Digital Media: अधिकारी ने बताया कि मंत्रालय इस बात को जानता है कि प्रस्तावित कानून व्यवस्था के चलते सेक्टर की आजादी नहीं छीनी जानी चाहिए. वहीं, ओटीटी (OTT) प्लेटफॉर्म्स इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया के साथ काम कर रहे हैं.
न्यूज वेबसाइट (News Websites) और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स समेत कई डिजिटल प्लेटफॉर्म्स (Digital Platforms) पर चल रहे कंटेंट को लेकर बहस जारी है. इसी बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) सरकार डिजिटल मीडिया के लिए कानून लाने पर विचार कर रही है. कहा जा रहा है कि इसके बाद ओटीटी और न्यूज वेबसाइट्स को अपने लिए नियम तैयार करने की अनुमति मिलेगी. खास बात है कि फिलहाल डिजिटल मीडिया को नियंत्रित करने के लिए कोई भी व्यवस्था नहीं है. जिसके चलते फेक न्यूज, एडल्ड कंटेंट समेत कई मद्दों को लेकर विवाद खड़ा होता रहा है.
सरकार डिजिटल मीडिया के लिए एक कानून लाने जा रही है. इस कानून के तहत डिजिटल मीडिया को सेल्फ रेग्युलेशन की व्यवस्था तैयार होगी. फिलहाल कम से कम 40 ओटीटी प्लेटफॉर्म्स देश में चल रहे हैं. इनमें नेटफ्लिक्स, अमेजन प्राइम और हॉटस्टार जैसे बड़े नाम भी शामिल हैं. डिजिटल मीडिया को सेल्फ रेग्युलेट करने का मुद्दा इस महीने काफी जोरों पर रहा. भारत में ओटीटी प्लेटफॉर्म्स का बाजार 1 हजार करोड़ रुपए के करीब है
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि मुद्दा उठने के बाद सूचना और प्रसारण मंत्रालय मंत्रालय ने एक कानून के लिए ढांचा तैयार किया. उन्होंने जानकारी दी कि इसके तहत डिजिटल मीडिया खुद को विनियमित या नियंत्रित कर पाएगा. उन्होंने कहा ‘जैसे प्रिंट मीडिया के पास प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया है, फिल्मों के पास सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन है और टीवी चैनल्स, केवल टेलीविजन नेटवर्क्स रेग्युलेशन एक्ट के अंतर्गत काम करते हैं.’ उन्होंने बताया कि इसके बाद अब तक बगैर विनियम के रहे डिजिटल मीडिया के पास भी शिकायतों के निपटारे के लिए एक कानून होगा.
वहीं, एक दूसरे अधिकारी ने बताया कि सूचना और प्रसारण मंत्रालय मंत्रालय इस बात को जानता है कि प्रस्तावित कानून व्यवस्था के चलते सेक्टर की आजादी नहीं छीनी जानी चाहिए. वहीं, ओटीटी प्लेटफॉर्म्स इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया के साथ काम कर रहे हैं. यह एसोसिएशन ओटीटी के हितों को सामने रखती है. हालांकि, ऐसा महसूस किया गया कि एसोसिएशन की तरफ से प्रस्तावित सेल्फ रेग्युलेशन व्यवस्था ओटीटी के पक्ष में काफी ज्यादा है.
सूचना और प्रसारण मंत्रालय मंत्रालय को लंबे समय से कंटेंट के संबंध में शिकायतें मिल रहीं थीं. वहीं, सरकार अभी ऑस्ट्रेलिया में जारी मॉडल की जांच कर रही है. ऑस्ट्रेलिया में गूगल और फेसबुक जैसे प्लेटफॉर्म्स से स्थानीय न्यूज के लिए पैसा चुकाने को कहा जाता है.