नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। देवी भागवत पुराण में बताया गया है कि मनुष्य अत्यंत सौम्य और शांत है, जो सुख-समृद्धि प्रदान करता है। इस दिन विधि-विधान से पूजा करने से वैभव बढ़ता है, सुखों में वृद्धि होती है और सामाजिक प्रभाव भी बढ़ता है। लोग आपको सम्मान देना शुरू कर देते हैं। देवी भागवत पुराण में बताया गया है कि माँ अत्यंत सरल सौम्य, शांत और ममतामयी है। माँ इस रूप में अपने भक्तों की सुख-समृद्धि में वृद्धि करती है। मां चंद्रघन माता की पूजा करने से आपके सुखों और भौतिक सुखों में वृद्धि होती है और मां दुर्गा समाज में आपका प्रभाव बढ़ता है। आइए विस्तार से जानें मां चंद्रघंटा की पूजा विधि, भोग और पूजा मंत्र व आरती।
माँ का चंद्रघंटा नाम कैसे मनाया जाता है? माँ की पूजा से जीवन में सफलता मिलती है। माँ के मस्तक पर घंटे के आकार का चंद्रमा होता है, इसलिए उन्हें चंद्रघन कहते हैं। मां चंद्रघन को अलौकिक, किशोरी और ममतामयी के रूप में माना जाता है। माँ के इस रूप की पूजा करने से आपको जीवन के हर क्षेत्र में आदर्श की स्थापना होती है। माँ की पूजा सूर्योदय से पहले करनी चाहिए। पूजा में लाल और पीली गेंदे के फूल चढ़ाने चाहिए। माँ के मस्तक पर अर्धचन्द्र के आकार का शोभायमान है, इसलिए देवी का नाम चन्द्रघन बताया गया। पूजा में शंख और घंटियाँ के साथ पूजा करने से माँ की शोभा होती हैं और कृपालु मोती मिलते हैं।
माँ चंद्रघंटा का रूप नवरात्रि के तीसरे दिन माँ चंद्रघंटा की पूजा होती है। माँ का रंग सोने जैसा चमकीला है और वह शेर की सवारी करती है। उनके आठ हाथों में कमल, धनुर्धर, बाण, तलवारें, कमंडल, त्रिशूल और गदा जैसे अस्त्र-शस्त्र हैं। माँ के गले में सफेद फूलों की माला और सिर पर चंद्रमा से रत्नजड़ित मुकुट है। माँ सदैव युद्ध की मुद्रा में तंत्र साधना में लीन रहती हैं। उनकी पूजा करने से आपके तेज और प्रभाव में वृद्धि होती है। आपके समाज में आपका एटमविश्लेषण विशाल है और आपके समाज में विशेष वर्गीकरण होता है।
माँ चंद्रघंटा की पूजा विधि नवरात्रि में तीसरे दिन माँ चंद्रघंटा की पूजा का महत्व बताया गया है।
सुबह स्नान करके साफ-सुथरा साबुन और मां का ध्यान करें।
मां चंद्रघंटा की मूर्ति को लाल या पीले वस्त्रों में स्थापित करें।
मां को कुमकुम और अक्षत से सुरक्षित करें और विधान से पूजा करें।
मां चंद्रघंटा का रंग पीला अत्यंत प्रिय है। माँ को मिठाई और दूध से बनी खीर का भोग।
पूजा के दौरान मंत्रों का जाप करना चाहिए। इसके साथ ही दुर्गा सप्तशती और चंद्रघंटा माता की आरती का पाठ भी करें। ऐसा करने से मां खुश होती हैं और भक्त अपनी कृपा बरसाती हैं।
मां चंद्रघंटा की पूजा में मां चंद्रघंटा का प्रिय भोग लगाया जाता है। माँ को केसर की खीर बहुत पसंद है. आप लौंग, इलायची, पंचमेवा और दूध से बनी मिठाइयाँ बनाकर भी माँ को भोग लगा सकते हैं। ब्लॉग में मिसरी जरूर रखें और पेड़े भी चढ़ा सकते हैं।
मां चंद्रघन की पूजा में लाल रंग का महा सिद्धांत लाल रंग की शक्ति और तीरंदाजी का प्रतीक माना जाता है। मां चंद्रघन की पूजा में लाल रंग के वस्त्र धारण करना शुभ होता है। ऐसा करने से मां चंद्रघंटा आपके परिवार पर अपनी कृपा बनाती हैं। इससे आपके सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य में वृद्धि होती है। आपकी टार्की होती है और आपके अंदर एक नया एटमविश्लेषणवास पैदा होता है।
माँ चन्द्रघन पुष्पा का पूजा मंत्र पिण्डज प्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं चन्द्रघण्टेति विश्रुता।।
वन्दे शाश्वत लाभाय चन्द्राधिकृत शेखरम्।
सिंहरूढ़ा चंद्रघंटा यशस्वनीम्॥
सामुदायिक स्थितां तृतीय दुर्गा त्रिनेत्राम्।
रंग, गदा, त्रिशूल, चापचर, पदम् कमण्डलु मंगल वरभीतकराम॥
मां चंद्रघंटा आरती जय मां चंद्रघंटा सुख धाम।
पूर्ण कीजो मेरे सभी काम।
चन्द्र समान तुम शीतल दाती।
चन्द्र तेज किराए में समाती।
क्रोध को शांत करने वाली।
गैजेट बोल सिखाने वाली।
मन की मालक मन भाती हो।
चन्द्र घंटा तुम वरदाती हो।
सुंदर भाव को वापस लाने वाली।
हर संकट में डूबने वाली।
हर रविवार जो तुम ध्यान करो।
श्रद्धा जो विनय सुनाएं।
मूर्तिपूजक चंद्र आकार
सन्मुख घी की ज्योत जलें।
नज़र कहे मन की बात.
पूर्ण आस करो जगदाता।
काँची पुर स्थान।
कर्नाटिका में मन प्रियजन।
नाम तेरा रतु महारानी।
भक्त की रक्षा करो भवानी।