कैलिफ़ोर्निया
अमेरिका में खालिस्तान समर्थकों के खिलाफ एक गुरुद्वारे के प्रधान द्वारा बड़ा ही साहसिक एक्शन सामने आया है जिसकी पूरी दुनिया में खूब सराहना हो रही है। जानकारी के अनुसार अमेरिका के कैलिफोर्निया में सैन जोस स्थित गुरु रामदास जी गुरुद्वारे के प्रधान भूपिंदर सिंह ढिल्लों ने एक नगर कीर्तन के दौरान खालिस्तान समर्थकों को बाहर निकलने का आदेश दिया। उन्होंने क खालिस्तानी समर्थकों को केवल 5 मिनट का अल्टीमेटम दिया और कहाकि उन्होंने कीर्तन का आनंद उठा लिया इसलिए अब वह समारोह से निकल जाएं। 5 मिनट के अल्टीमेट के बाद उन्होंने उन्हें नगर कीर्तन से बाहर निकाल दिया। यह घटना उस समय हुई जब खालिस्तानी समर्थक गुरु अर्जन देव जी के प्रकाश पर्व के उपलक्ष्य में आयोजित धार्मिक समारोह में शामिल होने आए।
इस नगर कीर्तन में सैकड़ों श्रद्धालु शामिल थे, जो अपने धर्म और संस्कृति को उल्लास से मनाने आए थे। जैसे ही खालिस्तानी समर्थक समारोह में पहुंचे भूपिंदर सिंह ढिल्लों ने उनकी गतिविधियों पर नजर रखनी शुरू कर दी। उन्होंने देखा कि खालिस्तानी समर्थक अपने राजनीतिक नारों और बैनरों के साथ इसमें शामिल हो रहे हैं। इस पर, भूपिंदर सिंह ढिल्लों ने एक सभा में उपस्थित सभी श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा, "यह समारोह धार्मिक है, और हम यहां भाईचारा और एकता मनाने के लिए एकत्रित हुए हैं। किसी भी प्रकार की राजनीतिक बयानबाजी के लिए यहाँ कोई जगह नहीं है।" इसके बाद उन्होंने खालिस्तान समर्थकों को 5 मिनट का समय दिया कि वे वहां से चले जाएं। इस अल्टीमेटम के बाद, कुछ खालिस्तानी समर्थक अपने नारों के साथ वहीं खड़े रहे, लेकिन जब समय समाप्त हुआ, तो भूपिंदर सिंह ढिल्लों ने सख्ती से उन्हें वहां से बाहर निकालने की कार्रवाई की।
इस क्रम में कई सिख श्रद्धालुओं ने उनका समर्थन किया और यह सुनिश्चित किया कि समारोह शांति से संपन्न हो। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर भी तेजी से वायरल हो रहा है। से लोगों ने भूपिंदऀ सिंह ढिल्लों के इस कदम की सराहना की। कई लोगों ने इसे सिख समुदाय के सामूहिक एकता का प्रतीक माना। भूपिंदर सिंह ने बाद में मीडिया से बात करते हुए कहा, "हमारा धर्म हमेशा मानवता और भाईचारे की बात करता है। हमें किसी भी तरह की विभाजनकारी विचारधारा को बर्दाश्त नहीं करना चाहिए।" इस घटना के बाद, विभिन्न सिख संगठनों ने खालिस्तानी विचारधारा के खिलाफ एकजुटता व्यक्त की है, यह सुनिश्चित करने के लिए कि धर्म और संस्कृति की पवित्रता सुरक्षित रहे।