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जस्टिन ट्रूडो भारत से पंगा लेना पड़ गया भारी , संकट में कनाडा की सरकार; सहयोगी का अल्टीमेटम

ओटावा

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को भारत से पंगा लेना महंगा पड़ गया है। उनकी सरकार पर अल्पमत में आने का खतरा मंडरा रहा है। सरकार में शामिल कुछ दलों ने उन्हें अल्टिमेटम दिया था, जिसकी मियाद खत्म हो चुकी है। क्यूबेक की एक राष्ट्रवादी पार्टी ने घोषणा की कि वह कनाडा में प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की अल्पमत सरकार को गिराने के लिए विपक्षी दलों के साथ मिलकर काम करेगी। आपको बता दें कि संसद में 338 सीटों में से ट्रूडो की लिबरल पार्टी के पास 153 सांसद ही हैं। संसद में कानून पारित करने के लिए वह अन्य पार्टियों पर निर्भर हैं।

ब्लॉक क्यूबेकॉइस के नेता यवेस-फ्रांस्वा ब्लैंचेट ने घोषणा की कि जस्टिन ट्रूडो के दिन गिने हुए हैं। ट्रूडो की सरकार ने लिबरल पार्टी ने वरिष्ठ नागरिकों के लिए वृद्धावस्था सुरक्षा बढ़ाने की उनकी मांग को अस्वीकार कर दिया था।

आपको बता दें कि ट्रूडो को अपनी सरकार बचाने के लिए न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (NDP) और कंजर्वेटिव पार्टी दोनों के समर्थन की आवश्यकता होगी। इस बीच कंजर्वेटिव पार्टी ने पहले ही समय से पहले चुनाव कराने के लिए जोर दिया है।

फिलहाल ब्लॉक और NDP दोनों ने कंजर्वेटिव नेता पियरे पोलिएवर के समय से पहले चुनाव कराने की मांग को अस्वीकार कर दिया है। हालांकि, अब ब्लॉक ने प्रस्ताव लाने का फैसला किया है। ट्रूडो का अस्तित्व खालिस्तान समर्थक पार्टी के महत्वपूर्ण समर्थन पर टिका है। एनडीपी ने ट्रूडो की सरकार का समर्थन किया है, लेकिन उनके नेता जगमीत सिंह ने हाल ही में कहा कि वे समय को देखते हुए समर्थन पर फैलसा लेंगे।

सरकारी सदन की नेता करीना गोल्ड ने मंगलवार को कहा कि हमेशा आगे बढ़ने का एक रास्ता होता है। वहीं, सार्वजनिक सेवा मंत्री जीन-यवेस डुक्लोस ने ब्लॉक की समय सीमा को कृत्रिम बताते हुए खारिज कर दिया और कहा कि लिबरल अल्पसंख्यक संसद को बनाए रखने के लिए अन्य दलों के साथ काम करना जारी रखेंगे।

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Satyam Tiwari

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