लखनऊ
सोशल मीडिया पर एक ऐसा वीडियो वायरल है, जिसके बारे में सुन पाना भी मुश्किल हो रहा है. सड़क किनारे की दुकानों पर खाने की चीजों में थूक लगाने की खबरें तो अक्सर आती रही हैं, लेकिन इस बार घर में काम करने वाली एक मेड की करतूत सामने आई है. मेड आटा गूंथने के लिए पानी की जगह पेशाब का इस्तेमाल कर रही थी. और उसकी करतूत तब मालूम हो सकी जब घरवालों ने खाना बनाने के वक्त चुपके उसका वीडियो बना लिया. गाजियाबाद के इस मामले में आरोपी मेड को गिरफ्तार कर लिया गया है.
बताते हैं कि वो मेड परिवार में पिछले 8 साल से काम कर रही थी. उन लोगों को शक तब हुआ जब परिवार के लोग कुछ महीनों से गंभीर रूप से बीमार होने लगे. परिवार के लोग पेट और लीवर की बीमारियों से जूझ रहे थे. पहले तो सामान्य इन्फेक्शन समझकर इलाज चला, लेकिन स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ तो शक गहराने लगा – और पीछे लगने पर पूरी कहानी सामने आई.
जुलाई, 2024 की ही बात है, कांवड़ यात्रा के रास्ते में आने वाली दुकानों के बाहर स्थानीय पुलिस ने मालिकों को नाम लिखने को कहा तो बवाल मच गया. मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया, और उस पर रोक लगा दी गई – अब खबर आई है कि यूपी सरकार ऐसे मामलों को रोकने के लिए नया अध्यादेश लाने जा रही है.
खाने पीने की चीजों में थूक मिलाना गैर-जमानती अपराध होगा
खाने-पीने की चीजों में थूक मिलाने की घटना को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी काफी गंभीरता से लिया है – और ऐसे मामलों में डीजीपी को सख्ती से पेश आने का आदेश दिया है. पुष्कर सिंह धामी ने कहते हैं, 'इस तरह के किसी दुष्कृत्य के लिए उत्तराखंड में कोई स्थान नहीं है… ऐसी घटनाओं से न सिर्फ खाद्य पदार्थ दूषित होते हैं, भावनाएं भी आहत होती हैं… इस तरह की घटनाओं पर हम कठोर कार्रवाई करेंगे.'
उत्तराखंड सरकार की तरफ से सभी जिलों में पुलिस को निर्देश दिए गए हैं कि होटल, ढाबा और बाकी संस्थानों में काम करने वालों का शत-प्रतिशत सत्यापन सुनिश्चित किया जाये, और सीसीटीवी लगाने के साथ ही खुफिया जानकारी इकट्ठा की जाये.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तो थूक या कोई भी ह्यूमन वेस्ट मिलाये जाने को लेकर अध्यादेश लाने की तैयारी कर रहे हैं. इस सिलसिले में दो अध्यादेश – 'छद्म एवं सौहार्द विरोधी क्रियाकलाप निवारण एवं थूक प्रतिषेध अध्यादेश 2024' और 'यूपी प्रिवेंशन ऑफ कॉन्टेमिनेशन इन फूड (कंज्यूमर राइट टू नो) अध्यादेश 2024' लाये जाने हैं.
अध्यादेशों के जरिये थूककर खाना खिलाना गैर-जमानती अपराध तो होगा ही, अपराध के लिए सजा के कड़े प्रावधान भी किये जाएंगे. साथ ही, अध्यादेश आ जाने के बाद सभी को अपने खाने के बारे में पूरी जानकारी लेने का अधिकार होगा. दोनो अध्यादेश एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं. खाना कहां बन रहा है? कौन बना रहा है? और खाना कैसा है? अध्यादेश में उपभोक्ता को खाद्य पदार्थों के बारे में ,सब कुछ जानने का करीब करीब वैसे ही अधिकार मिलेगा, जैसे RTI में सूचना को लेकर मिला हुआ है.
खाने में थूक-पेशाब मिलाने वाले सायकोपैथ नहीं तो क्या हैं?
जरा सोचिये, वो मेड उस परिवार में 8 साल से काम कर रही थी. पहले और भी घरों में काम कर चुकी होगी. मालूम नहीं पेशाब मिलाकर खाना बनाने का काम उसी परिवार में कर रही थी, जहां पकड़ी गई या बाकी जगह भी कर चुकी है, ये सब तो पुलिस की जांच-पड़ताल से ही सामने आएगा – और ये भी मालूम हो सकेगा कि ये काम वो कुछ ही दिनों से कर रही थी, या शुरू से ही ऐसा करती आ रही थी?
आखिर कैसे होते हैं ये लोग. कैसी होती है इनके दिमाग की बनावट. ऐसे ख्याल इनके मन में आते क्यों हैं? कई मामलों में अपराधियों को सायकोपैथ माना जाता है, जो मजे लेने के लिए अपराध को अंजाम देते हैं. अपनी करतूत में उनको मजा आता है – खाने को लेकर ऐसी करतूत तो इसमें शामिल लोगों के भी सायकोपैथ होने की तरफ ही इशारा कर रही है.
ये कितनी गंभीर बात है कि जहां लोग लहसुन प्याज के इस्तेमाल से परहेज करते हों, वहां खाने में थूक और पेशाब मिलाये जाने से रोकने के लिए सरकार को कानून बनाना पड़े – भला इससे बड़े शर्म की बात क्या होगी.