नई दिल्ली
उच्चतम न्यायालय ने पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी की उस याचिका पर सुनवाई 30 सितंबर तक के लिए स्थगित कर दी, जिसमें उन्होंने सुल्तानपुर लोकसभा सीट से समाजवादी पार्टी के राम भुआल निषाद के चुनाव को चुनौती दी है।
इस साल हुए लोकसभा चुनाव में निषाद ने मेनका गांधी को 43,174 वोटों के अंतर से हरा दिया था।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्जवल भुइयां की पीठ ने मेनका गांधी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा को अन्य विशेष कानूनों में याचिका दाखिल करने की सीमा तय करने के प्रावधान का विश्लेषण करते हुए विस्तृत दलीलें दाखिल करने के लिए समय दिया।
मेनका गांधी ने एक अलग याचिका में चुनाव याचिका दाखिल करने के लिए लगाई गई 45 दिनों की सीमा को चुनौती दी है।
अपनी अपील में मेनका ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 14 अगस्त के आदेश को चुनौती दी, जिसमें निषाद के चुनाव को चुनौती देने वाली उनकी चुनाव याचिका को समय-सीमा समाप्त होने के कारण खारिज कर दिया गया था।
उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने कहा कि याचिका 45 दिन की समय-सीमा के बाद दायर की गई थी, जो उच्च न्यायालय के समक्ष चुनाव याचिका दाखिल करने की वैधानिक अवधि है, और इसलिए याचिका पर गुण-दोष के आधार पर सुनवाई नहीं की जा सकती।
मेनका गांधी ने तर्क दिया कि निषाद ने मतदाताओं को अपने पूरे आपराधिक इतिहास को जानने के अधिकार से वंचित किया और इसलिए याचिका दायर करने में देरी को माफ किया जाना चाहिए।
उन्होंने तर्क दिया कि निषाद के खिलाफ 12 आपराधिक मामले लंबित हैं, लेकिन उन्होंने अपने हलफनामे में केवल आठ के बारे में जानकारी दी है।
मेनका गांधी की दलील को खारिज करते हुए, उच्च न्यायालय ने कहा था, ‘‘यह चुनाव याचिका जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 81 के साथ धारा 86 और दीवानी प्रक्रिया संहिता के आदेश 7 नियम 11 (डी) के तहत समय-सीमा समाप्त होने के कारण खारिज किए जाने योग्य है।’’