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Israel का सिनवार की मौत के साथ बदला पूरा, अब हमास का क्या होगा, गाजा पर किसका होगा कंट्रोल?

बेरुत

इजराइल डिफेंस फोर्सेज ने अपने सैन्य अभियान के तहत गाजा में गुरुवार को अपने सबसे बड़े दुश्मन हमास प्रमुख याह्या सिनवार को मार गिराया। सिनवार ने पिछले साल इजराइल पर हमास के आतंकी हमले की अगुवाई की थी और वह इजराइल के हिट लिस्ट में था। सिनवार की मौत के बाद इजरायल ने अपना बदला पूरा कर लेने की बात कही लेकिन बंधकों की रिहाई तक उसकी लड़ाई जारी रहेगी।

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने याह्या सिनवार की मौत पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह पूरी दुनिया के लिए एक अच्छा दिन है। उन्होंने कहा कि डीएनए परीक्षण से पुष्टि हुई है कि सिनवार मारा गया है। यह इजरायल और अमेरिका के साथ पूरी दुनिया के लिए एक अच्छा दिन है।

यह इजरायली बंधकों की रिहाई के लिए एक अच्छा अवसर है। इससे एक साल से जारी गाजा युद्ध समाप्त हो जाएगा। अमेरिकी उपराष्ट्रपति और डेमोक्रेटिक उम्मीदवार कमला हैरिस ने भी कहा है कि हजारों निर्दोष लोगों की हत्या के लिए जिम्मेदार हमास नेता याह्या की मौत की वजह से अमेरिका, इजरायल और पूरी दुनिया बेहतर स्थिति में है। यह गजा में हो रहे युद्ध को खत्म करने का एक मौका है।

इजराइल ने गुरुवार रात हमास प्रमुख याह्या सिनवार को मार गिराने का दावा किया था। इजरायल और अमेरिका की तरफ से दावा किया जाता रहा है कि पिछले साल 7 अक्टूबर को दक्षिणी इजरायल में हुए आतंकी हमले का नेतृत्व याह्या सिनवार ने ही किया था जिसमें 12 सौ लोग मारे गए थे और लगभग ढाई सौ लोगों को बंधक बनाया गया था।

उल्लेखनीय है कि जुलाई में हमास नेता इस्माइल हनिया के तेहरान में इजरायली कार्रवाई में मारे जाने के बाद सिनवार को हमास प्रमुख बनाया गया था। सिनवार का जन्म 1962 में खान यूनिस के गाजा शहर के एक शरणार्थी शिविर में हुआ था। हमास का गठन 1987 में हुआ था और याह्या सिनवार उसके संस्थापक सदस्यों में से एक था। अपनी क्रूरता के लिए कुख्यात सिनवार ने संदेह होने पर अपने 12 सहयोगियों की हत्या कर दी थी, जिसके बाद उसे खान यूनिस का कसाई कहा जाने लगा।

क्या सिनवार या हमास का कोई विकल्प भी खड़ा हो चुका है, जो खाली जगह भरेगा?

इन सवालों के जवाब के लिए एक बार सिनवार की हिस्ट्री जानते चलें. अस्सी के दशक में हमास को खड़ा करने में जो शुरुआती लोग थे, उनमें से एक सिनवार भी था. उसे इजरायली सेना ने कई बार पकड़ा भी. साल 2011 में कैदियों की अदलाबदली के दौरान छूटकर वो वापस हमास की कमान संभालने लगा.  इसके बाद से वो गाजा में हमास को लगातार ताकतवर बनाता गया. बाहरी दुनिया से संवाद और फंडिंग जुटाने का काम भी इसके हिस्से था. इस नेता के बारे में कुख्यात था कि ये हर उस शख्स का गला काट देता था, जो इसे इजरायल के पक्ष में लगे, फिर चाहे वो फिलिस्तीनी जनता क्यों न हो.

पिछले साल 7 अक्टूबर को इजरायल पर बड़ा नागरिक हमला हुआ. खुफिया एजेंसियों ने माना कि अटैक का मास्टरमाइंड सिनवार ही है. हमले के साथ-साथ हमास ने ढाई सौ से ज्यादा लोगों को बंधक भी बना लिया. इसके बाद से आईडीएफ सिनवार को पकड़ने या मारने की फिराक में थी. यहां तक कि उसकी सूचना देने वालों को 4 लाख डॉलर इनाम तक का वादा कर दिया. आखिरकर गुरुवार को सिनवार मारा गया, डीएनए टेस्ट के बाद जिसकी पुष्टि भी इजरायल ने कर दी.

गाजा में क्यों है चुप्पी

इतनी बड़ी घटना के बाद भी हमास की पैरवी करने वाले किसी मुस्लिम देश की बड़ी प्रतिक्रिया नहीं आई, जो पहले हर इजरायली वार पर हो-हल्ला किया करते थे. यहां तक कि गाजा में भी सन्नाटा है. कोई कुछ भी कहने से बच रहा है. इसके पीछे इजरायल का डर नहीं, बल्कि एक बड़ा कारण ये भी है कि गाजा पट्टी में सिनवार की लोकप्रियता लगातार गिर रही थी.

आधी से ज्यादा आबादी सिनवार से परेशान

पेलेस्टाइन सेंटर फॉर पॉलिसी एंड सर्वे रिसर्च ने पिछले महीने एक सर्वे के नतीजे जारी किए. इसकी मानें तो गाजा की 65 फीसदी जनता सिनवार की लीडरशिप से नाखुश थी. वे मान रहे थे कि इसी लीडरशिप के चलते गाजा पट्टी तबाह हुई. वहां चालीस हजार से ज्यादा लोग मारे गए. वहीं कथित लीडर सालभर से हमास के सघन टनल नेटवर्क में छिपा हुआ था.

सिनवार का चैप्टर क्लोज हो चुका, लेकिन क्या हमास नाम की किताब भी साथ ही बंद हो जाएगी? गुरुवार को सिनवार की मौत कन्फर्म करते हुए इजरायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने इसे 'गाजा के लिए हमास के बाद शुरुआत' कहा. साथ ही साथ ये भी साफ कर दिया कि उनकी सेना बंधकों को छुड़ाने तक वहीं जमी रहेगी. इसके बाद क्या- ये सवाल बार-बार उठ रहा है.

हमास के बाद कौन से विकल्प बाकी

फिलिस्तीनी चरमपंथी गुट हमास का गाजा में केवल हेडक्वार्टर नहीं था, बल्कि यही संगठन इस पट्टी पर शासन चला रहा था. हालांकि ये कोई चुनी हुई सरकार नहीं थी. वो साल 2007 से इस क्षेत्र पर एकतरफा शासन कर रहा था. बता दें कि साल 2006 में फिलिस्तीन (गाजा पट्टी और वेस्ट बैंक) में इलेक्शन हुए थे. इसमें हमास विपक्षियों पर भारी रहा. इसके बाद उसने फिलिस्तीनी अथॉरिटी से सत्ता छीन ली और अपना अलग राजकाज चलाने लगा. अब लगभग सारे लीडरों को खो चुका हमास अनाथ हो चुका है. ऐसे में गाजा में उसके रूल की फिलहाल तो कोई संभावना नहीं.

खाली फ्रेम में कई तस्वीरें आ सकती हैं

इनमें एक दावेदार है, फिलिस्तीनी अथॉरिटी. फिलहाल वेस्ट बैंक में काम कर रही अथॉरिटी को लेकर अगर अंतरराष्ट्रीय समुदाय एकमत हो जाए तो राष्ट्रपति महमूद अब्बास की सरकार गाजा को भी कंट्रोल कर सकती है.

एक संभावना ये भी है कि तुरंत कोई रास्ता न निकलता देख इजरायली सेना कुछ समय के लिए वहीं रुक जाए, और अप्रत्यक्ष सैन्य कंट्रोल रखे. ये इसलिए भी हो सकता है क्योंकि इजरायल बार-बार हमास के कमर तोड़ देने की बात कह रहा है. अगर फिलहाल वो गाजा पट्टी से एकदम से हट जाए तो हो सकता है कि बचे-खुचे विद्रोही वापस अपना काम शुरू कर दें.

किसी भी युद्धग्रस्त या ताजा-ताजा युद्ध से निकले इलाके में अक्सर यूएन अपनी सेना और लोग भेज देता है ताकि वो उसे दोबारा खड़ा करने में मदद करें. गाजा पट्टी के साथ भी हो सकता है कि वहां यूएन शांति सेना चली जाए और संयुक्त राष्ट्र का अस्थाई प्रशासन हो.

गृहयुद्ध में फंसने का भी खतरा

अगर कोई स्थिर राजनैतिक समाधान न निकले, तो गाजा में अस्थिरता बनी रह सकती है. इससे वो वॉर ट्रैप में जा सकता है. यानी छोटे-छोटे कई कट्टरपंथी समूह बन जाएंगे जो सत्ता के लिए लड़ेंगे. इनमें से जो भी भारी पड़े, गाजा पर वही कंट्रोल कर लेगा. या फिर सीरिया की तरह इसके भी अलग-अलग हिस्से पर अलग-अलग समूहों की सरकार चलेगी. फिलहाल वहां इस्लामिक जिहाद और पॉपुलर रेजिस्टेंस कमेटीज नाम से सशस्त्र गुट हैं जो इजरायल के खिलाफ रहते हैं.

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