भारत की ओर से लैपटॉप इंपोर्ट बैन की डेडलाइन को तीन माह के लिए बढ़ा दिया गया है। सरकार ने मंगलवार को अपनी मौजूदा इंपोर्ट मैनेजमेंट सिस्टम (IMS) सर्टिफिकेशन की डेडलाइन को बढ़ाकर 31 दिसंबर 2024 कर दिया है। यह डेडलाइन आईटी हार्डवेयर प्रोडक्ट जैसे पर्सनल कंप्यूटर, लैपटॉप, टैबलेट पर लागू होगी। ऐसे में अमेरिकी टेक कंपनियों जैसे Apple, Dell और HP जैसे अमरेकी कंपनियों की बल्ले-बल्ले हो गई है। बता दें कि लैपटॉप इंपोर्ट बैन का फैसला पीएम मोदी के अमेरिकी दौरे के बाद लिया गया है। इससे पहले भी लैपटॉप बनाने वाली अमेरिकी कंपनियां भारत के लैपटॉप बैन के फैसले का विरोध कर चुकी हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या अमेरिका का दबाव काम कर गया है?
अमेरिकी दबाव में लिया गया फैसला
थिंकटैंक ग्लोबल रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) ने कहा है कि भारत की तरफ से लैपटॉप इंपोर्ट बैन में लगातार देरी की जा रही है। ऐसा माना जा रही है कि इसके पीछे अमेरिकी दबाव काम कर रहा है, जिसे खत्म होने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि यह इंडिया का वक्त है। ऐसे वक्त में भारत को अपने नियमों को कड़ाई से लागू करना चाहिए, जिससे लोकल लैपटॉप को बढ़ावा मिल सके। GTRI के फाउंडर अजय श्रीवास्तव की मानें, तो सरकार को अमेरिकी कंपनियों जैसे ऐपल, डेल, एचपी को अपनी मैन्युफैक्चिरिंग को चीन से भारत शिफ्ट करने पर दबाव डालाना चाहिए।
दोबारा से करना होगा अप्लाई
डायरेक्टरेट जनरल ऑफ फॉरेन ट्रेड (DGFT) ने एक पॉलिसी सर्कुलेशन में कहा है कि इंपोर्ट के लिए 1 जनवरी 2024 से अथॉरिटी को दोबारा से एप्लीकेशन जारी करना होगा। इसे लेकर जल्द ही एक डिटेल्ड गाइडलाइन जारी की जाएगी। बता दें कि लैपटॉप इंपोर्ट बैन की डेडालाइन के रिव्यू का आखिरी तारीख 30 सितंबर 2024 थी। ईटी की रिपोर्ट की मानें, तो मंगलवार को सरकार ने आयात प्राधिकरण प्रणाली के विस्तार पर विचार किया है। सरकार के इस फैसले का इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय (MeitY) का सपोर्ट हासिल है।
3 अगस्त 2023 को पहली बार बैन का ऐलान
केंद्र सरकार की ओर से पहली बार 3 अगस्त 2023 में लैपटॉप इंपोर्ट पर बैन लगाया गया है, जिसे 1 अक्टूबर 2023 से देशभर में प्रभावी होना था। इसके तहत लैपटॉप, टैबलेट, ऑल-इन-वन पर्सनल कंप्यूटर, अल्ट्रा स्मॉल फैक्टर कंप्यूटर और सर्वर के अयात पर प्रतिबंध लगाया गया था। हालांकि सरकार के इस फैसले को लेकर इंडस्ट्री में काफी चिंताएं जाहिर की गई थई। इसके बाद सरकार ने पिछले साल अक्टूबर में इंपोर्ट के लिए इंपोर्ट मैसेजमेंट/ अथराइजेशन लागू किया गया था, जिससे इन प्रोडक्ट की मार्केट सप्लाई बाधित हुए बिना उसे ट्रैक कर पाएंगे। वही इंपोर्टर को 30 सितंबर तक की अथॉरिटी के पास अप्लाई करने का निर्देश दिया गया है। इस सिस्टम के तहत सरकार 110 अप्लीकेशन को क्लियर कर चुकी है। Dell, Apple, HP, Lenovo, ASUS, IBM, Samsung, Xiaomi, Cisco जैसे ब्रांड को अथरॉइजेशन मिल चुका है।
भारतीय मार्केट में अमेरिकी कंपनियोंका कब्जा
अगर भारत की बात करें, तो यहां लैपटॉप और टैबलेट सेगमेंट में अमेरिकी कंपनियां ऐपल और डेल बड़े मार्केट पर कब्जा रखती है। लेकिन यह कंपनियां अपने प्रोडक्ट की मैन्युफैक्चरिंग चीन समेत अन्य देशों में करती है। मतलब भारत से बाहर बने लैपटॉप और कंप्यूटर को भारत इंपोर्ट किया जाता है। ऐसे में भारत सरकार ने लैपटॉप, कंप्यूटर टैबलेट के आयात पर लाइसेंसिंग प्रक्रिया शुरू कर दी है। बता दें कि अगर आप भारत में लैपटॉप आयात करते हैं, तो आपको आयात विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) से लाइसेंस लेना होगा। लैपटॉप बैन पर अमेरिकी को चिंता है कि इससे ऐपल और डेल के शिपमेंट पर बुरा असर पड़ेगा
सरकार की पीएलआई स्कीम
पीएम मोदी की ओर से घरेलू स्तर पर लैपटॉप, टैब और कंप्यूटर बनाने के लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इनीशिएटिव PLI स्कीम लागू की गई है, जिससे ज्यादा से ज्यादा कंपनियां भारत में लैपटॉप, कंप्यूटर और टैब का निर्माण करें। लेकिन सरकार की कोशिशों के बावजूद लैपटॉप, कंप्यूटर और टैब बनाने में टेक कंपनियां दिलचस्पी नहीं ले रही हैं. टेक कंपनियों का कहना है कि भारत का लैपटॉप मार्केट काफी छोटा है। ऐसे में उनके लिए मैन्युफैक्चिरंग करना मुश्किल है।