छतरपुर
कुरुक्षेत्र से चलकर आ रही ट्रेन कुरुक्षेत्र एक्सप्रेस के डी 5 के कोच में ईशानगर स्टेशन पर आग लग गई। आग और धुआं देख यात्रियों ने चेन खींचकर ट्रेन को रोका और आग लगने की सूचना स्टेशन मास्टर को दी। रेल कर्मचारी की सूझबूझ से आग पर काबू पाया गया गया।
किसी प्रकार की जनहानि नहीं हुई है। आग लगने के कारण एक घंटे ट्रेन खड़ी रही। बाद में ईशानगर से करीब 1घंटे की देरी से धीमी गति से छतरपुर के लिए रवाना हुई।
डी 5 जनरल डब्बे में लगी थी आग
घटना डी 5 जनरल डब्बा था। जिसमें अत्यधिक लोग भी यात्रा करते हैं। लेकिन हादसा रेलवे स्टेशन पर हुआ तो रेलवे स्टेशन के कर्मचारियों की सूझबूझ से आप पर काबू पाया जा सका। अगर यह हादसा रास्ते में कहीं होता तो जनरल डब्बे में बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं होता, जिससे बड़ा हादसा हो सकता था।
मोटर का बेल्ट गर्म होने से लगी आग
बताया गया है कि मोटर की बेल्ट गर्म होने के कारण आग लग गई थी। स्टेशन मास्टर आशीष यादव ने बताया कि जब ट्रेन चलनी शुरू हुई तो कोच पर नजर पड़ी। आग और धुआं देख ट्रेन को रोका गया। कोई जनहानि नहीं हुई है। अगर चलती ट्रेन में हादसा होता तो बड़ी घटना हो सकती थी।
झांसी-कानपुर रेलवे ट्रैक पर फेंसिंग का कार्य शुरू
झांसी जनपद से कानपुर के बीच बने रेलवे ट्रैक पर पशुओं की आवाजाही रोकने के लिए फेंसिंग लगाने का काम शुरू हो चुका है। लगभग 212 किलोमीटर तक पटरी के दोनों तरफ फेंसिंग होगी, ताकि कोई ट्रैक तक न पहुंच पाए। इसके लिए रेलवे प्रशासन एक अरब 89 करोड़ रुपए खर्च करने जा रहा है।
पशुओं की आवाजाही की वजह से आए दिन रेलवे ट्रैक पर हादसे होते हैं। इससे पशु हानि तो होती ही है, साथ ही रेलवे को भी नुकसान उठाना पड़ता है। साथ ही ट्रेनों की रफ्तार भी प्रभावित होती है।
हादसों पर रोक लगाने की कोशिश
हादसों पर अंकुश लगाने के लिए रेल प्रशासन द्वारा रेलवे ट्रैक के दोनों ओर फेंसिंग लगाने की योजना बनाई गई थी। प्रथम चरण में झांसी-कानपुर रेल खंड के बीच काम शुरू कर दिया गया है।
यहां एक्सप्रेस-वे की तर्ज पर डब्ल्यू बीम मेटल टाइप फेंसिंग कराई जा रही है। इसकी ऊंचाई भी इतनी भी इतनी रखी जा रही है कि जानवर कूदकर भी ट्रैक पर नहीं आ पाए।इतना ही नहीं, वाहनों के अनियंत्रित होकर रेलवे ट्रैक पर पहुंच जाने के मामलों में भी कमी आएगी।
1.89 अरब रुपये की लागत से कराई जा रही फेंसिंग
डब्ल्यू बीम मेटल टाइप फेंसिंग का काम 1.89 अरब रुपए की लागत से कराया जा रहा है। इसमें झांसी से परौना के बीच 67 करोड़ और परौना से कानपुर के बीच 1.22 अरब रुपए खर्च किए जाएंगे। रेलवे की अगले साल तक इस काम को पूरा करने की योजना है।
रेल ट्रैक पर ट्रेन के सामने पशु आने के हर माह 150 से अधिक मामले सामने आते रहते हैं। इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि पिछले 6 माह के अंदर 1130 इस तरह के मामले सामने आ चुके हैं।
नहीं थम रहा पशुओं का रेलवे ट्रैक पर आना
रेल ट्रैक से सटे गांवों में रेलवे द्वारा जागरूकता अभियान चलाने के बाद भी पशुओं के रेल ट्रैक पर आने के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। अब इसकी रोकथाम के लिए रेलवे फेंसिंग कर रहा है।
पीआरओ मनोज कुमार सिंह का कहना है कि ट्रेन के सामने पशुओं के आने से रेलवे को क्षति होती है, साथ ही ट्रेनों की गति भी प्रभावित होती है। इसलिए झांसी-कानपुर रेलमार्ग पर फेंसिंग कराई जा रही है।