नई दिल्ली
त्योहारी सीजन शुरू होने से पहले लोगों को महंगाई का झटका लगा है। देश के खाद्य तेल-तिलहन बाजार में पिछले सप्ताह मूंगफली तेल-तिलहन और डी-आयल्ड केक (डीओसी) की कमजोर मांग के कारण सोयाबीन तिलहन के दाम में गिरावट देखी गई। जबकि, नरम तेलों (सॉफ्ट आयल) की कमी के चलते सरसों तेल, सोयाबीन तेल, कच्चा पामतेल (सीपीओ) और पामोलीन तेल के भाव में सुधार हुआ।
मूंगफली और सोयाबीन के दाम
बाजार में मूंगफली और सोयाबीन के दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से 5-7 प्रतिशत और सूरजमुखी के दाम 20-25 प्रतिशत नीचे हैं। सोयाबीन डीगम तेल का दाम 1,015-1,020 डॉलर प्रति टन से बढ़कर 1,060-1,065 डॉलर प्रति टन हो गया है। इसी तरह, सूरजमुखी तेल और सीपीओ के दाम में भी वृद्धि हुई है। पिछले साल मध्य प्रदेश के खारगौन में किसानों को कपास नरमा का दाम 6,400 रुपए क्विंटल मिला था, जो अब बढ़कर 7,400-7,500 रुपए क्विंटल हो गया है।
पशु आहार के लिए सख्त कानून
बाजार के जानकारों का कहना है कि सरकार को पशु आहार के लिए सख्त कानून बनाना चाहिए, ताकि नकली खल के कारोबार को रोका जा सके। आने वाले 10-15 दिनों में नरमा की आवक बढ़ने की उम्मीद है।
तेल-तिलहन के दाम
सरसों दाने का थोक भाव: 75 रुपए बढ़कर 6,675-6,725 रुपए प्रति क्विंटल
सरसों दादरी तेल का भाव: 250 रुपए बढ़कर 14,000 रुपए प्रति क्विंटल
सोयाबीन दाने और लूज का भाव: क्रमशः 70 रुपए की गिरावट के साथ 4,830-4,880 रुपए प्रति क्विंटल और 4,605-4,740 रुपए प्रति क्विंटल
मूंगफली तेल की कीमतों में गिरावट
मूंगफली तिलहन की कीमत 125 रुपए गिरकर 6,350-6,625 रुपए क्विंटल हो गई। मूंगफली तेल गुजरात में 275 रुपये गिरकर 15,100 रुपए क्विंटल पर बंद हुआ। इसके विपरीत, कच्चा पाम तेल (सीपीओ) 450 रुपए बढ़कर 11,550 रुपए प्रति क्विंटल पर पहुंच गया। इस प्रकार, खाद्य तेल-तिलहन बाजार में विभिन्न तिलहन की कीमतों में उठापटक जारी है, जो आने वाले दिनों में और भी प्रभावित हो सकती है।