पेट में एक प्रकार का पैथोलॉजी होता है, जिसमें पेट में सिर की जगह काफी दर्द होता है। ज्यादातर यह 2 से 10 साल के बच्चों को अपना शिकार बनाता है। लेकिन यह किसी भी उम्र का व्यक्ति हो सकता है। यदि लंबे समय तक यह दर्द बना रहे, तो यह एक गंभीर बेरोजगारी का संकेत हो सकता है।
एब्डोमिनल पैथोलॉजी में कभी-कभी तो प्रभाव और कुछ ही समय के लिए हो सकता है। ऐसे में यह दर्द कुछ घंटों के अंदर ठीक हो जाता है। पेट के डायग्नोस्टिक्स के दौरान आम तौर पर एक से 72 घंटे तक दर्द रह सकता है। इसमें 48 घंटे तक का दर्द हो सकता है।
डॉक्टर अनुकल्प प्रकाश, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी लीड कंसलटेंट, सीके बिरला हॉस्पिटल के मुताबिक, कई लोगों को यह दर्द कुछ घंटे के लिए होता है, जबकि कुछ लोगों को इससे ज्यादा कर सकते हैं। पाचन तंत्र में गड़बड़ी की वजह से गैस्ट्रिक समस्याएँ उत्पन्न होती हैं जिससे पेट में ऐंठन और दर्द महसूस होता है।
पेट में खराबी का कारण कई बार पेट में जेनेटिक खराबी भी हो सकती है। यदि परिवार में किसी सदस्य को सिर का कैंसर होता है तो बच्चों में पेट का कैंसर होने की संभावना अधिक होती है। अन्यत्र बंधक भी एक कारण है। जब मस्तिष्क और पाचन तंत्र के बीच संतुलन नहीं बन पाता तो भी पेट दर्द जैसी समस्या उत्पन्न हो सकती है। महिलाओं में मासिक धर्म की शुरुआत के समय यह अधिक देखने को मिलता है। अगर किसी बच्चे में बहुत अधिक मात्रा में कैफीन, चॉकलेट या चॉकलेट के टुकड़े हैं तो यह भी पेट की बीमारी का एक कारण हो सकता है।
एब्डोमिनल पैथोलॉजी के लक्षण एब्डोमिनल पैथोलॉजी के लक्षण सिर के पैथोलॉजी से काफी अलग हो सकते हैं। इस दौरान पेट में काफी दर्द महसूस होता है। यह पेट के चारों ओर या बीच में हो सकता है। कई बार यह दर्द बहुत तेज़ और अचानक होता है और कुछ घंटे से लेकर कई दिनों तक रह जाता है।
उल्टी: पेट दर्द के दौरान पेट दर्द के साथ-साथ उल्टी आना भी बना रहता है। किसी-किसी को तो कई बार उल्टी हो सकती है। कुछ भी खाने के बाद हमेशा उल्टी जैसा मन रहता है।
भूख की कमी: कई बार पेट की बीमारी की वजह से भूख नहीं लगती। कुछ भी खाने या पीने का मन नहीं करता।
थकान: व्यक्ति को बहुत ज्यादा थकान और कमजोरी महसूस होती है। कुछ लोगों को चक्कर आने की समस्या भी रहती है।
भोजन आना: पेट के कैंसर के दौरान व्यक्ति को बहुत अधिक भोजन मिल सकता है। शरीर में अत्यधिक दर्द के कारण प्रतिक्रिया के रूप में शेयर से बहुत ज्यादा दर्द होता है पेट के दर्द से बचने के उपाय पेट के दौरान बहुत ज्यादा दर्द होता है कि दवा लेना पड़ सकता है। इसके लिए पेन किलर का उपयोग किया जा सकता है। अगर दर्द बहुत ज्यादा हो रहा हो तो डॉक्टर द्वारा बताई गई दवा का सेवन करें। साथ ही उल्टी और मतली को नियंत्रित करने के लिए एंटीमिक्स दवाएँ खायी जा सकती हैं।
किसी भी शारीरिक दर्द या बीमारी को ठीक करने के लिए नींद को ठीक करना बहुत जरूरी है। नींद की कमी से पेट के रोग भी पैदा हो सकते हैं। इसलिए 7 से 8 घंटे की नींद जरूरी है। सही समय पर सोने और जागने से शरीर और मस्तिष्क का संतुलन बना रहता है, जिससे आपके शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली भी मजबूत होती है। पेट के रोगों पर रोक के लिए खान-पान में बदलाव जरूरी है। विशेष रूप से बच्चों को खाद्य पदार्थों से दूर रखा जाना चाहिए, जो डायलिसिस को ट्रिगर कर सकते हैं। चॉकलेट, कैफीन, ऑर्गेनिक खाद्य उत्पाद आदि का सेवन करने के बजाय स्वस्थ और स्वादिष्ट भोजन को अपने आहार में शामिल करना चाहिए। सही समय पर खाना खाना चाहिए। इससे जुड़े नतीजे कम होते हैं। वहीं बहुत अधिक तेल से बने या डॉक्टरी भोजन से भी परहेज करना चाहिए।
नियमित रूप से व्यायाम व्यायाम करने से आपका शरीर सक्रिय और स्वस्थ रहता है। वॉकिंग, साइकल चलाना और योग जैसे व्यायाम को नियमित रूप से अपने व्यायाम में शामिल करना चाहिए। ध्यान रहे कि बहुत हैवी एक्सरसाइज करने से भी ड्रैगन ट्रिगर हो सकता है। इसलिए व्यायाम व्यायाम ही करें।