नई दिल्ली
CJI डीवाई चंद्रचूड़ नवंबर में कार्यकाल पूरा होने जा रहा है। खबर है कि भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश के तौर पर उन्होंने जस्टिस संजीव खन्ना के नाम की सिफारिश की है। खास बात है कि जस्टिस खन्ना सुप्रीम कोर्ट के दूसरे सबसे वरिष्ठ जज हैं। खास बात है कि जस्टिस खन्ना भी मई 2025 में रिटायर हो रहे हैं। उन्होंने वकील के तौर पर साल 1983 में शुरुआत की थी।
अगले CJI
केंद्र सरकार को लिखे पत्र में सीजेआई चंद्रचूड़ ने जस्टिस खन्ना को उनका उत्तराधिकारी बनाने की सिफारिश की है। CJI चंद्रचूड़ 13 मई 2016 में पहली बार शीर्ष न्यायालय के जज बने थे। वहीं, जस्टिस खन्ना 18 जनवरी 2019 में सुप्रीम कोर्ट के पहली बार जज बने थे। इससे पहले वह दिल्ली हाईकोर्ट समेत कई ट्रिब्युनल्स में सेवाएं दे चुके हैं।
6 महीने बाद है रिटायरमेंट
NALSA यानी नेशनल लीगल सर्विसेज अथॉरिटी की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, एग्जीक्यूटिव चेयरमैन की लिस्ट में शामिल जस्टिस खन्ना 13 मई 2025 को रिटायर हो रहे हैं। ऐसे में अगर वह नवंबर में पद संभालते हैं, तो वह करीब 6 महीने CJI के तौर पर अदालत में सेवाएं देंगे।
अगले कौन
जस्टिस खन्ना के बाद अगले CJI के तौर पर जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई का नाम चर्चा में है। वह मई 2025 में यह पद संभाल सकते हैं। खास बात है कि देश के दूसरे CJI हो सकते हैं, जो अनुसूचित जाति वर्ग से आते हैं। सुप्रीम कोर्ट को पहला दलित CJI जस्टिस केजी बालकृष्ण के रूप में मिला था। वह 11 मई 2010 को रिटायर हो गए थे।
जस्टिस गवई भी 6 महीने में होंगे रिटायर
खास बात है कि मई में CJI बनने के बाद जस्टिस गवई भी अगले 6 महीने में रिटायर हो जाएंगे। सुप्रीम कोर्ट की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, 16 मार्च 1985 को कानूनी पेशे की शुरुआत करने वाले जस्टिस गवई 23 नवंबर 2025 को रिटायर होने जा रहे हैं। संभावनाएं जताई जा रही हैं कि उनके बाद जस्टिस सूर्यकांत यह पद संभाल सकते हैं।
दिल्ली हाईकोर्ट में 14 साल तक जज रहे जस्टिस संजीव खन्ना का जन्म 14 मई 1960 को हुआ था। उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के कैंपस लॉ सेंटर से कानून की पढ़ाई की। ग्रेजुएशन के बाद, उन्होंने 1983 में दिल्ली बार काउंसिल में एक वकील के रूप में रजिस्ट्रेशन कराया। सुप्रीम कोर्ट जज बनाए जाने से पहले वे दिल्ली हाईकोर्ट में 14 साल तक जज रहे। उन्हें 2019 में सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नत किया गया था।
सुप्रीम कोर्ट जज बनने पर भी हुआ था विवाद 32 जजों की अनदेखी करके जस्टिस खन्ना को सुप्रीम कोर्ट जज बनाने पर जमकर विवाद हुआ था। 10 जनवरी 2019 को कॉलेजियम ने उनकी जगह जस्टिस माहेश्वरी और वरिष्ठता में 33वें स्थान पर जस्टिस खन्ना को प्रमोट करने का फैसला किया। इसके बाद सिफारिश पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दस्तखत कर दिए थे।
वरीयता को अनदेखा करते हुए CJI बनाने के दो मामले, दोनों इंदिरा सरकार के अप्रैल 1973 में सुप्रीम कोर्ट के तीन सीनियर जजों को दरकिनार करते हुए एएन रे को CJI बनाया गया था।1977 में जब जस्टिस रे रिटायर हुए तो जस्टिस एचआर खन्ना सबसे सीनियर थे। लेकिन, उनकी जगह जस्टिस एमएच बेग को चुना गया। इमरजेंसी के दौरान जस्टिस खन्ना ने इंदिरा सरकार के खिलाफ फैसले सुनाए थे, जस्टिस संजीव खन्ना उन्हीं के भतीजे हैं।
जस्टिस संजीव खन्ना के पिता जस्टिस देवराज खन्ना भी दिल्ली हाईकोर्ट के जज थे। उनके चाचा जस्टिस हंसराज खन्ना भी सुप्रीम कोर्ट जज रहे। यह दुर्लभ संयोग था कि जस्टिस संजीव खन्ना ने सुप्रीम कोर्ट के जज के तौर पर अपना पहला दिन उसी कोर्ट रूम से शुरू किया, जहां से उनके चाचा, दिवंगत जस्टिस एचआर. खन्ना रिटायर हुए थे।
सेम सेक्स मैरिज केस की सुनवाई से खुद को अलग किया अगस्त 2024 में समलैंगिक विवाह पर 52 रिव्यू पिटीशन पर सुनवाई होनी थी। लेकिन सुनवाई से ठीक पहले जस्टिस संजीव खन्ना ने खुद को केस से अलग कर लिया था। सूत्रों के मुताबिक जस्टिस खन्ना ने इसके पीछे निजी कारणों का हवाला दिया था।
जस्टिस खन्ना के अलग होने से रिव्यू पिटीशंस पर विचार करने के लिए पांच जजों की नई बेंच बनाना जरूरी हो जाएगा। इसके बाद ही इन पर सुनवाई हो सकेगी।