भोपाल
मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य के वन आरक्षकों से अतिरिक्त वेतन राशि की वसूली पर रोक लगा दी है। वन विभाग ने इस मामले में वित्त विभाग को आदेश पर पुनर्विचार करने के लिए प्रस्ताव भेजा है, जिसके बाद किसी भी प्रकार की वसूली अगले आदेश तक नहीं की जाएगी।
इस मामले की शुरुआत तब हुई जब वन रक्षकों की सैलरी के परीक्षण के दौरान भर्ती नियमों का उल्लंघन सामने आया। नियम के अनुसार, वन रक्षकों को 5200 रुपये मूल वेतन मिलना था, लेकिन प्रदेश के 6592 वन रक्षकों को 5680 रुपये मूल वेतन दिया गया। यह गलती वन विभाग की ओर से वेतन गणना में हुई और कोषालय ने भी यह बढ़ा हुआ वेतन जारी कर दिया। अब मंगलवार को अपर मुख्य प्रधान वन संरक्षक प्रशासन ने सभी मुख्य वन संरक्षक और संरक्षकों को अगले आदेश तक वेतन की वसूली नहीं करने करने का पत्र लिखा है।
165 करोड़ की रिकवरी का आदेश निकाला था
सरकार ने इस गलती के बाद 6592 वन कर्मचारियों से करीब 165 करोड़ रुपये की रिकवरी का आदेश जारी किया था। प्रत्येक वन आरक्षक से 1 लाख 29 हजार रुपये की वसूली करने का नोटिस जारी किया गया था, जिसमें ब्याज सहित रकम वापस लेने की बात कही गई थी।
विवाद के बाद पुनर्विचार का निर्णय
वेतन वसूली के आदेश के बाद कर्मचारियों ने इसका विरोध शुरू कर दिया। अब विभाग ने आदेश पर पुनर्विचार का निर्णय लिया है। सभी डिवीजनों से जानकारी मंगवाकर तीन दिन के भीतर रिपोर्ट मांगी गई थी। अब वित्त विभाग द्वारा प्रस्ताव पर विचार करने के बाद ही अगला निर्णय लिया जाएगा। इस आदेश के बाद वन आरक्षकों को सरकार से राहत मिलने की उम्मीद जगी है।