साधु-संतों ने उज्जैन में भी स्थायी आश्रम बनाने के मुख्यमंत्री के निर्णय को सराहा
स्वामी अवधेशानंद जी ने संतों के प्रति संवेदनशीलता के लिए मुख्यमंत्री को दिया साधुवाद
देश के साधु-संत, महंत, अखाड़ा प्रमुखों और महामंडलेश्वर आदि ने प्रसन्नता व्यक्त कर मुख्यमंत्री की घोषणा को सराहा है
अखाड़ा परिषद ने निर्णय को बताया विकासोन्मुखी
भोपाल
उज्जैन में वर्ष 2008 में होने वाले वैश्विक सिंहस्थ की तैयारियां राज्य शासन ने अभी से शुरू कर दी है। सिंहस्थ में पूरे देश से आने वाले साधु-संतों से भी उज्जैन की पहचान सदैव से रही है। साधु-संतों के हित में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा स्थायी आश्रम निर्माण के लिए की गई घोषणा को पूरे देश के साधु-संत, महंत, अखाड़ा प्रमुखों और महामंडलेश्वर आदि ने प्रसन्नता व्यक्त कर मुख्यमंत्री की घोषणा को सराहा है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा है कि हरिद्वार में जिस प्रकार साधु-संतों के अच्छे आश्रम बने हुए हैं, उसी प्रकार उज्जैन में भी साधु-संतों के स्थायी आश्रम बनवाने के प्रयास किए जाएंगे। उज्जैन विकास प्राधिकरण के माध्यम से योजना को आकार दिया जाएगा। सभी मूलभूत सुविधाओं के विकास के साथ साधु-संतों के लिए आश्रम निर्माण के कार्य समानांतर रूप से होंगे। समाज के इच्छुक सनातन धर्मावलंबियों के माध्यम से अन्न क्षेत्र, धर्मशाला, आश्रम, चिकित्सा केंद्र, आयुर्वेद केंद्र आदि सार्वजनिक गतिविधियों के संचालन को भी प्राथमिकता दी जाएगी।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव द्वारा की गई इस महत्वपूर्ण पहल का उज्जैन से लेकर हरिद्वार तक संत समाज ने स्वागत किया है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष मां मनसा देवी ट्रस्ट हरिद्वार के अध्यक्ष पंचायती निरंजनी अखाड़ा के सचिव महंत रवींद्र पुरी महाराज ने मुख्यमंत्री डॉ. यादव के निर्णय को अत्यंत ही महत्वपूर्ण बताते हुए विकास के लिये नये आयाम स्थापित करने वाला बताया है। महांमडलेश्वर और अखाड़ों के प्रमुखों ने इस पहल पर प्रसन्नता व्यक्त की है। जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद जी ने कहा कि सनातन धर्म संस्कृति में चिरकाल से अंतर्निहित “सर्वं खल्विदं ब्रह्म नेह नानास्ति किंचन” व “आत्मवत सर्व भूतेषु” जैसे दिव्य भावों के संपोषक, लोक कल्याणकारी योजनाओं तथा पारमार्थिक प्रवृत्तियों के प्रसारक संत सत्पुरुष ही हैं।
स्वामी अवधेशानंद जी ने कहा कि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. यादव द्वारा लिये गये निर्णय अनुसार उज्जैन में हरिद्वार की भाँति साधु संतों, महंत, अखाड़ा प्रमुखों, महामंडलेश्वर इत्यादि को स्थाई आश्रम बनाने की अनुमति दी जाना, अत्यंत प्रशंसनीय है। उन्होंने उज्जैन तीर्थ विकास एवं संतों के प्रति उनकी इस संवेदनशीलता के लिये मुख्यमंत्री को साधुवाद दिया।
पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर 1008 आनंद विभूषित अवधूत बाबा अरुण गिरी जी महाराज (एनवायरमेंट बाबा) ने कहा कि संतों में बड़ा उल्लास और खुशी है। सिंहस्थ क्षेत्र उज्जैन में जो अखाड़ों की जगह है, संतों की जमीन है, उसमें पर्यावरण को बचाते हुए स्थायी निर्माण के लिए सभी संत समाज के लोग उनका स्वागत करते हैं। इससे हरिद्वार जैसा विकास उज्जैन का भी हो जाएगा, जब सभी संत महापुरुषों का वहां आश्रम बनेगा।
राज्यसभा सांसद बाल योगी उमेश नाथ जी महाराज, पीठाधीश्वर वाल्मिकी धाम ने कहा कि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने अपनी सूझबूझ और विवेक से अभुतपूर्व और ऐतिहासिक निर्णय लिया है। कुंभ मेला भारत के चार पवित्र स्थानो पर लगता है उसमें एक अवंतिका पुरी उज्जैन भी है। प्रसन्नता की बात है कि कुंभ, अवंतिका और मध्यप्रदेश के शासनकाल के इतिहास में डॉ. यादव के निर्णय से कुंभ-2028 में देश के उच्च कोटि के महात्मा तंबूओ में न रहकर पक्के आश्रम में रहेंगे।
बाल योगी उमेश नाथ जी महाराज ने कहा कि मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने यह निर्णय इस लिये लिया है कि अयोध्या में भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर बन गया है। डॉ. यादव ने संकल्प लिया है कि 2028 में जो कुंभ आएगा उसमें हम देश के जितने भी निर्धारित अखाड़े हैं, उन सभी अखाड़ों का स्थायी निर्माण करके दिया जाएगा। उसके लिए एक हेक्टेयर के भू-खंड पर 25 प्रतिशत पर भवन निर्माण किया जा सकेगा। शेष भू-खंड अन्य जरूरी व्यवस्थाओं के लिये खुला रहेगा। उन्होंने सन्यासी होने के नाते देश के तमाम साधु-संतों की ओर से मुख्यमंत्री डॉ. यादव के उज्ज्वल भविष्य की कामना की और आशीर्वाद दिया।
आचार्य महामंडलेश्वर श्रीपंचदशनाम आव्हान अखाडा हरिद्वार के अरुण गिरी जी महाराज (अवधूत बाबा), बाल योगी उमेश नाथ जी महाराज, पीठाधीश्वर वाल्मिकी धाम, (राज्यसभा सांसद), महंत रामेश्वर गिरी महाराज, सचिव श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा, अध्यक्ष, शैव मंडल उज्जैन, पीर रामनाथ जी महाराज, गादीपति, भर्तहरि गुफा, उज्जैन एवं महंत डॉ. रामेश्वर दास महाराज अध्यक्ष रामादल अखाड़ा परिषद उज्जैन ने भी मुख्यमंत्री के निर्णय पर प्रसन्नता व्यक्त की है।