जीवन में कोई भी चीज पहले से निर्धारित नहीं की जा सकती है, केवल सटीक जोखिम प्रबंधन करते हुए ही हम जीवन में आगे बढ़ सकते हैं इसलिए हर घटना का सकारात्मक पहलू ही देखते हुए जीवन में आगे बढ़ते रहना चाहिए। कुछ नियम एवं सिद्धांतों की आचार संहिता का पालन करने से हमारा हर दिन पहले दिन से बेहतर और समृद्ध होता चला जाता है। अतीत की यादों और भविष्य की चिंताओं के बिना वर्तमान क्षण को समर्पित भाव से जीना ही बेहतरी का प्रथम सूत्र है।
अपने हर दिन को पूर्णता से जीने के लिये अपने व्यक्तित्व को पूर्ण करने का भी प्रयास करना चाहिए। अक्सर असफलता का कारण व्यक्ति के व्यक्तित्व की कमजोरी, उचित योग्यता एवं ज्ञान का अभाव होता है। कभी-कभी व्यक्तित्व पूर्ण होने एवं पूर्ण योग्यता के बाद भी आपका हर दिन अगले दिन से बेहतर न हो पा रहा हो, तो इसका मतलब आपको एक्स्ट्रा सपलिमेंट यानि कि मार्गदर्शन की जीवन में अत्यधिक आवश्यकता है। सफलता के लिए यह मार्गदर्शन आप अपने बड़े-बुजुर्गों, नीति शास्त्र के जानकार व्यक्तियों, मनोवैज्ञानिकों अथवा ग्रह, नक्षत्रों के जानकार व्यक्तियों से प्राप्त कर सकते हैं।
प्रतिदिन आप जितनी अपनी कुशलता को बढ़ाऐंगे, आलस्य तथा दुर्गुणों का त्याग कर सही दिशा में प्रयत्न करेंगे तो अगले दिन पिछले से अच्छा ही होगा। सही दिशा में प्रयत्न करने का अभिप्राय है, जैसे आपको प्रयागराज से दिल्ली जाना है तो उचित कर्म करते हुए प्रयागराज से दिल्ली आने वाली गाड़ी को ही पकड़ना है। अगर कोई व्यक्ति कर्म करता हुआ मुम्बई की गाड़ी पर चड़ जाएगा तो कर्म करने के बावजूद दिल्ली कभी नहीं पहुंच पाएगा। यानि कि अधूरे लक्ष्य और भटकाव से बचने के लिए आपको अपने अन्तर्मन का जी0पी0आर0एस0, नेविगेशन सिस्टम को सही करना होगा।
यूं तो जीवन को बेहतर बनाने के अनेक सूत्र हैं, परन्तु सफलता का एक विशेष सूत्र यह कहता है कि जब तक आप प्रकृति से अथवा अपने आस-पास के लोगों से सिर्फ और सिर्फ लेने का ही भाव और मंशा रखते हैं, तब तक ब्रह्माण्ड की ऊर्जा आपका कल्याण करने में असक्षम होती हैं, परन्तु जिस दिन आप प्रकृति को तथा अपने आस-पास के लोगों को कुछ न कुछ देने का भाव विकसित कर क्रियान्वित करते हैं, उसी क्षण ब्रह्माण्ड की ऊर्जा आपको दाता के रूप में पहचान कर आपका कल्याण करते हुए आपके माध्यम से असंख्य लोगों का कल्याण कराती है।
जब आप किसी को कुछ देना चाहते हैं तो आपके अन्दर एक अलग शक्ति के स्त्रोत का जन्म होता है जिसका उद्देश्य आपके साथ दूसरों का विकास करना रहता है। इसलिए भारतीय संस्कृति में सर्वे भवन्तु सुखिनः की भावना को सर्वोपरि माना गया है। चाहे वह जानवरों को प्रेम देना हो, उन्हें भोजन कराना हो, मित्रों के संग ज्ञान बांटना हो, यह सब मन से कुछ देने का भाव ही है जो कि हमें एक दूसरे से जोड़ता है और आपको आपके स्वयं के व्यक्तित्व से प्रतिदिन बेहतर बनाकर आपकी चेतना को समृद्ध करता है।
जब तक हम दुनिया को सही ढंग से देखना नहीं सीख जाते तब तक जिंदगी हमें कष्ट देती रहती है परन्तु जिस दिन आप अपनी दृष्टि को बदल लेते हैं, उस दिन आपके लिए सृष्टि बदल जाती है। एक अन्य महत्वपूर्ण सूत्र के रूप में एक बात हमेशा याद रखिए कि अंदर के सुनहरे विचार बाहर की दुनिया को संवारते हैं और वही बाहर की सुंदरता अंतर्मन को निखारती है।