नईदिल्ली
एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस से साल 2050 तक दुनिया में करीब 3.90 करोड़ लोगों की मौत हो सकती है. लैंसेट में पब्लिश एक नई स्टडी में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. स्टडी के अनुसार, 2022 से 2050 तक एंटीमाइक्रोबियल रजिस्टेंस से होने वाली मौतों का आंकड़ा 70% तक बढ़ सकता है. सबसे बड़ी चिंता की बात है कि एंटीमाइक्रोबियल रजिस्टेंस से 2050 तक होने वाली मौतों में 1.18 करोड़ तो सिर्फ साउथ एशिया में ही होगी, जिसमें भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, मालदीव, नेपाल और श्रीलंका आते हैं. जबकि अफ्रीका में मौत का आंकडा काफी ज्यादा बढ़ जाएगा.
एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस से मौत का खतरा क्यों
क्या है यह चौंकाने वाली स्टडी
यह स्टडी ग्लोबल रिसर्च ऑन एंटीमाइक्रोबियल रजिस्टेंस प्रोजेक्ट का पार्ट है और दुनियाभर में इस तरह की पहली स्टडी है. WHO का कहना है कि यह रजिस्टेंस कॉमन इंफेक्शंस के इलाज को परेशानी वाला बना देता है. कीमोथेरेपी और सिजेरियन जैसे मेडिकल इंटरवेंशन को काफी रिस्की बना देता है. स्टडी में 204 देशों के 52 करोड़ से ज्यादा हॉस्पिटल रिकॉर्ड्स, इंश्योरेंस क्लेम्स और डेथ सर्टिफिकेट्स जैसे डेटा को शामिल किया गया है. इसे करने के लिए स्टैटिस्टिकल मॉडलिंग का इस्तेमाल किया गया है.
स्टडी से क्या पता चला
इस स्टडी में पाया गया कि 1990 और 2021 तक हर साल एंटीमाइक्रोबियल रजिस्टेंस से 10 लाख से ज्यादा लोगों की मौतें हुई हैं, जिसमें आने वाले समय में और भी तेजी आएगी. स्टडी के लीड ऑथर केविन इकुटा का कहना है कि अगली क्वार्टर सेंचुरी में 3.90 करोड़ मौतें हो सकती हैं. इस हिसाब से हर मिनट करीब 3 मौतें होंगी.
बच्चों को कम, बुजुर्गों को सबसे ज्यादा खतरा
शोधकर्ताओं का अनुमान है कि बच्चों में एंटीमाइक्रोबियल रजिस्टेंस से होने वाली मौतों में गिरावट साल दर साल जारी रहेगी, जो 2050 तक आधी हो सकती है, जबकि इसी समय बुजुर्गों की मौत का आंकड़ा दोगुना हो सकता है. पिछले 30 साल का पैटर्न यही कहता है.