बिलासपुर
ग्लोबल इंफार्मेशन सिस्टम (जीआइएस) सर्वे का कार्य दो वर्ष पहले नगर निगम के निर्देश पर कंपनी ने पूरा किया था। इसके आधार पर अब नगर निगम संपत्तिकर की चोरी को रोकने के लिए आइडब्ल्यूएमएस प्रणाली से मकानों और प्रापर्टी का पुन: सर्वे करवा रहा है।
पुराने रिकार्ड के आधार पर संपत्तिकर कर रहे जमा
सर्वे के दौरान नगर निगम ने हजारों मकान ऐसे पाए हैं, जो पुराने रिकार्ड के आधार पर संपत्तिकर जमा कर रहे हैं। जबकि उनके मौजूदा निर्माण के अनुसार संपत्तिकर अधिक होना चाहिए। सर्वे में कई रसूखदार, राजनीतिक हस्तियों, बिल्डरों व कारोबारियों के नाम सामने आए हैं, जिन्होंने नई इमारतें खड़ी की हैं लेकिन पुरानी दरों पर ही टैक्स जमा कर रहे हैं। नगर निगम 2016-17 की पुरानी दरों को बदलकर आइडब्ल्यूएमएस आधारित नए सर्वे के मुताबिक नया टैक्स वसूलने की तैयारी कर रहा है।
नए सर्वे में भवन मालिक का नाम व नंबर भी होगा सार्वजनिक
नगर निगम ने संपत्तिकर वसूली के लिए नया फार्मेट तैयार किया है। पहले 2016-17 की दरों से टैक्स लिया जाता था। निगम में नए क्षेत्र जुडने के बाद संपत्तिकर को सर्वे के अनुसार 2020-21 से लागू किया गया है। जीआइएस सर्वे के बाद पता चला कि पुरानी दरों से नगर निगम को नुकसान हो रहा है। नगर निगम ने वित्त वर्ष 2022-23 से जीआइएस सर्वे के आधार पर सूची वेबसाइट पर अपलोड की है। इसमें भवन मालिक का नाम, खाता नंबर, प्लाट और मोबाइल नंबर की जानकारी है व संपत्ति कर भी नए फार्मेंट में वसूल किया जा रहा है।
घर-घर हो रहा सर्वे, एक जोन में काम पूरा
नगर निगम की टीम ने आइडब्ल्यूएमएस के तहत भवन, मकान व दुकान की री-मैपिंग करवा रही है। इसका काम करने के लिए नगर निगम व संबंधित कंपनी के कर्मचारी लोगों के घर-घर जाकर सर्वे व री-मैपिंग का काम कर रहे हैं। अधिकारियों की माने तो एक जोन का काम पूरा हो चुका है। अन्य जोन में री-मैपिंग शुरू होगी।
सरकारी दाव-पेंच में उलझी हर घर नल योजना, एक बार और बढ़ी डेडलाइन
नईदुनिया प्रतिनिधि बिलासपुर। पीएचई विभाग हर घर नल योजना का काम करने में एक बार फिर पिछड़ गया है। वर्ष 2021 में शुरू हुआ नल योजना के तहत काम तो युद्ध स्तर पर चलने की बात अधिकारी कह रहे है. लेकिन विभागीय रोड़े की पेचिदगी की वजह से ही योजना को समय पर पूरा करना पीएचई के लिए मुश्किल हो रहा है। नल जल योजना के तहत जिले के दो लाख 46 हजार 673 घरो में नल से पानी पहुंचने का लक्ष्य मार्च 2024 में पूरा करना था, लेकिन अब इस योजना को पूरा करने के लिए दिसंबर 2024 तक का रखा गया है।