मध्यप्रदेश

10 साल बाद भी हक के इंतजार में गैस पीड़ित:7 जून 2010 को CJM मोहन पी तिवारी ने गुनाहगारों को सुनाई थी 2 साल की जेल और जुर्माने की सजा

भोपाल गैस त्रासदी के आपराधिक मामले में निचली अदालत के फैसले के 10 साल बीतने के बाद भी दोषियों का जेल जाना आज तक तय नहीं हो सका है। 2 और 3 दिसंबर 1984 की दरम्यानी रात राजधानी के लोगों ने जिस गैस त्रासदी को भोगा था, उसकी भरपाई शायद कभी नहीं हो सकेगी। लेकिन इंसाफ की बात करें, तो गुनहगारों को आज तक सजा नहीं मिल पाई है। हादसे के 36 साल बाद भी पीड़ित और उनसे जुड़े संगठन भोपाल की सड़कों और चौराहों पर धरने और विरोध प्रदर्शन कर हादसे के गुनहगारों को सजा देने की मांग कानून से करते आए हैं।

7 जून 2010 को CJM मोहन पी तिवारी की कोर्ट ने गुनहगारों को दो साल की जेल और जुर्माने की सजा सुनाई थी। फैसले के बाद CBI गुनहगारों की सजा बढ़ाने की बात लेकर सेशन कोर्ट पहुंची। वहीं गुनहगारों ने खुद को बेगुनाह बताते हुए बरी करने की अपील सेशन कोर्ट में कर दी। सेशन कोर्ट में अपील पेश हुए 10 साल हो चुके हैं। अपील पर चार अलग-अलग जज बहस सुन चुके हैं। गैस पीड़ितों की मानें, तो मामले से जुड़े आरोपियों की उम्र को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि अदालत के फैसला आने तक वे सजा भुगतने के लिए जिंदा रहेंगे भी या नहीं।

CBI और आरोपियों की अपील पर सुनवाई करने वाले जज और उनका कार्यकाल

सुभाष काकड़े- 7 अगस्त 2009 से 30 दिसंबर 2010

सुषमा खोसला- 5 अप्रैल 2011 से 31 मार्च 2015

राजीव दुबे- 1 अप्रैल 2015 से 7 अक्टूबर 2016

शैलेंद्र शुक्ला- 21 अक्टूबर 2016 से 19 अक्टूबर 2018

राजेंद्र कुमार वर्मा वर्तमान जिला जज- 1 दिसंबर 2018 से निरंतर सुनवाई कर रहे हैं

भोपाल गैस त्रासदी मामले में CJM कोर्ट का फैसला

कोर्ट में पेश चार्ज शीट में वाॅरेन एंडरसन, केशव महेंद्रा, विजय प्रभाकर गोखले, किशोर कामदार, जे मुकुंद, डाक्टर आरबी राय चौधरी, एसपी चौधरी, केवी शेट्‌टी और एसआई कुरैशी के नाम थे। राजधानी के तत्कालीन CJM मोहन पी तिवारी ने 7 जून 2010 को फैसला सुनाया था। कानूनी प्रावधानों चलते सजा सुनाए जाने के बाद आरोपियों ने जुर्माना जमा किया और उन्हें जमानत मिल गई। CJM कोर्ट ने सभी सात आरोपियों को IPC की धारा 304 ,336 ,337 और 338 के तहत दोषी माना था।

आरोपियों में UCIL के तत्कालीन चेयरमैन केशव महेंद्रा, UCIL के मैनेजिंग डायरेक्टर विजय गोखले, तत्कालीन वाइस प्रेसीडेंट किशोर कामदार, तत्कालीन वर्क मैनेजर जे. मुकुन्द, तत्कालीन प्रोडक्शन मैनेजर एसपी चौधरी, तत्कालीन अधीक्षक केवी शेट्टी और तत्कालीन प्रोडक्शन असिस्टेंट एसआई कुरैशी उर्फ शकील कुरैशी को धारा 304-ए (लापरवाही पूर्वक कृत्य से किसी व्यक्ति की मृत्यु होना) के तहत दो साल की सजा और एक लाख रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई थी।

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