विदेश

चीन ने दी सफाई! नेपाल से हमारे संबंध किसी भी तीसरे देश के खिलाफ नहीं

भारत के साथ जारी तनाव के बीच नेपाल से नजदीकियां बढ़ाने पर चीन ने सफाई दी है. चीन ने कहा कि ये किसी भी अन्य देश के खिलाफ नहीं है

चीन (China) ने बुधवार को कहा कि नेपाल के साथ उसके करीबी संबंध ‘किसी तीसरे देश’ के खिलाफ नहीं है. उल्लेखनीय है कि चीन ने अपने रक्षा मंत्री जनरल वेई फेंगही (General Wei Fenghe) की नेपाल (Nepal) की हालिया यात्रा में दोनों देशों के बीच संबंध मजबूत करने पर जोर दिया है। उन्होंने नेपाल के प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली से मुलाकात की और परस्पर हित के विषयों पर विचारों का आदान-प्रदान किया. चीनी रक्षा मंत्री ने रविवार को अपनी यात्रा के दौरान कोविड-19 महामारी के चलते प्रभावित हुए सैन्य अभ्यास व प्रशिक्षण बहाल करने के तरीकों पर नेपाल के सेना प्रमुख जनरल पूर्ण चंद्र थापा के साथ वार्ता की.

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘हमारा मानना है कि हमारा सहयोग आपसी हित में है और नेपाल में सामाजिक-आर्थिक विकास के अनुकूल है। यह संबंध किसी तीसरे देश के खिलाफ नहीं है.’ चीनी रक्षा मंत्रालय ने यहां सोमवार को एक बयान में कहा कि अपनी यात्रा के दौरान स्टेट काउंसलर जनरल वेई ने ‘एक चीन’ नीति का समर्थन करने को लेकर नेपाली नेतृत्व की सराहना भी की. साथ ही, नेपाल की संप्रभुता, स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखंडता की हिफाजत के लिए मजबूत समर्थन की भी पेशकश की. नेपाल की थल सेना द्वारा जारी एक बयान के मुताबिक उन्होंने कोविड-19 महामारी से लड़ने में नेपाली थल सेना को अतिरिक्त सहायता उपलब्ध कराने का भी वादा किया. उल्लेखनीय है कि ‘एक चीन’ नीति के तहत बीजिंग ताईवान और तिब्बत को चीन के हिस्सा के तौर मान्यता देने को कहता है.

तिब्बत मामले पर नेपाल का साथ चाहता है चीन
बयान में कहा गया है कि तिब्बत की सीमा से लगे नेपाल में भारी निवेश और ऋण प्रदान कर सबंध प्रगाढ़ करने के साथ चीन यह चाहता है कि काठमांडू तिब्बतियों को तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा से मुलाकात के लिए निर्बाध रूप से धर्मशाला (हिमाचल प्रदेश,भारत) जाने से रोके. बीजिंग 14 वें दलाई लामा (85) को चीन से तिब्बत को पृथक करने वाले एक अलगावादी के तौर पर देखता है. नेपाल में भी काफी संख्या में तिब्बती निवास कर रहे हैं.
नेपाल के भू-भाग का इस्तेमाल चीन विरोधी गतिविधियों के लिए करने की इजाजत नहीं देने के काठमांडू के आश्वासन के बारे में पूछे जाने पर हुआ ने कहा, ‘चीन और नेपाल मित्र पड़ोसी देश हैं जो पर्वतों और नदियों से जुड़े हुए हैं. यह साल हमारे संबंधों की 65 वीं वर्षगांठ है. हम कोविड-19 के खिलाफ एकजुटता के साथ खड़े रहे और हम आपसी विश्वास एवं मित्रता को बढ़ा रहे हैं. हम आपसी सहयोग बढ़ाएंगे और साथ मिल कर बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) को बढ़ावा देना तथा संबंधों को मजबूत करना जारी रखेंगे.’ उल्लेखनीय है कि जनरल वेई की नेपाल यात्रा भारत के विदेश सचिव हर्ष वर्द्धन श्रृंगला की नेपाल की पहली दो दिवसीय यात्रा संपन्न होने के कुछ ही दिनों बाद हुई है.

भारतीय अधिकारियों की यात्रा से डरा चीन
नवंबर के प्रथम सप्ताह में भारतीय थल सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने नेपाल की तीन दिवसीय यात्रा की थी. उन्होंने यह यात्रा द्विपक्षीय संबंध को नये सिरे से स्थापित करने के उद्देश्य से की. भारत और नेपाल के बीच सीमा विवाद को लेकर दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों में हाल के समय में तनाव देखने को मिला था. जनरल वेई की यात्रा सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) में जारी मतभेद के बीच भी हुई है. निवेश के अलावा नेपाल में नियुक्त चीनी राजदूत होउ यानकी प्रधानमंत्री ओली के लिए समर्थन जुटाने की कोशिश भी कर रहे हैं, जो पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ नीत धड़े से बगावत का सामना कर रहे हैं.

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