रेलवे के बनारस लोकोमोटिव वर्क्स ने ऐसी 250 मशीनों का ऑर्डर साउथ अफ्रीका की एक कंपनी को दिया है. इस प्रोजेक्ट को रेलवे की तरफ से पहले ही हरी झंडी मिल चुकी है.
भारतीय रेल (Indian Railways) में जल्द ही ट्रेनों के आखिर में लगने वाले गार्ड के डिब्बे हटने जा रहे हैं. इसकी शुरुआत मालगाड़ियों से की जाएगी और सूत्रों के मुताबिक यह प्रयोग सफल रहा तो पैसेंजर ट्रेनों से भी गार्ड वैन हटाकर वहां नई तकनीक की मशीन लगाई जाएगी.
भारतीय रेल की पुरानी पहचान, जो कि अंग्रेज़ों के ज़माने से चली आ रही है, उसमें अब बड़े बदलाव की तैयारी हो चुकी है. रेलवे अब अपनी ट्रेनों से गार्ड के कोच को हटाकर वहां खास मशीन लगाने जा रहा है. यह मशीन ट्रेन के अंतिम कोच के साथ फिट की जाएगी जो, सिग्नल के जरिये लोको पायलट को सारी अहम जानकारी देती रहेगी. यह काम अब तक ट्रेन के अंतिम कोच में ड्यूटी कर रहे गार्ड का होता है. गार्ड की हरी झंडी के बाद ही ट्रेन प्लेटफॉर्म से रवाना होती है.
सोमवार को ऐसी 5 मशीनों का ट्रायल ईस्ट कोस्ट रेलवे में शुरू किया गया है. ये मशीनें अमेरिका से मंगवाई गई हैं. शनिवार को भी ऐसी एक मशीन को ट्रेन के साथ फिट कर उसका ट्रायल किया गया. यह ट्रायल तलचर से पारादीप के बीच किया गया है. इस दौरान मशीन ने सारी जानकारी सही समय पर लोको पायटल तक पहुंचाई और अब इसका ट्रायल और भी बढ़ाया जा रहा है. इसे EOTT (End of Train Telemetry) ट्रायल का नाम दिया गया है. आम ज़ुबान में यह ट्रेन के अंतिम कोच और इंजन के बीच कम्यूनिकेशन का काम करती है.
रेलवे के बनारस लोकोमोटिव वर्क्स ने ऐसी 250 मशीनों का ऑर्डर साउथ अफ्रीका की एक कंपनी को दिया है. इस प्रोजेक्ट को रेलवे की तरफ से पहले ही हरी झंडी मिल चुकी है. 100 करोड़ के इस प्रोजेक्ट के पूरा होने से रेलवे को कई स्तर पर फायदा होने वाला है. सबसे पहले तो हर बार ट्रेन रवाना होने के पहले गार्ड को दिये जाने वाले ट्रेन के फ़िटनेस सर्टिफ़िकेट की परंपरा बंद होगी. यह सर्टिफ़िकेट पहले ड्राइवर और फिर गार्ड को सौंपा जाता है. उसके बाद ही गार्ड ट्रेन को हरी झंडी दिखाता है.
रेलवे को इस तकनीक का दूसरा सबसे बड़ा फायदा होने वाला है एक एक्स्ट्रा कोच का. यानी गार्ड कोच की जगह पर मालगाड़ियों में एक फुली लोडेड वैगन लगाया जा सकता है. जबकि पैसेंजर ट्रेनों में एक अलग कोच. वहीं केवल मालगाड़ियों के गार्ड कोच हटने से रेलवे को क़रीब 16 हज़ार गार्ड की सैलरी और बाक़ी ख़र्च नहीं करने होंगे. फिलहाल रेलवे में क़रीब 7000 मालगाड़ियां चलती हैं. जबकि रेलवे क़रीब 15 हज़ार मेल एक्सप्रेस और पैसेंजर ट्रेनें भी चलाता है और गार्ड वैन की जगह मशीन के इस्तेमाल से उसके ख़र्च में बड़ी बचत हो सकती है. तो इंतज़ार कीजिए. जल्द ही आपको रेलवे की तस्वीर नए रंग में नज़र आने वाली है.