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नीलामी के जरिए बेहद सस्ते में प्रॉपर्टीज खरीदने का मौका देते हैं बैंक, लेकिन इससे पहले जान लीजिए जरूरी बातें

SBI और PNB प्रॉपर्टीज नीलामी की प्रक्रिया शुरू कर रहे हैं. ये प्रॉपर्टीज लोन डिफॉल्ट करने वालों की है. इस तरह की नीलामी में भाग लेने और प्रॉपर्टीज खरीदने से पहले कई जरूरी बातों को डिटेल में जान लेना अनिवार्य है.

लोन रिकवर करने के लिए बैंक आए दिन प्रॉपर्टी नीलामी (Property auction by Banks) पेश करते रहते हैं. आज भारतीय स्टेट बैंक (SBI) भी ऐसी ही एक नीलामी आयोजित कर रहा है जोकि अगले 1 महीने तक चलेगा. इस नीलामी में 3,000 आवासीय, कॉमर्शियल और अन्य प्रॉपर्टीज शामिल हैं. ये प्रॉपर्टीज उन लोगों की है, जिन्होंने इसकी गारंटी पर बैंक से लोन तो ले लिया है लेकिन इसे चुका नहीं पाए हैं. एसबीआई की तरह पंजाब नेशनल बैंक (PNB) भी ऐसी ही एक नीलामी प्रक्रिया का आयोजन कर रहा है.

इस तरह की नीलामी को आयोजित करने से पहले बैंक रिकवरी नोटिस देते हैं. इसके बाद इन प्रॉपर्टीज की नीलामी प्रक्रिया शुरू की जाती है. यह सिक्योरिटाइजेशन एंड रिकंस्ट्रक्शन ऑफ फाइनेंशियल एसेट्स एंड इनफोर्समेंट ऑफ सिक्योरिटी इंटरेस्ट एक्ट (Sarfaesi Act), 2002 के तहत की जाती है. जब एक बार इन प्रॉपर्टीज की नीलामी की जाती है, तब इसमें केई भी भारतीय नागरिक देश के किसी भी हिस्से से नीलामी में भाग ले सकता है. लेकिन, इस तरह की नीलामी में भाग लेने से पहले कुछ जरूरी बातों और सवालों का जवाब जरूर ले लेना चाहिए. आइए जानते हैं इसके बारे में…

क्या ओपन मार्केट की तुलना नीलामी के जरिए प्रॉपर्टी खरीदना बेहतर होता है?
रियल एस्टेट सेक्टर (Real Estate Sector) के एक्सपर्ट्स का कहना है कि नीलामी में लोगों को बेहद कम कीमत पर प्रॉपर्टी मिल जाती है. कई बार तो यह 10-20 फीसदी से लेकर 30 फीसदी तक सस्ती होती है. यही कारण है कि लोगों को ऐसी प्रॉपर्टीज में रुचि जगती है. लेकिन प्रॉपर्टीज खरीदने से पहले उसका लोकेशन भी मायने रखता है. इस बात की पूरी संभावना रहती है कि ऐसी प्रॉपर्टीज किसी प्राइम लोकेशन पर हो. उदाहरण के तौर पर देखें तो एअर इंडिया (Air India) के प्रॉपर्टीज देशभर में प्राइम लोकेशन पर ही है. एअर इंडिया की जिन प्रॉपर्टीज को सेल के लिए चुना गया है, उनमें से कुछ प्रॉपर्टीज लोनावाला और मुंबई के चार प्रमुख लोकेशन पर हैं.

रेडी-टू-मूव-इन प्रॉपर्टीज
इस तरह की नीलामी में अधिकतर प्रॉपर्टीज रेडी-टू-मूव-इन प्रॉपर्टीज होती हैं. ऐसे में खरीदार को प्रोजेक्ट में देरी या समय के साथ कीमत बढ़ने का रिस्क नहीं होता है. कॉमर्शियल प्रॉपर्टी भी कुछ ऐसी ही होती हैं. इससे खरीदार को समय, एनर्जी और पैसे की बचत करने में मदद मिलती है.

लेकिन इसका एक दूसरा पहलू भी है. इस तरह की प्रॉपर्टीज की नीलामी आमतौर पर उनके मौजूदा स्थिति में ही होती है. ऐसे में बेहतर होता कि प्रॉपर्टीज की नीलामी से पहले खुद इन प्रॉपर्टी का जायजा ले लिया जाए और इस बात का भी अनुमान लगा लिया जाए कि उन्हें खरीदने के बाद कितना खर्च करना पड़ सकता है.

जानकार बताते हैं बिडिंग में हिस्सा लेने वाले के पास पर्याप्त समय होना चाहिए कि वो प्रॉपर्टी के बारे में पूरी जानकारी उठा सके ताकि बाद में उनके लिए कोई सरप्राइज एलीमेंट न हो. चूंकि, इस तरह की प्रॉपर्टीज की सबसे खास बात कम कीमत होती है, ऐसे में कहीं ये न हो कि खरीदने के बाद अतिरिक्त खर्च इसे कम रुचि वाली प्रॉपर्टी बना दे.

बिडिंग से पहले इस बारे में जानकारी प्रॉप्त कर लेनी चाहिए कि ऐसी प्रॉपर्टीज को लेकर कोई दूसरा विवाद तो नहीं है. आमतौर पर बैंक इस तरह की जानकारी दे दते हैं लेकिन वो नीलामी प्रक्रिया में एक क्लॉज ऐसा भी होता है, जिसमें यह स्पष्ट कर दिया जाता है कि ऐसी किसी बात की जिम्मेदारी बैंक की नहीं होगी. यह किसी थर्ड पार्टी का क्लेम या प्रॉपर्टी मालिक का कोई बकाया भी हो सकता है.

इस तरह की प्रॉपर्टी को खरीदने से पहले एक बात यह भी ध्यान में रखना चाहिए कि प्रॉपर्टी की मालिकाना हक किसके पास है. कई मामलो में प्लॉट, घर या अपार्टमेंट को लेकर बैंकों के पास केवल लीगल डॉक्युमेंट्स ही होते हैं. बैंक इन प्रॉपर्टीज में रह रहे लोगों को नहीं निकालता है. ऐसे में यह जिम्मेदारी नये खरीदार के पास होती है. ऐसे में इस बारे में भी बता कर लेना चाहिए.

प्रॉपर्टी खरीदने के लिए तैयार रखें अपना फंड
ऐसी प्रॉपर्टी खरीदने से पहले अपने फंड को तैयार कर लेना चाहिए. आमतौर पर बैंक नीलामी में भाग लेने से पहले ही 10 फीसदी फंड को डिपॉजिट करा लेते हैं. अगर बिडिंग में सफलता नहीं मिलती है तो यह पैसे वापस कर दिया जाता है. हालांकि, बिडिंग जीतने की सूरत में डेडलाइन के अंदर सभी पेंमेंट करना अनिवार्य है. एसबीआई के मामले में सेल प्राइस की 25 फीसदी रकम अगले वर्किंग डे ही जमा करनी होती है.

इसके बाद बाकी 75 फीसदी रकम अगले 15 दिनों के अंदर देना होता है. यही कारण है कि इस तरह की नीलामी से पहले पूरा फंड तैयार कर लेना चाहिए.

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