India-China Standoff: सिक्किम में चीन-भारत सीमा पर काफी हद तक शांत रही है. गर्मियों के बाद से जैसे ही लद्दाख में संकट शुरू हुआ, पीएलए ने वहां भी अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया. भारत ने चीन को 1890 की वहीं संधि दिखाई जो उस वक्त व्हाइट ने दिखाई थी.
साल 1902. गर्मियों का महीना. सिक्किम में ब्रिटिश साम्राज्य के प्रतिनिधि जेम्स क्लाउड व्हाइट ने सैकड़ों सैनिकों ने नाकु-चू नदी के पास चीन के सैनिकों (PLA) को पीछे धकेलने के लिए पूरी ताकत झौंक दी. बाद में घाटी पर पहुंच कर व्हाइट ने यहां लिखा, ‘मैंने पाया कि सामान्य तिब्बती दीवार पहले के मुकाबले ज्यादा बेहतर तरीके से बने थे. यहां पूरब की तरफ ब्लॉक-हाउस बने थे. इसके अलावा पूरब से नीचे आने वाले रिज पर कुछ छोटे ब्लॉकहाउस भी थे.
खम्बा द्ज़ोंग के किले में तिब्बत की सेना के कमांडर ने इस बात पर ज़ोर दिया कि दीवार तक सीमा है. वो सीमा जिसे उन्नीसवीं शताब्दी में अपने चारागाहों को चिह्नित करने के लिए रखा था. व्हाइट 1890 के एंग्लो-चीनी सम्मेलन की एक कॉपी के साथ आए थे. इसमें लिखा था कि सीमा नकुला दर्रे पर दो किलोमीटर उत्तर की ओर है. बातचीत के लिए कुछ अधिकारी लहासा से आए थे. इनमें से एक अधिकारी ने व्हाइट के घोड़े की लगाम को पकड़कर, उन्हें अपने टेंट में उतरने और मरम्मत करने के लिए कहा. प्रसिद्ध औपनिवेशिक प्रशासक और साहसी फ्रांसिस युनूसगसबैंड उस घटना को याद करते हुए कहा, ‘उसी समय उनके नौकरों ने ब्रिटिश अधिकारियों के घोड़ों को दबाया और उनकी बागडोर जब्त कर, उन्हें दूर ले जाने का प्रयास किया.’ ये पहला मौका था जब नाकुला में दोनों सैनिकों के बीच झड़प हुई. इसके बाद से वास्तविक नियंत्रण चीन की रणनीति के लिए महत्वपूर्ण सबक बन गया.
दोनों देशों की सेनाओं के बीच झड़प
पिछले हफ्ते जब भारत और चीन सीमा पर तनाव कम करने के लिए 9वें दौर की बातचीत के लिए तैयारी कर रहा था उसी दौरान दोनों देशों के सेनाओं के बीच झड़प हो गई. सिक्किम के नाकु-ला में मई के बाद ये दूसरी झड़प थी. हालांकि भारतीय सेना ने बताया कि 20 जनवरी को सिक्किम के नाकु-ला दर्रे पर चीनी सैनिकों के साथ ये मामूली झड़प थी, लेकिन दोनों तरफ से सैनिक इसमें घायल हुए. रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञ मनोज जोशी कहते हैं, ‘एलएसी पर हर वह स्थान जहां पीएलए दबाव के कारण भारतीय सेना को जवाब देने के लिए मजबूर करता है. एलएसी के साथ उपयोग किए जाने वाले संसाधन ऐसे संसाधन हैं जो सैन्य आधुनिकीकरण और क्षमता निर्माण के लिए उपलब्ध नहीं हैं,’
झड़प की मुख्य वजह
दशकों से सिक्किम में चीन-भारत सीमा पर काफी हद तक शांत रही है. गर्मियों के बाद से, जैसे ही लद्दाख में संकट शुरू हुआ, पीएलए ने वहां भी अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया. भारत ने चीन 1890 की वहीं संधि दिखाई जो उस वक्त व्हाइट ने दिखाई थी. सेना के कुछ एक्सपर्ट का मानना है कि नाकुला में इसलिए झड़प होती है क्योंकि यहां से भारत के सैनिकों की नजर दक्षिण तिब्बत पर रहती है. पिछले साल नवंबर में News18 ने बताया था कि चीन ने सुदूर सीमावर्ती बस्तियों को विकसित करने और उनकी आबादी का विस्तार करने के उद्देश्य से एक व्यापक विकास कार्यक्रम शुरू किया है.
सीमा पर तनाव
एलएसी पर दोनों देशों की सेनाओं एक दूसरे के सामने खड़ी है. चीन ने भारत की उस मांग को ठुकरा दिया जिसमें उन्हें मांर्च के पहले वाले पोजिशन पर जाने के लिए कहा गया था. चीन 1962 के युद्ध में उसके कब्जे वाले क्षेत्र तक पहुंचने की कोशिश में है. डेपसांग में एक तथाकथित वाई-जंक्शन बन गया है जहां दोनों देशों के सानिक आमने-साने खड़े हैं. यहां पीएलए ने सैकड़ों वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में भारतीय गश्ती के रास्तों को काट दिया है.