मध्य प्रदेश के भूमिहीन, सीमांत और छोटे किसानों का गैर लाइसेंसी साहूकारों से अगस्त 2020 तक लिया गया अवैध कर्ज और उसकी ब्याज माफ करने का निर्णय लिया गया है. मंगलवार शिवराज कैबिनेट ‘मध्य प्रदेश ग्रामीण ऋण विमुक्ति विधेयक-2020’ बिल पर मुहर लगा दी.
मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के भूमिहीन, सीमांत और छोटे किसानों का गैर लाइसेंसी साहूकारों से अगस्त 2020 तक लिया गया अवैध कर्ज और उसकी ब्याज माफ करने का निर्णय लिया गया है. मंगलवार को शिवराज कैबिनेट ‘मध्य प्रदेश ग्रामीण ऋण विमुक्ति विधेयक-2020’ बिल पर मुहर लगा दी. इसके तहत 15 अगस्त 2020 तक भूमिहीन कृषि श्रमिक, सीमांत और छोटे किसानों को गैर लाइसेंसी साहूकारों से लिया गया कर्ज और ब्याज की रकम ना तो चुकानी होगी और ना ही उनसे वसूली की जा सकेगी.
यदि कोई गैस लाइसेंसी साहूकार इस विधेयक का उल्लंघन करता है, तो उसके लिए 3 साल की सजा और 1 लाख रुपए
जुर्माने का प्रावधान किया गया है. इतना ही नहीं, सिविल न्यायालय में गैर अधिनियम के दायरे में आने वाले प्रकरण की सुनवाई नहीं होगी. ऋण वसूली के लिए राजस्व प्रक्रिया के तहत चल रही कार्रवाई भी समाप्त हो जाएगी. विधेयक को राज्यपाल की मंजूरी के बाद सरकार इसे विधान सभा में पारित कराकर लागू करेगी.
अनुसूचित जनजाति ऋण मुक्ति विधेयक के माध्यम से अनुसूचित क्षेत्रों में रहने वाले जनजातीय भाई-बहनों को इस प्रकार के अवैध ऋणों से पहले ही मुक्त कराया गया है. सरकार इसके लिए अध्यादेश लाएगी और राज्यपाल की मंजूरी के बाद कानून को लागू कर दिया जाएगा.
इन किसानों को मिलेगा लाभ राजस्व मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने बताया, विधेयक लागू होने से तीन श्रेणी के किसानों को इसका लाभ मिलेगा. पहला- भूमिहीन कृषि श्रमिक, जिनके पास जमीन नहीं है और वे अन्य किसी के खेत में मजदूरी करते हैं या बटाई पर खेती करते हैं. दूसरा- सीमांत किसान, जिनके पास आधा हेक्टेयर सिंचित या 1 हेक्टेयर तक सिंचित जमीन है। तीसरा- छोटे किसान, जिनके पास 1 हेक्टेयर तक सिंचित या 2 हेक्टेयर तक असिंचित जमीन है। उन्होंने बताया कि इससे पहले अनुसूचित क्षेत्रों के अनुसूचित-जनजाति वर्ग के व्यक्तियों को गैस लाइसेंसी साहूकारों से मुक्ति दिलाने का कानून लागू किया जा चुका है.