न्यूयॉर्क
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत को स्थायी सदस्यता देने का समर्थन करेगा अमेरिका। अमेरिकी विदेश मंत्री ने यह जानकारी दी। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में वैश्विक शांति और विकास सुनिश्चित करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में सुधार का आह्वान किया था। उनका इशारा अप्रत्यक्ष रूप से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता की मांग की ओर था।
इसके बाद अमेरिकी विदेश मंत्री ने इस मुद्दे पर अमेरिका का रुख स्पष्ट किया। अमेरिका ने यह भी मांग की कि भारत के अलावा दो अफ्रीकी देशों को भी स्थायी सदस्यता दी जानी चाहिए। अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में सुरक्षा परिषद के विस्तार पर जल्द ही चर्चा शुरू करने का आह्वान किया। इस बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने न्यूयॉर्क में यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की से मुलाकात की। मोदी ने कहा कि रूस- यूक्रेन युद्ध को जल्द से जल्द खत्म करने और शांति बहाल करने के लिए भारत हरसंभव मदद करेगा।
मोदी-ज़ेलेंस्की मुलाकात से संकेत मिलता है कि भारत रूस-यूक्रेन संघर्ष को सुलझाने के लिए मध्यस्थता वार्ता के लिए तैयार है। बैठक के बाद जारी एक बयान में कहा गया है कि बातचीत में इस बात पर जोर दिया गया कि संबंधित 'सभी पक्षों' को शामिल करते हुए बातचीत के जरिए ही इस मुद्दे का समाधान निकाला जाना चाहिए। इससे पहले भारत का रुख था कि दोनों देशों के बीच बातचीत होनी चाहिए। बयान में कहा गया है कि भारत इस मुद्दे को कूटनीति और बातचीत के जरिए सुलझाने के लिए हरसंभव प्रयासों का समर्थन करता है।
1. अमेरिका से संबंधों में आएगी प्रगाढ़ता
पिछले कुछ सालों में भारत और अमेरिका के संबंधों में प्रगाढ़ता देखने को मिली है. पीएम मोदी ऐसे समय अमेरिकी दौरे पर पहुंचे, जब वहां राष्ट्रपति चुनाव का जोर चल रहा है. हालांकि, अगला प्रेसिडेंट कोई बने, यह लगभग तय है कि दोनों देशों के संबंधों में और ज्यादा नजदीकियां देखने को मिल सकती हैं. मोदी के इस दौरे पर दुनिया की नजरें भी टिकी थीं. अमेरिकी धरती से पीएम मोदी ने शांति का संदेश दिया. आतंकवाद पर हमले के लिए एकजुटता दिखाने के लिए माहौल बनाया और व्यापार के क्षेत्र में दिग्गजों को भारत में निवेश करने के फायदे भी गिनाए.
भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी कहते हैं कि भारतीय इतिहास में पीएम मोदी 'सबसे ज्यादा अमेरिकी समर्थक प्रधानमंत्री' हैं और राष्ट्रपति जो बाइडेन अमेरिकी इतिहास में 'सबसे ज्यादा भारत समर्थक राष्ट्रपति' हैं. दोनों के बीच गहरी दोस्ती है, जो हमारे देशों के बीच बढ़ती नजदीकियों को दर्शाती है. उन्होंने क्वाड को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग के लिए एक शक्तिशाली मंच बताया.
2. पीसमेकिंग पर क्वाड एकजुट
चार देशों के बीच जंग छिड़ी है और भारत लगातार शांति की अपील कर रहा है. शांति और बातचीत के जरिए विवाद सुलझाने का मंत्र दे रहा है. रविवार को जब अमेरिका में क्वाड लीडर समिट हुई तो भारत ने पीसमेकिंग पर कूटनीतिक बढ़त हासिल की. इस समिट में आतंकवाद की निंदा की गई और परोक्ष रूप से पाकिस्तान का भी जिक्र आया. क्वाड के देश भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया ने साझा बयान जारी किया है. इसमें खासतौर पर मुंबई के 26/11 और 2016 के पठानकोट हमले पर पाकिस्तान को घेरा है. क्वाड देश के नेताओं ने आतंकवाद के खिलाफ मिलकर काम करने की प्रतिबद्धता जताई है. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 प्रतिबंध कमेटी के जरिए आतंकवाद के अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की गई.
3. चीन को घेरने की डिप्लोमैसी भी…
भारत डिप्लोमेसी की मदद से पड़ोसी दुश्मन देशों को भी घेरने के फुल प्रूफ पर आगे बढ़ रहा है. क्वाड समिट (Quad Summit) में चीन और पाकिस्तान की हरकतों पर भी सख्त संदेश दिया गया. क्वाड ने चीन से मुकाबले के लिए पहली बार जॉइंट कोस्ट गार्ड मिशन का भी ऐलान किया. क्वाड के चारों देशों ने साझा बयान में कहा, हम पूर्वी और दक्षिण चीन सागर के हालात को लेकर गंभीर तौर पर चिंतित हैं. यहां तक कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अनौपचारिक तौर पर चीन पर कड़ी टिप्पणी की. बाइडेन ने कहा, चीन, क्वाड देशों की परीक्षा (धैर्य की) ले रहा है. हालांकि, बाइडेन को यह अंदाजा नहीं था कि माइक ऑन है. हालांकि, पीएम मोदी ने कहा, क्वाड किसी देश के खिलाफ नहीं है.
4. डिफेंस सेक्टर में क्या सफलता?
क्वाड समिट से पहले भारत और अमेरिका के बीच बड़ी बिजनेस पर भी आखिरी मुहर लगी है. भारत ने अमेरिका से आकाश और समुद्र की सुरक्षा के लिए MQ-9B गार्जियन ड्रोन खरीदा है. ये मेगा डील में शामिल है. इन अमेरिकी किलर और एडवांस्ड ड्रोन्स से भारत की इंटेलिजेंस, सर्विलांस और रिकोनाइसेंस (ISR) क्षमताओं में वृद्धि होगी. इनमें 16 ड्रोन्स स्काई गार्डियन (हवाई सुरक्षा के लिए) और सी गार्डियन (समुद्री सुरक्षा के लिए) हैं. इस कदम से भारत के सुरक्षा बलों को धरती, समुद्र और वायु क्षेत्र में मजबूत करने में मदद मिलेगी. पीएम मोदी और बाइडेन ने रक्षा और सैन्य भागीदारी को मजबूत करने समेत नए सेमीकंडक्टर फैब्रिकेशन प्लांट खोले जाने पर भी बात की. भारत और अमेरिका अत्याधुनिक राष्ट्रीय सुरक्षा सेमीकंडक्टर मैन्यूफैक्चरिंग प्लांट स्थापित करने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं. विलमिंगटन में उच्च स्तरीय बैठक के बाद साझेदारी की घोषणा की गई. यह पहली बार है जब अमेरिकी सेना की US स्पेस फोर्स सेमीकंडक्टर टेक्नोलॉजी पर भारत के साथ सहयोग करने जा रही है. भारत में यह फैब्रिकेशन प्लांट 2025 में स्थापित किया जाएगा और इसका नाम शक्ति रखा जाएगा.
भारत में रक्षा संबंधी उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए पीएम मोदी ने MRO सेक्टर यानी कि मेंटेंनेंस, रिपेयर और ओवरहॉलिंग क्षेत्र में जीएसटी की दरों को 5 फीसदी कर दिया है. इससे इस क्षेत्र में अमेरिकी कंपनियों के आने की उम्मीद है. अमेरिकी कंपनियों ने भारत में MRO सेक्टर में बदलाव का वादा किया है. अमेरिकी कंपनियां मानव रहित यान की मरम्मत की सुविधा भारत में विकसित करने के लिए बड़े पैमाने पर निवेश करना चाहती है.
6. दुनिया को कराया भारत की ताकत का एहसास
पीएम मोदी ने अमेरिकी दौरे पर दुनिया को भी अपनी ताकत का एहसास कराया. उन्होंने कहा, आज हमारी साझेदारी पूरी दुनिया के साथ बढ़ रही है. पहले भारत सबसे समान दूरी की नीति पर चलता था. आज भारत सबसे सामान नजदीकी की नीति पर चल रहा है. आज जब भारत ग्लोबल प्लेटफॉर्म पर कुछ कहता है तो दुनिया सुनती है. मैंने जब कहा कि 'यह युद्ध का युग नहीं है' तो उसकी गंभीरता सबने समझी.
7. पर्सनल बॉन्ड क्या?
पीएम मोदी ने अमेरिका में रहने वाले भारतीय समुदाय की सुविधाओं का भी ख्याल रखा है. उन्होंने ऐलान किया कि अब बोस्टन और लॉस एंजिल्स में नए वाणिज्य दूतावास खोले जाएंगे. उन्होंने कहा, पिछले साल मैंने घोषणा की थी कि हमारी सरकार सिएटल में एक नया कॉन्सुलेट खोलेगी. यह अब शुरू हो चुका है. हमने दो और कॉन्सुलेट्स खोलने के लिए आपके सुझाव मांगे थे. मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि भारत ने बोस्टन और लॉस एंजिल्स में दो नए कॉन्सुलेट्स खोलने का निर्णय लिया है.
पीएम ने कहा, अपना नमस्ते भी मल्टीनेशनल हो गया है. लोकल से ग्लोबल हो गया है. ये सब आपने किया है. पीएम मोदी ने भारतीय समुदाय से कहा, मैं हमेशा से आपके सामर्थ्य को समझता रहा हूं. जब मेरे पास कोई सरकारी पद नहीं था, तब भी समझता था और आज भी समझता हूं. आप सब मेरे लिए हमेशा से भारत के सबसे मजबूत ब्रांड एंबेसडर रहे हैं, इसलिए मैं आप सभी को राष्ट्रदूत कहता हूं.
8. बिजनेसमैन को क्या दिया संदेश
पीएम मोदी ने कई प्रमुख टेक कंपनियों के सीईओ से मुलाकात की और भारत में निवेश करने का न्योता दिया. उन्होंने भारत की संभावनाओं और अवसरों पर चर्चा की. इस राउंड टेबल मीटिंग में सेमीकंडक्टर, इलेक्ट्रॉनिक्स से लेकर बायोटेक्नोलॉजी जगत के कई प्रमुख लोग शामिल हुए. पीएम मोदी ने एआई, क्वांटम कंप्यूटिंग, सेमीकंडक्टर और बायोटेक्नोलॉजी जैसे अत्याधुनिक क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने पर चर्चा की. इससे पहले न्यूयॉर्क में पीएम मोदी ने भारतीय समुदाय को संबोधित किया, जिसमें उन्होंने टेक्नोलॉजी के क्षेत्र से जुड़ीं भारत की उपलब्धियों को साझा किया. पीएम ने कहा, आज दुनिया का करीब-करीब हर बड़ा मोबाइल ब्रांड मेड इन इंडिया है. आज भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल मैन्युफैक्चरर है. एक जमाना था कि हम मोबाइल इम्पोर्टर थे, आज हम मोबाइल एक्सपोर्टर बन गए हैं.
पीएम मोदी का कहना था कि वैश्विक तकनीक कंपनियां भारत के विकास गाथा का हिस्सा बनें. भारत दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का हरसंभव प्रयास करेगा.
9. संयुक्त महासभा में बताई सामूहिक एकता की ताकत
प्रधानमंत्री मोदी ने संयुक्त महासभा में सामूहिक एकता के बारे में समझाया. उन्होंने वैश्विक शांति की वकालत की और कहा, मानवता की सफलता सामूहिक शक्ति में निहित है. युद्ध के मैदान में नहीं. वैश्विक शांति और विकास के लिए वैश्विक संस्थाओं में सुधार महत्वपूर्ण हैं. सुधार प्रासंगिकता की कुंजी है. उन्होंने कहा, जब अंतरराष्ट्रीय समुदाय दुनिया के भविष्य पर चर्चा कर रहा है तो सर्वोच्च प्राथमिकता मानव केंद्रित दृष्टिकोण होना चाहिए.
दरअसल, संयुक्त महासभा अपना प्रभाव और प्रासंगिकता दोनों खोता जा रहा है. उसके बावजूद संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद में सुधार की कोई उम्मीद नहीं दिख रही है.
पीएम मोदी ने बताया कि किस तरह भारत ने सतत विकास के जरिए लोगों को गरीबी से बाहर निकाला है. उन्होंने कहा, आज मैं यहां 1.4 अरब भारतीयों और मानवता के छठे हिस्से की आवाज उठाने आया हूं. हमने भारत में 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाला है. हमने दिखाया है कि सतत विकास सफल हो सकता है. हम सफलता के इस अनुभव को पूरे ग्लोबल साउथ के साथ साझा करने के लिए तैयार हैं. पीएम मोदी ने साइबर अपराध के बढ़ते खतरे के बारे में भी बात की. उन्होंने कहा, जहां एक ओर आतंकवाद वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बना हुआ है, वहीं दूसरी ओर साइबर, समुद्री और अंतरिक्ष जैसे सेक्टर संघर्ष के नए क्षेत्र के रूप में उभर रहे हैं. अब समय आ गया है कि वैश्विक कार्रवाई महात्वाकांक्षा के अनुरूप होना चाहिए.
10. UNSC में स्थायी सीट की दावेदारी को बल मिला
पीएम मोदी के दौरे में संयुक्त राष्ट्र महासभा में स्थायी सदस्यता के मुद्दे पर भी बात हुई है. अमेरिका ने भारत की दावेदारी का समर्थन किया है. व्हाइट हाउस की ओर से जारी बयान में कहा गया, राष्ट्रपति बाइडेन ने पीएम मोदी के साथ बातचीत में कहा कि अमेरिका, भारत की महत्वपूर्ण आवाज को रखने के लिए वैश्विक संस्थानों में सुधार की पहल का समर्थन करता है, जिसमें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत के लिए स्थायी सदस्यता भी शामिल है. बयान में कहा गया है, हम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार करेंगे. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की सदस्यता की स्थायी और अस्थायी श्रेणियों में विस्तार के जरिए इसे ज्यादा प्रतिनिधित्वपूर्ण, समावेशी, पारदर्शी, कुशल, प्रभावी, लोकतांत्रिक और जवाबदेह बनाने की तत्काल जरूरत को स्वीकार करेंगे. क्वाड देशों के अलावा कई अन्य राष्ट्रों ने भी UNSC में स्थायी सीट के लिए भारत की उम्मीदवारी का समर्थन किया है.
पिछले साल सितंबर में बाइडेन ने नई दिल्ली में जी-20 समिट के दौरान प्रधानमंत्री मोदी के साथ द्विपक्षीय बैठक में UNSC में स्थायी सदस्यता के लिए भारत का समर्थन किया था. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में वर्तमान में पांच स्थायी सदस्य हैं- अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस और चीन. इन देशों के पास प्रस्तावों पर वीटो लगाने की क्षमता समेत महत्वपूर्ण पावर हैं. दो वर्ष के कार्यकाल के लिए चुने गए अस्थायी सदस्य परिषद के एजेंडे में योगदान देते हैं, लेकिन उनके पास अपने स्थायी समकक्षों की तरह वीटो पावर नहीं होती. भारत को आठ बार UNSC के अस्थायी सदस्य के रूप में चुना गया है. हालिया कार्यकाल 2021-22 का है.
फिलिस्तीन और यूक्रेन के मसले पर क्या रुख?
प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिका में फिलिस्तीन राष्ट्रपति महमूद अब्बास और यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की से मुलाकात की है. मोदी ने फिलिस्तीनी राष्ट्राध्यक्ष के साथ बैठक में गाजा में मानवीय संकट और क्षेत्र में बिगड़ती सुरक्षा स्थिति पर चिंता जताई. क्षेत्र में शांति और स्थिरता की जल्दी बहाली के लिए भारत का समर्थन भी दोहराया. पीएम मोदी ने कहा कि जल्द सीजफायर हो और बंधकों की रिहाई की जाए. इसके साथ ही बातचीत के रास्ते पर लौटने के लिए भी कहा.
यूक्रेन से समाधान के लिए समर्थन दोहराया….
पीएम मोदी ने यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की से मुलाकात की और यूक्रेन में संघर्ष के शीघ्र समाधान और क्षेत्र में शांति और स्थिरता की बहाली के लिए भारत का समर्थन दोहराया. करीब तीन महीने में पीएम मोदी और जेलेंस्की के बीच यह तीसरी मुलाकात थी. इस साल अगस्त में पीएम मोदी ने युद्ध प्रभावित यूक्रेन का दौरा किया था और रूस के साथ चल रहे संघर्ष में शांति के लिए भारत के रुख पर जोर दिया था.
एक्स पर पोस्ट में पीएम मोदी ने राष्ट्रपति जेलेंस्की से मुलाकात की तस्वीरें शेयर कीं और कहा, न्यूयॉर्क में राष्ट्रपति जेलेंस्की से मुलाकात की. हम द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए पिछले महीने यूक्रेन की मेरी यात्रा के परिणामों को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. हमने यूक्रेन में संघर्ष के शीघ्र समाधान और शांति और स्थिरता की बहाली के लिए भारत के समर्थन को दोहराया.
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बताया, राष्ट्रपति जेलेंस्की के साथ बैठक में पीएम मोदी ने कहा कि उन्होंने हमेशा शांति के रास्ते पर आगे बढ़ने की बात की है. अगर शांति नहीं होगी तो विकास भी नहीं हो सकेगा. युद्ध खत्म होगा या नहीं, ये तो वक्त ही बताएगा, लेकिन सबकी कोशिशें किसी न किसी तरह से युद्ध का अंत ढूंढने पर ही केंद्रित हैं. राष्ट्रपति जेलेंस्की के साथ बातचीत में पीएम मोदी ने उन्हें यह भी बताया कि उनकी अलग-अलग देशों के नेताओं से बात हुई है और इस विषय पर चर्चा होती रहती है. सभी की राय यही है कि हमें किसी भी तरह युद्ध में सीजफायर का रास्ता निकालना होगा और इस संबंध में हमारे प्रयास भी जारी हैं.
पीएम मोदी ने कुवैत के क्राउन प्रिंस शेख सबा खालिद अल-हमद अल-सबाह के साथ द्विपक्षीय बैठक की. इसके अलावा, नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली से भी मुलाकात की और उनका नेपाल आने का न्योता स्वीकार किया है.