मध्यप्रदेश

इंदौर-उज्जैन रोड को फोरलेन से अब छह लेन करने की योजना तैयार, तीन फ्लाई ओवर, छह अंडरपास…

इंदौर / उज्जैन

इंदौर से उज्जैन के बीच छह लेन मार्ग का भूमिपूजन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों हो गया। सत्रह सौ करोड़ की लागत से यह सड़क तैयार होगी। इसके बनने से दोनों शहरों के बीच के सफर में लगने वाले समय में कमी आएगी, साथ ही इंदौर और उज्जैन के बीच बसाहट भी तेज होगी। अभी इंदौर-उज्जैन की सीमा के आसपास तक 30 से ज्यादा टाउनशिपों का काम चल रहा है। छह लेन सड़क बनने के बाद दोनो शहरों के बीच बसाहट और तेज होगी।1

12 साल पहले लगे सिंहस्थ मेले के समय 55 किलोमीटर लंबी इंदौर-उज्जैन रोड को फोरलेन किया गया था। महाकाल लोक बनने के बाद उज्जैन में पर्यटकों की संख्या बढ़ गई है। इसके बाद मध्य प्रदेश सड़क विकास निगम ने इस सड़क को छह लेन करने की योजना तैयार की हैै। इसमें सांवेर, उज्जैन के शांति पैैलेस तिराहा और इंजीनियरिंग काॅलेज के समीप ब्रिज बनाए जाएंगे, जबकि आठ से ज्यादा अंडरपास होंगे।

इंदौर-उज्जैन रोड के लवकुश चौराहे पर इंदौर विकास प्राधिकरण डबलडेकर ब्रिज बना रहा है। यह ब्रिज अरविंदो चौराहे पर खत्म होगा। वहीं से छहलेन सड़क का काम शुरू होगा, जो उज्जैन के हरिफाटक ब्रिज तक बनेगी। समारोह में मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा है कि इस सड़क का निर्माण सिंहस्थ के सालभर पहले ही पूरा हो जाएगा।

रियल इस्टेट सेक्टर में आएगा बूम

उज्जैन में फैक्ट्री-इंडस्ट्री कम है, इस कारण कई लोग इंदौर में जाॅब करते है और किराए के मकान लेते है। छह लेन सड़क बनने के बाद इंदौर से उज्जैन के बीच बसाहट होगी और कम बजट में लोगों को आवास उपलब्ध हो जाएंगे।

कनेक्टिविटी बेहतर होने के कारण लोग वहां बस सकते है। अभी इंदौर से उज्जैन के बीच के सफर में एक घंटा लगता है। सड़क बनने के बाद यह सफर 40 मिनिट में पूरा हो जाएगा। इस सड़क के बनने से धरमपुरी, सांवेर, पंचडेरिया, निनौरा जैसे क्षेत्रों मेें बसाहट तेजी से बढ़ने लगी है। सड़क बनने से पहले ही दस से ज्यादा टाउनशिपों के काम शुरू हो चुके हैै।

46 किमी में बनेंगे तीन फ्लाईओवर

वहीं, इस प्रोजेक्ट में तीन फ्लाईओवर, छह अंडरपास और आठ जंक्शन शामिल हैं, जो इसे सिंहस्थ 2028 के लिए तैयार करेंगे। यह सिक्सलेन परियोजना इंदौर के अरबिंदो अस्पताल से उज्जैन के हरिफाटक ब्रिज तक फैली होगी। 1619 करोड़ रुपए से अधिक की अनुमानित लागत से बनने वाली इस सड़क को मार्च 2028 तक पूरा होने की उम्मीद है। इस परियोजना में तीन फ्लाईओवर और छह अंडरपास के अलावा ग्रामीण कनेक्टिविटी के लिए आठ जंक्शन भी शामिल हैं।

सिंहस्थ में ट्रैफिक कंट्रोल होगा

इस परियोजना का उद्देश्य सिंहस्थ 2028 के दौरान उम्मीद की जा रही भारी भीड़ को कम करना है। वर्तमान में, इंदौर-उज्जैन रोड पर रोजाना 25,000 से ज़्यादा वाहन चलते हैं, जिससे अक्सर भीड़भाड़ होती है। सिक्सलेन के पूरा होने से यात्रा के समय में काफी कमी आने और यात्रा को आसान बनाने की उम्मीद है।

ऐसे होगा काम

इस परियोजना को तीन चरणों में लागू किया जाएगा, जिसकी शुरुआत 14 किलोमीटर के हिस्से से होगी। इसके बाद 16-16 किलोमीटर के दो और खंड बनाए जाएंगे। सांवेर, शांति पैलेस तिराहा और इंजीनियरिंग कॉलेज के पास तीन फ्लाईओवर बनाए जाएंगे।
वाहनों के लिए होंगे अलग-अलग लेन

दोपहिया वाहनों, कारों और भारी वाहनों के लिए अलग-अलग लेन होंगी। आठ जंक्शन ग्रामीण सड़कों को सिक्सलेन से जोड़ेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि स्थानीय यातायात मुख्य राजमार्ग पर बाधा न बने। इस रोड को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि दुर्घटनाओं को कम से कम किया जा सके।

60,000 से ज्यादा वाहनों की आवाजाही होगी

वहीं, सिंहस्थ 2028 तक, इस हाईवे पर प्रतिदिन 60,000 से ज़्यादा वाहनों के आवागमन का अनुमान है। सिक्सलेन होने से ट्रैफिक के दबाव को कम करने में मदद मिलेगी। इससे न केवल इंदौर और उज्जैन के बीच यात्रा करने वालों को फायदा होगा, बल्कि रोड से सटे इंदौर के शहरी क्षेत्रों के लगभग 1 लाख निवासियों को भी फायदा होगा। इससे महाकाल के दर्शन के लिए इंदौर होकर उज्जैन जाने वाले श्रद्धालुओं को विशेष रूप से फायदा होगा।

अभी हाईवे पर है दो टोल प्लाजा

अभी फोरलेन हाईवे पर दो टोल प्लाज़ा हैं। एक सांवेर से पहले बारोली में और दूसरा उज्जैन के पास निनोरा में। कारों के लिए टोल 35 रुपए है। एमपीआरडीसी ही सिक्सलेन हाईवे के लिए भी टोल वसूलेगा। हालांकि, टोल दरों पर अभी तक कोई फैसला नहीं लिया गया है।

टेंडर हो गया है जारी

एमपीआरडीसी ने 46 किलोमीटर लंबे फोरलेन को सिक्सलेन में बदलने के लिए 735 करोड़ रुपये का टेंडर जारी किया था। उदयपुर की कंपनी रवि इंफ्राबिल्ड ने 623 करोड़ रुपये की सबसे कम बोली के साथ इस प्रोजेक्ट को हासिल किया। कंपनी ने 15% कम दर पर बोली लगाई है। सिविल कार्यों पर 735.36 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे, जबकि शेष राशि का उपयोग भूमि अधिग्रहण, सड़क सुरक्षा उपायों और सभी जंक्शनों में सुधार के लिए किया जाएगा।

 

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