जबलपुर
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने हिन्दू-मुस्लिम कपल को झटका दिया है। हाई कोर्ट ने एकलपीठ के उस आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी जिसमें एक हिंदू युवती और मुस्लिम युवक की शादी की अनुमति दी गई थी। इस मामले पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत, जस्टिस विवेक जैन की खंडपीठ ने इस मामले प्रदेश के डीजीपी, जबलपुर के कलेक्टर, मैरिज ऑफिसर और एसपी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
दरअसल, एकल पीठ के आदेश के खिलाफ युवती के पिता इंदौर निवासी हीरालाल राठौर ने डिवीजन बेंच में अपील पेश की। अपीलाकर्ता ओर से अधिवक्ता अशोक ललवानी ने दलील दी कि युवक ने लड़की का ब्रेनवॉश कर दिया है। उसे 'लव-जिहाद अभियान' के तहत निशाना बनाया गया है। उन्होंने कहा कि युवती को उसके परिवार वालों से मिलने नहीं दिया जा रहा है। यह दलील भी दी गई कि मुस्लिम लॉ के तहत मूर्ति पूजक या अग्नि की पूजा करने वाले से शादी अवैध कहलाती है।
22 अक्टूबर को इंदौर की हिंदू युवती अंकिता और जबलपुर के मुस्लिम युवक हसनैन अंसारी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सुरक्षा की मांग की थी। दोनों की ओर से कोर्ट में कहा गया था कि वे दोनों एक-दूसरे को पिछले 4 साल से जानते हैं। पिछले एक साल से वे लिव-इन में रह रहे हैं और अब दोनों शादी करना चाहते हैं। दोनों ने पुलिस सुरक्षा की मांग की है। युवती का कहना है कि परिवार वाले उसे जबरन अपने साथ ले जाना चाहते हैं और दोनों की जान को खतरा है। एकलपीठ ने युवती को 11 नवंबर तक शास्त्री ब्रिज स्थित राजकुमारी बाई बाल निकेतन भेजने के निर्देश दिए थे। वहीं युवक को फिलहाल किसी अज्ञात स्थान पर रखने और स्थिति अनुकूल होने पर उसके घर भेजने के निर्देश दिए थे। कोर्ट ने कहा था कि इस दौरान दोनों एक दूसरे से संपर्क नहीं करेंगे। कोर्ट ने कहा था कि 12 नवंबर को युवती को नारी निकेतन से मैरिज रजिस्ट्रार के यहां ले जाएं और शादी के पहले उसके बयान दर्ज कराएं।