पूर्वी लद्धाख में तनाव के बीच भारत-चीन के बीच आर्मी लेवल की 9वें राउंड की बातचीत रविवार को मॉल्डो में हुई 15 घंटे चली। न्यूज एजेंसी के सूत्रों के मुताबिक मीटिंग में भारत ने कहा कि विवाद वाले इलाकों से सैनिक हटाने और तनाव कम करने के प्रोसेस को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी अब चीन पर है। ऐसा कहने की वजह यह मानी जा रही है कि चीन बार-बार अपनी बात से पीछे हट जाता है।
पूर्वी लद्धाख में भारत और चीन के करीब एक लाख सैनिक लंबे समय तक टिकने की तैयारियों के साथ टिके हुए हैं। इस बीच दोनों देशों के बीच डिप्लोमेटिक और सेना के स्तर पर बातचीत के दौर भी चल रहे हैं। भारत पहले ही कह चुका है कि डिसएंगेजमेंट प्रोसेस दोनों तरफ से शुरू होनी चाहिए। इसमें कोई सेलेक्टिव एप्रोच मंजूर नहीं होगी।
भारतीय सेना लंबे समय तक टिकने को तैयार
सेना के स्तर पर चल रही बातचीत में भारत चीन से कहता रहा है कि पूर्वी लद्दाख की सीमाओं पर अप्रैल से पहले की स्थिति बहाल होनी चाहिए। सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे ने करीब 2 हफ्ते पहले कहा था कि भारतीय सेना अपना लक्ष्य हासिल करने तक लद्दाख में टिकी रहेगी, भले ही कितना ही समय लग जाए। हालांकि, उन्होंने बातचीत के जरिए समाधान निकलने की उम्मीद भी जताई।
बातचीत के बावजूद चीन ने कई बार धोखा दिया
पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन के बीच तनाव पिछले साल मई में शुरू हुआ था। 15 जून को गलवान में दोनों देशों के सैनिकों की झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे। चीन के भी 40 से ज्यादा सैनिक मारे गए, लेकिन उसने कभी कबूला नहीं। गलवान की घटना के बाद तनाव काफी बढ़ गया था। उसके बाद भी चीन ने 2-3 बार पूर्वी लद्दाख की पहाड़ियों पर कब्जा करने की कोशिश की, लेकिन भारतीय सेना ने नाकाम कर दी।