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डिस्कॉम पर लगातार बढ़ रहा बकाया, अक्टूबर में 29 फीसदी बढ़कर 1.38 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचा

अक्टूबर में कुल बकाया इससे पिछले महीने की तुलना में बढ़ा है. सितंबर, 2020 में डिस्कॉम पर कुल बकाया 1,36,566 करोड़ रुपये था. सरकार ने मई में डिस्कॉम के लिए 90,000 करोड़ रुपये की नकदी डालने की योजना पेश की थी. बाद में सरकार ने इस पैकेज का बढ़ाकर 1.2 लाख करोड़ रुपये कर दिया था.

बिजली वितरण कंपनियों (DISCOM) पर बिजली उत्पादक कंपनियों (जेनको) का बकाया अक्टूबर, 2020 में सालाना आधार पर 29 फीसदी बढ़कर 1,38,187 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है. अक्टूबर, 2019 तक डिस्कॉम पर बिजली वितरण कंपनियों का बकाया 1,06,734 करोड़ रुपये था. पेमेंट रैटिफिकेशन एंड एनालिसिस इन पावर प्रोक्यूरमेंट फॉर ब्रिंगिंग ट्रांसपैरेंसी इन इन्वॉयसिंग ऑफ जेनरेशन (PRAAPTI) पोर्टल से यह जानकारी मिली है.

बिजली उत्पादकों तथा वितरकों के बीच बिजली खरीद लेनदेन में पारदर्शिता लाने के लिए प्राप्ति पोर्टल मई, 2018 में शुरू किया गया था. अक्टूबर, 2020 तक 45 दिन की मियाद की अवधि केबाद भी डिस्कॉम पर बकाया राशि 1,25,743 करोड़ रुपये थी. यह एक साल पहले 93,559 करोड़ रुपये थी.

अक्टूबर में पिछले महीने की तुलना में बकाया बढ़ा
पोर्टल के ताजा आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर में कुल बकाया इससे पिछले महीने की तुलना में बढ़ा है. सितंबर, 2020 में डिस्कॉम पर कुल बकाया 1,36,566 करोड़ रुपये था. अक्टूबर, 2020 में डिस्कॉम पर 45 दिन की मियाद की अवधि के बाद बकाया बढ़ा है. सितंबर, 2020 में यह 1,24,675 करोड़ रुपये था.

45 दिन बाद बकाये में आज जाता है बिल
बिजली उत्पादक कंपनियां डिस्कॉम को बेची गई बिजली के बिल का भुगतान करने के लिए 45 दिन का समय देती हैं. उसके बाद यह राशि पुराने बकाये में आ जाती है. ज्यादातर ऐसे मामलों में बिजली उत्पादक दंडात्मक ब्याज वसूलते हैं.

बिजली उत्पादक कंपनियों को राहत के लिए केंद्र ने एक अगस्त, 2019 से भुगतान सुरक्षा प्रणाली लागू है. इस व्यवस्था के तहत डिस्कॉम को बिजली आपूर्ति पाने के लिए साख पत्र देना होता है. केंद्र सरकार ने बिजली वितरण कंपनियों को भी कुछ राहत दी है. कोविड-19 महामारी की वजह से डिस्कॉम को भुगतान में देरी के लिए दंडात्मक शुल्क को माफ कर दिया था.

डिस्कॉम में 1.2 लाख करोड़ रुपये डालने की सरकार की योजना
सरकार ने मई में डिस्कॉम के लिए 90,000 करोड़ रुपये की नकदी डालने की योजना पेश की थी. इसके तहत बिजली वितरण कंपनियां पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन तथा आरईसी लिमिटेड से सस्ता कर्ज ले सकती हैं. इस पहल से बिजली उत्पादक कंपनियों को भी राहत मिलेगी. बाद में सरकार ने इस पैकेज का बढ़ाकर 1.2 लाख करोड़ रुपये कर दिया था.

आंकड़ों से पता चलता है कि राजस्थान, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, झारखंड, हरियाणा और तमिलनाडु की बिजली वितरण कंपनियों का उत्पादक कंपनियों के बकाये में सबसे अधिक हिस्सा है. भुगतान की मियाद की अवधि समाप्त होने के बाद अक्टूबर तक डिस्कॉम पर कुल 1,25,743 करोड़ रुपये का बकाया है. इसमें स्वतंत्र बिजली उत्पादकों का हिस्सा 34.19 प्रतिशत है. वहीं, केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम की जेनको का बकाया 34.57 प्रतिशत है.

सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों में अकेले एनटीपीसी को ही डिस्कॉम से 19,749.72 करोड़ रुपये वसूलने हैं. एनएलसी इंडिया का बकाया 6,694.42 करोड़ रुपये, दामोदर वैली कॉरपोरेशन का 5,921.81 करोड़ रुपये, एनएचपीसी का 2,932.48 करोड़ रुपये तथा टीएचडीसी इंडिया का बकाया 2,010.89 करोड़ रुपये है.

निजी बिजली उत्पादक कंपनियों में अडाणी पावर का बकाया 20,242.44 करोड़ रुपये, बजाज समूह की ललितपुर पावर जेनरेशन कंपनी का 4,002.54 करोड़ रुपये, जीएमआर का 2,190.86 करोड़ रुपये और एसईएमबी (सेम्बकॉर्प) का 1,866.50 करोड़ रुपये है. गैर-परंपरागत ऊर्जा स्रोतों मसलन सौर और पवन ऊर्जा कंपनियों का बकाया 11,072.88 करोड़ रुपये है.

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