भाजपा विपक्ष में जिस मुद्दे पर तल्ख थी, अब वही उसे भा गया है। मामला मध्य प्रदेश में शराब की नई दुकानें खोलने से जुड़ा है। शिवराज सरकार ने प्रस्ताव दे दिया है कि वह मध्य प्रदेश में नई दुकानें खोलने जा रही है। तर्क दिया है कि पड़ोसी राज्यों से अवैध रूप से सप्लाई होती है, उसे रोकने के लिए यह जरूरी है। उन्होंने इसके लिए महाराष्ट्र के आंकड़े भी गिनाते हुए कहा कि ‘वहां एक लाख की आबादी पर 21 शराब दुकानें हैं, हमारे यहां तो सिर्फ चार ही हैं।’
दरअसल, एक साल पहले जनवरी-फरवरी में तत्कालीन कमलनाथ सरकार ने शराब की उप दुकानें खोलने का प्रस्ताव तैयार किया था। उनके यह प्रस्ताव लाते ही तब के विपक्षी दल BJP ने आरोप लगा दिया था कि कमलनाथ सरकार मप्र को ‘मदिरा प्रदेश’ बनाना चाहती है। अब शिवराज सत्ता में आए तो वही फैसला लेने की तैयारी कर रही है।
गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने यह प्रस्ताव दिया है कि जहरीली और अमानक शराब की रोकथाम के लिए शराब की दुकानों की संख्या बढ़ना जरुरी है।
जनवरी 2020 को शिवराज सिंह चौहान को लिखे पत्र में कहा था- मप्र में जनसंख्या एवं क्षेत्रफल के आधार पर भाजपा शासित राज्य उत्तर प्रदेश की तुलना में शराब की दुकानों की संख्या अत्यंत कम हैं। जहां मप्र में जनसंख्या एवं क्षेत्रफल के आधार पर प्रति एक लाख की जनसंख्या पर मात्र 5 शराब की दुकानें हैं, वहीं यूपी में यह संख्या 12 है। मप्र में प्रति एक हजार वर्ग किमी पर शराब की दुकानों की संख्या 12 है, जबकि यूपी में 41 है।
कमलनाथ सरकार ने सरकार का खजाना भरने के लिए दो प्रस्ताव तैयार किए थे। पहला- शराब की उप दुकानें खुलेंगी। दूसरा- विदेशी शराब की ऑन लाइन बिक्री। इसे लेकर बीजेपी ने विरोध किया था। इतना ही नहीं, नेता प्रतिपक्ष रहे (अब लोक निर्माण मंत्री) गोपाल भार्गव ने धमकी दी कि यदि शराब की नई दुकानें खोली गईं तो वे CM हाउस के सामने धरने पर बैठ जाएंगे।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि कमलनाथ सरकार मप्र को ‘मद्य प्रदेश’ बनाना चाहती है, लेकिन हम ऐसा नहीं होने देंगे। प्रदेश में कहीं भी शराब की उपदुकानें नहीं खुलेंगी। कमलनाथ प्रदेश में शराब माफिया शराब की नीति बना रहे हैं। जब यह प्रस्ताव कैबिनेट में आया था तक कुछ मंत्रियों ने भी विरोध किया था। इसके बाद कमलनाथ सरकार बेकफुट पर आ गई थी। सरकार ने शराब के नए ठेके के टेंडर से दोनों बिंदु हटा लिए थे।
कांग्रेस ने प्रदेश को शराब मुक्त बनाने का दिया वचन
विधानसभा चुनाव 2018 में कांग्रेस ने अपने वचन पत्र में कहा था कि यदि कांग्रेस सरकार में आती है तो प्रदेश को शराब मुक्त कर देंगे, लेकिन कमलनाथ सरकार ने वचन पत्र में की गई घोषणा के विपरीत शराब की उप दुकानें खोलने का प्रस्ताव तैयार किया था।
इस फैसले से करीब 2 हजार से ढाई हजार शराब दुकानें खुल जाएंगी। सरकार ने आम नागरिकों की सुरक्षा, स्वास्थ्य और कुशलता को दरकिनार कर शराब माफिया को नए साल में तोहफा दिया है। भाजपा सरकार ने एक भी नई दुकानें नहीं खोलीं। यह नीति बनाई थी कि धीरे-धीरे शराब की दुकान कम हो जाएं। आपके (कमलनाथ) निर्णय से महिलाओं के विरुद्ध अपराधों में वृद्धि होगी। राज्य मदिरा प्रदेश बन जाएगा। इस पत्र का कमलनाथ ने जवाब भी दिया था।
मुख्यमंत्री कमलनाथ ने बयान में कहा था कि शिवराज ने नई नीति का अध्ययन किए बिना ही पत्र लिख दिया। कहा- इस नीति से 2000 से 2500 नई शराब दुकानें खुलेंगी। यह आधानहीन बयान है। इस नीति के कारण कोई नई दुकान नहीं खुल रही है, वरन मूल दुकान का लाइसेंसी यदि चाहे तो कुछ शर्तों के अधीन मूल दुकान के साथ उसकी उप दुकान खोल सकता है। इससे आबकारी अपराधों पर रोक लगेगी।
ऐसे बढ़ती गईं शराब की दुकानें
2003-04 में 2221 शराब दुकानें थीं, जो 2010-11 में 2770 हुईं। प्रदेश में शराब 3605 (देसी 2544 और विदेशी शराब 1061) दुकानें हैं।
मध्य प्रदेश में शराब की दुकानों की नीलामी से वित्त वर्ष 2019-20 में 8521 करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ था। जो मौजूदा साल में बढ़ कर 10318 करोड़ हो गया है।