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Kisan Andolan: कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर बोले- तारीख बताएं किसान, सरकार बात करने को तैयार

किसानों से वार्ता के लिए केंद्र सरकार ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर की अध्यक्षता में मंत्रिस्तरीय एक समिति गठित की थी. केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल तथा वाणिज्य राज्य मंत्री सोमप्रकाश इसके सदस्य हैं.

किसान आंदोलन (Kisan Andolan) को लेकर कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) ने एक बार फिर कहा है कि सरकार बात करने को तैयार है. तोमर ने मंगलवार को कहा कि दो दिन पहले किसानों को वार्ता के लिए चिट्ठी भेजी गई थी. सरकार किसानों से बात करना चाहती है. अगर वह बात करने को तत्पर हैं तो तारीख तय करें, हम बात करने को तैयार हैं. कृषि मंत्री ने कहा कि किसानों के प्रति सरकार की नीयत में कोई खोट नहीं है. हम पूरी मजबूती के साथ नए कानूनों की मंशा और उससे जुड़े लाभ किसानों को बता रहे हैं. आशा है क वह हमारी बात समझेंगे.

तोमर ने कहा कि नए कानूनों का मिनिमम सपोर्ट प्राइस (MSP)से कोई वास्ता नहीं है. एमएसपी एक प्रशासनिक फैसला है. मैंने खुद संसद में कहा है कि हम एमएसपी की व्यवस्था जारी रखेंगे. प्रधानमंत्री कई बार कह चुके हैं कि MSP जारी रहेगी. तोमर ने दावा किया कि सरकार ने डेढ़ गुना ज्यादा MSP बढ़ाई है. अगर संगठनों के पास कोई सुझाव है सरकार पर बात करने को तैयार है.

किसान संगठनों को रविवार को आमंत्रित किया
बता दें केंद्र सरकार ने तीन कृषि कानूनों के विरोध में राजधानी दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों को रविवार को आमंत्रित किया और कहा कि वे इसकी तिथि तय करें. सरकार ने कहा है कि कृषि कानूनों में पहले जिन संशोधनों का प्रस्ताव दिया गया था, उन्हें लेकर जो चिंताएं हैं, संगठन वे भी बताएं. केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के संयुक्त सचिव विवेक अग्रवाल ने इस संदर्भ में किसानों के 40 संगठनों को पत्र लिखा है. इसमें कहा गया है कि केंद्र किसानों की सभी चिंताओं का उचित समाधान निकालने की खातिर ‘खुले मन से’ हरसंभव प्रयास कर रहा है.
सरकार से किसानों की अब तक पांच दौर की वार्ता हो चुकी है जो विफल रही है. किसानों के संगठनों की एक बार केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ भी बैठक हो चुकी है, लेकिन उसका नतीजा भी शून्य रहा है.

अग्रवाल ने कहा कि सरकार नयी दिल्ली के विज्ञान भवन में अगली बैठक बुलाना चाहती है ताकि प्रदर्शन जल्द से जल्द समाप्त हों.उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार किसानों द्वारा उठाए गए सभी मुद्दों के समाधान के लिए खुले मन से हरसंभव प्रयास कर रही है.

हालिया पत्र पाल को भी भेजा गया
अग्रवाल ने कहा कि नौ दिसंबर को भेजे गए मसौदा प्रस्ताव में सरकार ने कम से कम सात मुद्दों पर आवश्यक संशोधन करने का प्रस्ताव दिया है जिसमें वर्तमान एमएसपी को जारी रखने के बारे में ‘लिखित आश्वासन’ की बात भी शामिल है. लेकिन संगठनों ने वह प्रस्ताव खारिज कर दिया था. इसकी जानकारी क्रांतिकारी किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष दर्शन पाल ने 16 दिसंबर को ईमेल के जरिए दी. हालिया पत्र पाल को भी भेजा गया है.

इसमें अग्रवाल ने कहा कि किसान संगठनों द्वारा सरकार के मसौदा प्रस्ताव पर दिया गया जवाब ‘बहुत ही संक्षिप्त’ था. पत्र में कहा गया कि जवाब में मसौदा प्रस्ताव खारिज करने की कोई विशेष वजह नहीं बताई गई है तथा ‘‘यह स्पष्ट नहीं है कि उक्त विचार आपके (पाल) के थे या फिर सभी संगठनों के.’’

यह पत्र ऐसे दिन लिखा गया है जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कोलकाता में कहा कि केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर एक या दो दिन में प्रदर्शनकारी समूहों से उनकी मांगों पर बातचीत कर सकते हैं. गौरतलब है कि नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर हजारों किसान डटे हुए हैं. केन्द्र सरकार सितम्बर में पारित तीन नए कृषि कानूनों को कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के तौर पर पेश कर रही है, वहीं प्रदर्शन कर रहे किसानों ने आशंका जताई है कि नए कानूनों से एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) और मंडी व्यवस्था खत्म हो जाएगी और वे बड़े कॉरपोरेट पर निर्भर हो जाएंगे.

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