ज्योतिष एवं वास्तुशास्त्र में मोर के पंखों का अति महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। मोरपंख को घर में रखना शुभ माना जाता है। भगवान श्री कृष्ण ने अपने मुकुट पर स्थान दे कर मोरपंख को सम्मान दिया। मोर को देवताओं का पक्षी होने का भी गौरव प्राप्त है, मोर सरस्वती देवी का भी वाहन है, इसलिए विद्यार्थी मोरपंख को अपनी पाठ्य-पुस्तकों के मध्य भी रखते आ रहे हैं।
घर के दक्षिण-पूर्व कोण में मोरपंख लगाने से बरकत बढ़ती है व अचानक कष्ट नहीं आता है।
यदि मोरपंख किसी मंदिर में श्री राधा-कृष्ण की मूर्ति के मुकुट में 40 दिन के लिए स्थापित कर प्रतिदिन माखन-मिश्री का भोग सायंकाल में लगाएँ, 41वें दिन उसी मोरपंख को मंदिर से दान, दक्षिणा, भोग प्रसाद चढ़ाकर घर लाकर अपने खजाने या लॉकर में स्थापित करें तो आप स्वयं ही अनुभव करेंगें कि धन, सुख-शान्ति की वृद्धि हो रही है। सभी रुके हुए कार्य भी इस प्रयोग के कारण बनते जा रहे हैं।
ज्योतिष आचार्यों के अनुसार मोरपंख में कालसर्पदोष के दुष्प्रभाव को दूर करने की अद्भुत क्षमता है, कालसर्प दोष वाले व्यक्ति को अपने तकिए के कवर के अंदर 9 मोरपंख पूर्णिमा के दिन अथवा किसी भी शुभ मुहूर्त में रखना चाहिए, इससे किसी भी प्रकार का दुःस्वप्न नहीं आता है। अन्य उपायों के साथ मोरपंख के प्रयोग से कालसर्प दोष को प्रभावहीन किया जा सकता है।
मोरपंख के पंखे के बारे में आपने सुना होगा, मोरपंख की हवा से किसी भी व्यक्ति के उपर भूत-प्रेत के साए अथवा नकारात्मक उर्जाओं को समाप्त किया जा सकता है।
मोर की सर्प से शत्रुता होती है, तथा सर्प को ज्योतिष शास्त्र में राहु-केतु की संज्ञा दी गई है, यदि मोरपंख को घर के पूर्वी और उत्तर-पश्चिम दीवार में या अपनी जेब व डायरी में रखें तो राहु-केतु अथवा इनसे बनने वाला कालसर्प योग व्यक्ति को कम से कम प्रभावित करता है।
बालक के सिर की दाहिनी तरफ दिन-रात एक मोरपंख चांदी के ताबीज में डालकर रखने से बालक डरता नहीं है तथा नजरदोष और अला-बला से बचा रहता है।
मोरपंख का प्रयोग वास्तु दोष के शमन हेतु भी किया जाता है।
मोरपंख का प्रयोग एवं उसे घर में रखने से आर्थिक तंगी दूर होती है तथा घर में सुख-शांति का वास होता है।