हरियाणा
दूध दही के खाने के लिए मशहूर हरियाणा में धड़ल्ले से मिलावटी खाद्य पदार्थ बेचे जा रहे हैं। खुद खाद्य एवं औषधि विभाग के आंकड़े इस बात की तस्दीक कर रहे हैं। एक साल में विभाग की ओर से लिए गए कुल सैंपल में से 25 प्रतिशत फेल पाए गए हैं। मतलब ये खाद्य पदार्थ खाने लायक नहीं मिले। इनमें दूध, पनीर से लेकर मिठाई, मसालों के साथ अन्य खाद्य पदार्थ शामिल हैं।
आंकड़ों के मुताबिक विभाग ने 1 अप्रैल, 2023 से लेकर 31 मार्च 2024 तक अलग-अलग खाद्य पदार्थों के कुल 2682 सैंपल लिए। जांच में 676 सैंपल फेल पाए गए हैं। आंकड़े ये भी बता रहे हैं कि पूरे प्रदेश में प्रतिदिन केवल सात और माह में केवल 210 सैंपल ही लिए जा रहे हैं। इसका सीधा सा मतलब ये है कि काफी संख्या में खाद्य पदार्थों की जांच विभाग कर ही नहीं पाता और लोगों को मिलावटी और नकली खाद्य पदार्थ धड़ल्ले से बेचे जा रहे हैं।
न स्टाफ न अधिकारी
बता दें कि कम सैंपल लिए जाने का सबसे बड़ा कारण ये है कि खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग में न तो पर्याप्त स्टाफ है और न जांच व निगरानी के लिए अधिकारी हैं। स्थिति ये है कि इस समय प्रदेश के 22 जिलों में से मात्र सात जिलों में ही जिला खाद्य अधिकारी हैं और सभी के पास दो से तीन तीन जिलों के चार्ज है। दूसरा, फूड सेफ्टी आफिसर (एफएसओ) की बात करें तो प्रदेश में केवल 10 अधिकारी हैं और इनके पास भी कई-कई जिलों के चार्ज हैं। प्रदेश में फूड सेफ्टी ऑफिसर के 45 स्वीकृत पदों में से 43 लंबे समय से खाली पड़े हैं। स्थायी तौर पर केवल दो पदों पर खाद्य सुरक्षा अधिकारी काम कर रहे हैं। शेष अधिकारियों को प्रतिनियुक्ति पर रखा गया है। पशुपालन विभाग और स्वास्थ्य विभाग से अधिकारियों को डेप्यूटेशन पर लिया गया है और इनके भरोसे ही विभाग चल रहा है।