिपोर्ट तैयार कर ली गई है. कानूनों का बोझ खत्म करने के लिए रोडमैप भी तैयार है. इसके लिए सभी राज्यों और विभागों को चिट्ठी लिखी गई है.

सूत्रों के मुताबिक इन चुने गए सेक्टरों के लिए लाइसेंस रिन्यू की व्यवस्था खत्म होगी. इसके लिए अब कागजी रजिस्टर की बजाय डिजिटल रिकॉर्ड पर फोकस होगा.

छोटे मोटे अपराध के लिए जेल का प्रावधान भी खत्म होगा. सिर्फ शंका के आधार पर ही इंस्पेक्शन (निरीक्षण) जरूरी किया जा सकता है. अगले साल गांधी जयंती तक Regulatory Compliance का बोझ खत्म करने का लक्ष्य है.

बीते महीने सरकार ने किया था तीसरे राहत पैकेज का ऐलान-कोरोना संक्रमण के इस दौर में अर्थव्यवस्था संकट से निपटने के लिए वित्त मंत्री ने नवंबर महीने में तीसरे आर्थिक स्टिमुलस पैकेज के तहत 12 बड़ी घोषणाएं की थी. इसमें आत्मनिर्भर भारत 3.0 पैकेज के तहत ‘आत्मनिर्भर भारत रोज़गार योजना’ का ऐलान हुआ. जिसके तहत ईपीएफओ के तहत पंजीकृत संस्थानों को सब्सिडी दी जाएगी.

संगठित क्षेत्र में ईपीएफओ में रजिस्टर्ड जो कंपनियां 15,000 से कम सैलरी पर नए कर्मचारियों को रखेंगी उन्हें इसका लाभ मिलेगा. 1 मार्च से 30 सितम्बर 2020 के बीच नौकरी खोने वाले कर्मचारी को 1 अक्टूबर के बाद दोबारा रिक्रूट करने वाली कंपनियों को भी इसका फायदा मिलेगा. जिन प्रतिष्ठानों की कर्मचारी सीमा 50 से कम हैं, उन्हें कम से कम दो लोगों औऱ जिनकी सीमा 50 से ऊपर है, उन्हें न्यूनतम 5 लोगों को रोजगार देना होगा.

जिन संस्थानों में 1000 तक कर्मचारी हैं उनमें 15000 से कम सैलरी वाले कर्मचारियों के कर्मचारियों का योगदान वेतन का 12% और कंपनी यानि मालिक की तरफ से 12 प्रतिशत यानी मजदूरी या वेतन का कुल 24% का खर्च का वहां सरकार करेगी जबकि जिन संस्थानों में 1000 से ज्यादा कर्मचारी हैं उनमें 15000 से कम सैलरी वाले कर्मचारियों का सिर्फ कर्मचारी के 12 प्रतिशत योगदान का खर्च सरकार वहन करेगी

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