कंप्यूटर का इतिहास बहुत पुराना है. इसकी शुरुआत प्राचीन काल में हुई थी जब लोग गणना करने के लिए विभिन्न उपकरणों का उपयोग करते थे, जैसे कि अबेकस, जिसे प्राचीन काल से ही गणना के लिए इस्तेमाल किया जाता रहा है.
17वीं शताब्दी में,ब्लेज पास्कल नाम के एक फ्रांसीसी गणितज्ञ ने पहला यांत्रिक कैलकुलेटर बनाया था. यह मशीन केवल जोड़ और घटाने के ही काम कर सकती थी. इसके बाद चार्ल्स बैबेज नाम के एक अंग्रेजी गणितज्ञ ने एनालिटिकल इंजन नामक एक और यांत्रिक कंप्यूटर का आविष्कार किया था. हालांकि, तकनीकी सीमाओं के कारण इसे पूरा नहीं किया जा सका.
इसके बाद 1940 के दशक में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, जर्मनी ने एनीगमा नामक एक इलेक्ट्रॉनिक मशीन का उपयोग किया था. इस मशीन का उपयोग गुप्त संदेशों को एन्क्रिप्ट और डिक्रिप्ट करने के लिए किया जाता था. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, कंप्यूटर के विकास में तेजी आई और 1946 में ENIAC नाम का पहला इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर बनाया गया था.
ENIAC के बाद से कंप्यूटर का विकास लगातार होता रहा है. ट्रांजिस्टर, इंटीग्रेटेड सर्किट और माइक्रोप्रोसेसर के आविष्कार ने कंप्यूटर को छोटा, तेज और सस्ता बना दिया. आजकल हम सुपरकंप्यूटरों से लेकर स्मार्टफोन तक विभिन्न प्रकार के कंप्यूटरों का उपयोग करते हैं.
वहीं कंप्यूटर के आविष्कार के पीछे के आइडिया की बात करें तो वो जटिल गणनाओं को तेजी से और सटीकता से करने का था. शुरुआत में कंप्यूटर का उपयोग वैज्ञानिक गणनाओं, सैन्य अनुप्रयोगों और व्यावसायिक कार्यों के लिए किया जाता था लेकिन समय के साथ, कंप्यूटर का उपयोग हर क्षेत्र में होने लगा.
भारत ने भी कंप्यूटर के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. भारतीय वैज्ञानिकों और इंजीनियरों ने कंप्यूटर हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर दोनों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. भारत में कई कंपनियां कंप्यूटर और सॉफ्टवेयर का निर्माण करती हैं.