नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने कोविड वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स वाली याचिका को खारिज कर दिया है। याचिका में दावा किया गया था कि कोविड वैक्सीन के इस्तेमाल के बाद से इंसानों के ऊपर साइड इफेक्ट्स (रक्त का थक्का जमना, हार्ट अटैक) दिखाई दे रहे हैं, जिसे लेकर यूके की एक कोर्ट में भी मुकदमा दायर किया गया है। चीफ जस्टिस डीवाई चन्द्रचूड़, जस्टिस जे बी पादरीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने कहा कि जनहित याचिका को खारिज करते हुए कहा कि यह सिर्फ सनसनी फैलाने के लिए है। हमें उस स्थिति के बारे में भी सोचना चाहिए कि अगर वैक्सीन ना ली जाती तो क्या साइड इफेक्ट्स होते।
जस्टिस पादरीवाला ने याचिकाकर्ता से सवाल किया कि क्या आपने वैक्सीन ली है? आपको कुछ हुआ है, जिस पर याचिकाकर्ता के वकील ने वैक्सीन लेने की बात को स्वीकार किया लेकिन किसी भी तरह के साइड इफेक्ट से इंकार किया। इस पर बेंच की तरफ से कहा गया कि यह याचिका केवल सनसनी फैलाने का प्रयास लग रही है, इसलिए हम इसे खारिज कर रहे हैं।
प्रिया मिश्रा और अन्य याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर की गई इस याचिका में सुप्रीम कोर्ट ने मांग की गई थी कि वह मेडिकल विशेषज्ञों की एक समिति से एस्ट्राजेनेका की कोविडशील्ड वैक्सीन और उसके साइड इफेक्ट और जानलेवा जोखिम की जांच करवाएं। इस याचिका में सुप्रीम कोर्ट के सामने यह मांग की रखी गई थी कि इस समिति में दिल्ली एम्स के निदेशक और रिटायर सुप्रीम कोर्ट के जज हों ताकि वैक्सीन के जोखिमों का अध्ययन किया जा सके। इसके अलावा याचिका में यह भी मांग की गई थी कि इस वैक्सीन से जिन लोगों को भी नुकसान हुआ है उनके लिए वैक्सीन डैमेज पेमेंट सिस्टम स्थापित किया जाए, जिसमें मुआवजे की व्यवस्था हो।
दरअसल, कोविड वैक्सीन बनाने वाली ब्रिटिश कंपनी एस्ट्राजेनेका ने अप्रैल में कोर्ट में माना था कि वैक्सीन से इंसानों को ऊपर खतरनाक साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। उन्होंने माना कि वैक्सीन से रक्त के थक्के और प्लेटलेट्स की कमी हो सकती है, हालांकि इसके चांसेज बहुत कम हैं। भारत के सीरम इंस्टीट्यूट ने भी जो कोविडशील्ड वैक्सीन बनाई थी वह एस्ट्राजेनेका के फॉर्मूला पर ही आधारित थी। इसी वैक्सीन की करीब 175 करोड़ से ज्यादा खुराकें तो भारत में दी जा चुकी हैं और करोड़ों की संख्या में यह विदेशों को भी भेजी जा चुकी हैं।