रूस
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्य के लिए भारत लगातार दावेदारी पेश करता आ रहा है। यूएन के मंचों पर भी कई बार इसकी खूब चर्चा हुई है। अब भारत के पुराने साझेदार रूस ने खुलकर इसकी वकालत की है। रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट के लिए भारत और ब्राजील की दावेदारी का समर्थन किया है। 79वीं संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने संबोधन में उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि UNSC में वैश्विक दक्षिण के प्रतिनिधित्व के विस्तार की आवश्यकता है।
लावरोव ने कहा, "हम पश्चिम के साथ बातचीत से पीछे नहीं हट रहे हैं। जुलाई में रूस के प्रस्ताव पर सुरक्षा परिषद में खुली बहस हुई थी। हमारा मानना है कि संयुक्त राष्ट्र के साथ-साथ अन्य मंचों पर भी शुरू हुई चर्चा को फिर से शुरू करना महत्वपूर्ण है। एक निष्पक्ष विश्व व्यवस्था के लिए निस्संदेह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में वैश्विक दक्षिण के प्रतिनिधित्व के विस्तार की आवश्यकता है।" उन्होंने कहा, "हम ब्राजील और भारत की उम्मीदवारी का समर्थन करते हैं। हम पश्चिमी देशों के लिए किसी अतिरिक्त सीट के बारे में बात भी नहीं कर सकते, जिनका सुरक्षा परिषद में पहले से ही अत्यधिक प्रतिनिधित्व है।"
भारत विकासशील देशों का बेहतर प्रतिनिधित्व करने के लिए सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट की लंबे समय से मांग कर रहा है। कई देशों ने इसका समर्थन किया है। इससे पहले शुक्रवार को भूटान के प्रधानमंत्री शेरिंग तोबगे ने यूएनएससी में स्थायी सीट के लिए भारत के दावे का समर्थन किया।
अपने संबोधन में लावरोव ने पश्चिमी देशों पर वैश्वीकरण के मूल्यों को कुचलने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि पश्चिम के देशों ने दुनिया के आधे देशों के खिलाफ प्रतिबंध लगाकर एक तरह से युद्ध छेड़ दिया है। ये देश डॉलर को हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं। सर्गेई लावरोव ने कहा, "अतीत में बान की मून और कोफी अन्नान की तरह वर्तमान महासचिव ने पहल को आगे बढ़ाया। यह एक बेहतरीन पहल है, इसका विरोध कौन कर सकता है।"
यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की के शांति सूत्र को निराशाजनक बताते हुए लावरोव ने रूस के भागीदारों से स्थिति के वास्तविक कारणों के बारे में तथ्यों को ध्यान में रखने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, "हम मध्यस्थता पहल को आगे बढ़ाने के लिए अपने कई भागीदारों के ईमानदार उद्देश्य की सराहना करते हैं। हम अपने मित्रों से उनके आगे के प्रयासों में स्थिति के वास्तविक कारणों के बारे में तथ्यों को पूरी तरह से ध्यान में रखने का आह्वान करते हैं।"